सोमवार, 1 फ़रवरी 2010

देश को निगलता जा रहा भ्रष्टाचार का दानव

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देश में बढ़ती भ्रष्टाचार की समस्या के कारण जनहित देशहित व मानवता सभी किनारे लगते जा रहे हैं और इसके चलते जहाॅ एक ओर देश की एकता अखण्डता सुरक्षा व सम्प्रभुत्ता पर संकट गहराते चले जा रहे हैं तो वहीं दूसरी और पूंजीवाद का अजगर मध्यमवर्गी एवं गरीब जनमानस को निगलता जा रहा है।
भ्रष्टाचार का गहरा संबन्ध आर्थिक हविस से होता है और इसी के चलते धार्मिक, सामाजिक एवं मानवीय मूल्यों का ह्रास सदैव होता आया है। भ्रष्टाचार के चलते ही आज देश विरोधी शक्तियों ने अपनी पैठ देश की आंतरिक सुरक्षा के भीतबर तक बना ली है यह भ्रष्टाचार ही है जिसने एक मुसलमान को
मुसलमानों को मारने और हिन्दू को हिन्दुओं को मारने का पाठ पढ़ा कर ना जाने कितनी आतंकी घटनाओं को अंजमा दिलाया है। परिणाम स्वरूप हजारों निर्दोष आज भी जेल की सलाखों के भीतर मौत और जिन्दगी के बीच झूल रहे हैं।
यह भ्रष्टाचार ही था जिसने देश में राजनीतिक अस्थिरता पैदा की। यह भ्रष्टाचार ही था जिसके कारण देश को विभाजन एवं उसके बाद बड़े पैमाने पर नरसंहार का दर्द सहना पड़ा। यदि भ्रष्टाचार न होता तो अंग्रेस जाते जाते कभी भी देश को कमजोर करने के उद्देश्य से उसके टुकड़े न करने पाते। भ्रष्टाचार के कारण ही आज देश की बाह्य एवं आंतरिक सुरक्षा पर संकट खड़ा है। आतंकी बार्डर से भ्रष्टाचार की प्रवृत्ति के चलते ही मुल्क में दाखिला लेने में सफल हो पाते हैं। भ्रष्टाचार के चलते ही हमारे सुरक्षा राज दुश्मनों को मिल जाते हैं।
भ्रष्टाचार के कारण ही आज नौजवानों की प्रतिभाएं दर दर की ठोकरे खा रहे हैं और मुन्ना भाई जैसे डाक्टर, इंजीनियर व अन्य सरकारी सेवाओं के अफसर ऐश कर रहे हैं और जनहित व देशहित के साथ खिलावाड़ कर रहे हैं। भ्रष्टाचार के चलते ही आज देश में जाली नोटों का कारोबार हमारी मुद्रा को खाए जा रहा है। भ्रष्टाचार के ही कारण आज धार्मिक दुुर्ष बढ़ रहा है। कोई राम मंदिर की बात कर अपनी नैय्या खे रहा है तो कोई बाबरी मस्जिद की बिसात सजाए है कोई आमरा बंगाली की बात करता है तो कोई राम सेना की सफे सजाए हुए है कोई मराठी का मुद्दा उठाता है तो कोई हरित प्रदेश एवं पूर्वांचल की कोई खालिस्तान का नारा बुलन्द करता है तो कोई जय श्री राम तो कोई नारे तकबीर।
भ्रष्टाचार व पैसे की हविस ने ही आज न्यायालय में इंसाफ पर और डाक्टरों ने मानवता पर ग्रहण लगा दिया है। भ्रष्टाचार के चलते ही आज शिक्षा के मंदिर शिक्षा उद्योग का रूप धारण कर चुके हैं। भ्रष्टाचार के ही कारण आज अन्नदाता कौड़ी कौड़ी को मोहताज है। भ्रष्टाचार की ही देन देश में बढ़ती महंागई और उस पर ड्रामा करते राजनीतिज्ञों के वक्तव्य व धरना प्रदर्शन। भ्रष्टाचार की ही प्रवृत्ति के चलते आज घर की इज्जत दूसरों के बेडरूम तक जा पहुंची है।
भ्रष्टाचार ने ही धर्म गुरूओं को अधर्म की राह पर चलने को मजबूर किया है और एक निराकार भगवान या खुदा के स्थान पर भगवान, पीर व मुराशिद पैदा हो चले हैं भ्रष्टाचार के चलते ही आज हमारा राष्ट्रीय खेल हाकी अंतिम सांसे गिन रहा है और शायद वह दिन दूर नहीं जब क्रिकेट उसके सिर से यह ताज छीन न लें।
भ्रष्टाचार के चलते ही आज बेटा बाप का और बाप बेटे का नहीं। भाई भाई के खून का प्यासा है बहनों की सुरक्षा की कस्में खाने वाले उसकी लाज का सौदा करने से तनिक भी नहीं हिचकिताते हैं। भ्रष्टाचार के कारण ही घर की लक्ष्मी को यह भ्रष्टाचार का दानव ही है जो कांशी में पंडे को मजबूर करता है कि वह बनारस का ठग बने। भ्रष्टाचार के ही चलते कब्रों से मुर्दों को निकाल कर मेडिकल कालेज की टेबलों पर पहुंचाया जाता है भ्रष्टाचार के चलते ही चिता में अधजले मुर्दे को गंगा में फेंक लकड़ी का सौदा कर लिया जाता है।
भ्रष्टाचार के चलते ही भ्रष्टाचार की पोल खोलने का दावा करने वाले कलमों का सौदा हो जाता है भ्रष्टाचारी की नाजायज कमाई से समाज में चैथा खम्भा जैसे सम्मानित शब्दों से नवाजे जाने वाले अपनी कमाई करने से जरा भी संकोच नहीं करते। समाज के इस जिम्मेदार तबके को आज अधिकांश तब जनहित सताने लगता है जब इनका अपना स्वार्थहित कहीं टकराता है।
आइए हम सब मिलकर इण्डिया को खैरबाद कह अपने पुराने भारत या हिन्दोस्तान की ओर लौट चले जहां डाल डाल पर सोने की चिड़ियों का बसेरा हुआ करता था जहंा फकीरों, सूफी संतों की ताने, रूबाइये, दोहे व चैपाइया फिजाओं में गूंजती थी। संतोष धन का खजाना देश में हर किसी के पास विरासत के तौर पर मौजूद था।

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