गुरुवार, 30 दिसंबर 2010

दबंगो के आगे सरेण्डर होता प्रशासन व पुलिस

बाराबंकी। एक ओर प्रदेश की मुख्य मंत्री मायावती अपने दबंग मंत्रियांे व विधायको तक को अपने सख्ती के डण्डे से हाॅकने मे जरा भी मुरव्वत नही दिखा रही है। तो वहीं प्रदेश की राजधानी के बाजू में बसे जनपद बाराबंकी की पुलिस भूमाफियाओ व दबंगो के आगे नतमस्तक होती नजर आ रही है।
 मायावती को चिंता है कि वर्ष 2012 में चुनाव में जाने से पूर्व वह प्रदेश की जनता को फीलगुड का एहसास अपनी अच्छी गवर्नेन्स के बूते करा दे वहीं उनकी चिंताओ के विपरीत यहाॅ जिला प्रशासन व पुलिस के आपसी तालमेल से भूमाफियाओ व दबंगो के हौसले बुलन्द हो रहे है। सरकारी जमीनो पर कब्जा कमजोरो की सम्पत्ति हडपने के मामले तो दूर की बात अब इन शहजोरो के आगे पुलिस घुटने टेक रही है।
 उसका एक उदाहरण बस स्टैण्ड के समीप पचासो साल पहले से स्थापित सिविल लाइन चैकी है जिसे पुलिस यहाॅ से विस्थापित करने के अपने मनसूबे पर लामबंद है। वास्तव मे ऐसा करके पुलिस प्रदेश के एक बडे दबंग व सत्तारुढ दल के विधायक के एक चहेते दबंग को लाभ पहुॅचाने का कार्य कर रही है। बताते है कि लगभग 7-8 साल पहले चैकी के पीछे की एक इमारत इस दबंग ने इस उददेश्य से खरीद ली थी कि चैकी को वह अपने दमखम पर खाली करवा लेगा। ताकि उसकी पीछे स्थित सम्पत्ति का फ्रण्ट उसे मिल सके। जिससे उसकी सम्पत्ति का बाजारु मूल्य कई गुना बढ जाए।
 इस बात का प्रयास इस दबंग द्वारा काफी अरसे से किया जा रहा था कि यह चैकी यहाॅ से हटा दी जाए। पुलिस अधीक्षक आए और चले गए परन्तु इस दबंग की दाल नही गली। परन्तु इस बार लगता है कि उसके हिस्से मे सफलता जल्द ही आने वाली है क्योंकि विगत सप्ताह स्वयं अपर जिलाघिकारी डी0के0पाण्डेय उपजिलाधिकारी नवाबगंज अनिल कुमार सिंह सहित अन्य अधिकारियों ने चैकी स्थल का मौका मुआयना किया उसकी नाप जोख अपने सामने करायी।
 पुलिस अधीक्षक नवनीत कुमार राणा से जब अवधनामा संवाददाता ने पूछा कि क्या यह चैकी विस्थापित होने वाली है तो उन्होने उत्तर हाॅ में देते हुए कहा कि यह चैकी नाजायज तौर पर वर्षो से बनी हुई थी जिसका कोई रिकार्ड उनके कार्यालय में मौजूद नही है। और न ही कोई किराया इस चैकी के बाबत किसी को कभी दिया गया है। अतः जिलाधिकारी महोदय के द्वारा पुलिस क्लब के समीप जिला वनाधिकारी कार्यालय के सामने एक भूमि उन्हे उपलब्ध करायी जा रही है। जिस पर पूरे मालिकाना हक के साथ चैकी का निर्माण कायदे से कराया जाएगा।
 कप्तान साहब की बात मे तो दम है कि नाजायज काम पुलिस को नही करना चाहिए क्यांेकि वही तो कानून की रक्षक है परन्तु केवल सिविल लाइन चैकी पर ही पुलिस अपनी इमानदारी क्यो दिखा रही है इसमे क्या राज है। नगर स्थित सिटी चैकी बंकी चैकी सौमैया नगर चैकी बडेल चैकी आवास विकास चैकी तथा पूरे  जनपद की दर्जनो चैकिया किस मालिकाना हक के साथ स्थापित है इस पर भी बात होनी चाहिए। फिर स्वयं कप्तान साहब का सरकारी बंगला भी तो उनके स्वामित्व में नही है इसकेा क्यांे नही खाली किया जा रहा है। उसूल तो यह कहता है कि जब सिविल लाइन चैकी पर पुलिस इमानदारी दिखा रही है तो फिर इन नाजायज कज्बो के बारे मे भी उसे गम्भीरता से विचार करना चाहिए।
 पुलिस का सोचना चाहे जो भी हो परन्तु सिविल लाइन चैकी हटाने का सीघा लाभ उन दबंगो को पहॅुच रहा है जो बरसो से इसी ताक में लगे हुए थे  और इस प्रकार जिला प्रशासन व पुलिस के कृत्य से ऐसे तत्वो का उत्साह वर्धन होगा तो आम जन नागरिक की सुरक्षा खतरो मे पडना लाजमी है।

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