बुधवार, 21 जुलाई 2010

अय्याशी का रोग तेजी से जिला अस्पताल में फैल रहा है

बाराबंकी।जिला अस्पताल के इण्डोर वार्ड के समक्ष स्थित सुलभ शौचालय के पीछे एक कक्ष में अय्याशी का धन्धा परवान चढ़ता रहा और अस्पताल प्रशासन को इसकी कुछ खबर न हुई।इसी के चलते सुलभ शौचालय के सुपर वाइजर अजीत कुमार पाण्डेय को भी अपनी जान से हाथ धोना पड़ा क्योंकि वह अपनी मृत्यु से मात्र कुछ दिन पहले आया था और अय्याशी के काम में वह बाधा बन रहा था। हत्या तो उसकी अस्पताल परिसर में ही हो जाती,परन्तु इण्डोर वार्ड मंे भर्ती एक अभियुक्त की चैकसी पर तैनात दो सिपाही वहाॅ मौजूद थे।
 प्राप्त समाचार अनुसार सुलभ शौचालय के पीछे बने एक कक्ष में बाहर जूस की दुकान चलाने वाले एक सरदार जी के जनरेटर का कब्जा है,जिसकी चैकसी के लिए सरदार जी का एक नौकर संजय वहाॅ रात में लेटता था और उसके गांव पश्चिम कटरा थाना असन्द्रा का मुन्ना उर्फ नूर आलम जो कि दिने में रिक्शा चलाता था और रात में वही लेटा करता था। बताते है कि मुन्ना देह व्यापार करने वाली अवारा लड़कियों को लेकर इसी जनरेटर कक्ष मंे आता था और संजय व मुन्ना मिलकर शराब व शबाब का सेवन करते थे। घटना वाली रात से दो दिन पूर्व दोनो जब अय्याशी के लिए लड़की लेकर आए तो अजीत कुमार पाण्डेय ने आपत्ति की परिणाम स्वरुप दोनो ने रास्ते से साफ करने का निर्णय ले लिया और 17/18 जुलाई की रात संजय ने मिल्क बादाम में नशीली दवा मिलाकर अजीत को  अपने काबू में कर लिया और फिर शराब पिलाकर उसे मदहोश करने के बाद सुनसान इलाके में ले जाकर उसकी हत्या बड़ी बेरहमी से सिर पर ईंटा मार कर दी। हत्यारों ने मृतक अजीत पाण्डेय के गले में अय्याशी का तमगा लटकाने के उददेश्य से उसके गुप्तांग को इस प्रकार ईंटो से कुचल दिया ताकि लगे किसी ने अय्याशी के कारण प्रतिशोध में यह काम किया है।
 अजीत पाण्डेय की हत्या जिला अस्पताल परिसर में ही हो सकती थी, परन्तु थाना मसौली के शहाबपुर गांव के सैजुद्दीन जिसे गोकशी के आरोप में बरी तरह से मार पीट कर जनता द्वारा पुलिस के हवाले किया गया था कि चैकसी कर रहे दो सिपाही की मौजूदगी ने कातिलों को वहाॅ घटना अंजाम देने से रोक दिया।
 विचार्णीय प्रश्न यह है कि जिला अस्पताल के इण्डोर वार्ड के सामने इतने दिनो से अय्याशी का धन्धा परवान चढ़ रहा था और किसी को कानो कान खबर न हुई जबकि रात भर अस्पताल कक्ष से मरीजों का आवागमन इण्डोर वार्ड तक रहता है और अस्पताल का चैकीदार व अवैध रुप से चाय का होटल एक ठेले पर चलाने वाला भी वहाॅ मौजूद रहता है। अवधनामा के एक अंक में घटना से मात्र चन्द दिन पूर्व जिला अस्पताल में अवैध रुप से रखे जनरेटर के ऊपर टिप्पणी की गयी थी यदि अस्पताल प्रशासन खबर के ऊपर कार्यवायी कर ली होती तो आज सुलभ शौचालय का सुपर वाइजर अजीत जीवित होता।वैसे  जिला अस्पताल में अय्याशी का धन्धा नयी बात नही है केवल इसकी किस्में व व्यक्ति बदलते रहते है।काफी अर्सा पहले अस्पताल के एक पूर्व मुख्य चिकित्सा अधीक्षक अस्पताल में तैनात एक नर्स के इश्क के बुखार में पड़ जाने के कारण चर्चाओ में रहे। फिर अस्पताल के एक बेहोशी डाक्टर व एक स्टाफ नर्स का इश्क परवान चढा।नतीजा यह है कि सेवानिवृत्त होने के बावजूद डाक्टर साहब अपना घरबार छोड़कर अक्सर यहीं पड़े रहते है। वर्तमान समय में आपरेशन थिएटर में एक सर्जन व एक नर्स के इश्क की चर्चाएं अस्पताल परिसर में एक बार फिर लोगो की जुबान पर है तो वहीं देा जूनियर नर्सो के चरित्र पर उंगलियां उठ रही हैं और यह सब उस स्थान पर हो रहा है जहाॅ एड्स रोग से बचने के लिए पैथालोजी विभाग में एक काउन्सिलर की डयूटी इसी लिए लगायी है कि वह लोगो को बताए कि बेरोक टोक अय्याशी से एड्स का खतरा बढ़ता है। इसी को कहते है कि चिराग तले अंधेरा।

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