बुधवार, 23 दिसंबर 2009

अधिशाषी अधिकारी पर गरम, अध्यक्ष पर नरम आक्रोशित सभासद

बाराबंकी। नगर परिषद् नवाबगंज के 25 में से 23 सभासदों ने अपने त्यागपत्र अध्यक्ष को दे दिए हैं। कारण यह बताया है कि नगर परिषद् में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है और शिकायत करने पर अधिशाषी अधिकारी सुनते नहीं और अध्यक्ष भी ऐसे लोगो को संरक्षण देते हैं ।
नगर परिषद् नवाबगंज के अध्यक्ष का सम्बन्ध सत्ता दल से है । इस कारण प्रशासन व शासन मौन है वर्ना पूर्व में नगर पंचायत जैदपुर व नगर पंचायत हैदरगढ़ के अध्यक्षों के प्रशासनिक व वित्तीय अधिकार जिला प्रशासन की सिफारिश शासन द्वारा छीन लिए गए थे और कई नगर पंचायत अध्यक्षों पर शासन की तलवार लटक रही थी। कई माह बाद नगर पंचायत अध्यक्ष जैदपुर को तो उच्च न्यायलय से राहत मिल गयी परन्तु हैदरगढ़ के अध्यक्ष अभी सजा काट रहे हैं चूँकि नगर परिषद् नवाबगंज के अध्यक्ष सत्ता दल से जुड़े हुए हैं इसलिए उनके सौ खून माफ़ ।

जिला प्रशासन ने आक्रोशित सभासदों को टहलाते हुए यह बहाना ले लिया है कि उनके द्वारा शासन को प्रेषित की गयी शिकायत पर जो दिशा निर्देश शासन से प्राप्त होंगे उसी के अनुसार जिला प्रशासन कारवाई करेगा ।
जहाँ तक सभासदों द्वारा नगर परिषद् नवाबगंज में फैले भ्रष्टाचार की शिकायत का प्रश्न है तो उस शिकायत में सभासदों ने अपना मुख्य निशाना अधिशाषी अधिकारी को बनाया है अध्यक्ष के मामले में उनके तेवर उतने तीव्र नहीं हैं जितने की अधिशाषी अधिकारी के विरुद्ध । दरअसल नगर परिषद् के आधे सभासद तो ठेकेदारी के पेशे से सीधे या बैक ड़ोर से जुड़े हुए हैं और मार्च का महीना सर पर है नगर परिषद् में विकास के कार्यों के लिए आये पैसे की बन्दर बाँट का मामला है, सो अधिशाषी अधिकारी पर दबाव बनाने का इससे उचित अवसर कौन होगा नियुक्ति में भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर अधिशाषी अधिकारी को निशाना बना लिया गया जबकि अध्यक्ष पर उनकी नाराजगी उतनी नहीं है। शायद इसीलिए अध्यक्ष बराबर यह कहते सुनाई दे रहे हैं कि यह घर का मामला है बातचीत से सुलझ जायेगा । खबर यह भी है कि आक्रोशित सभासदों को विघटित करने के उद्देश्य से अध्यक्ष ने सभासदों को डील करना भी शुरू कर दिया है । गाज गिर सकती है तो सिर्फ अधिशाषी अधिकारी पर जिनकी गलती केवल यह है की वह सुबह को शाम और शाम को सुबह नहीं कह पाते।

तारिक खान

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