गुरुवार, 2 अक्तूबर 2014

चिरंजीव नाथ सिन्हा पुलिस उपाधीक्षक लखनऊ का सशपथ बयान--------गवाह -----------4

(1)
न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश कक्ष सं0 5
बाराबंकी
ST 310/08
स वि0 खालिद मुजाहिद व
1 अन्य
थाना कोतवाली
PW4
29.08.09
    चिरंजीव नाथ सिन्हा पुलिस उपाधीक्षक
लखनऊ ने सशपथ बयान किया
    वर्तमान समय में मैं क्षेत्राधिकारी
बाजार खाला जनपद लखनऊ के पद पर नियुक्त
हूँ। माह दिसम्बर वर्ष 2007 से माह मार्च
2008 तक भी मैं बहैसियत क्षेत्राधिकारी
चैक लखनऊ में कार्यरत रहा।
    दिनांक 22.12.07 को मैं STF
आफिस लखनऊ में दिनांक 23.11.07 को
लखनऊ कचहरी में हुए विस्फोट के
सम्बंध मेंSTF  के अधिकारियों से
विचार विमर्श कर रहा था। चूंकि दिनंाक
23.11.07 को लखनऊ, वाराणसी एवं फैजाबाद
की कचहरियों में एक साथ बम विस्फोट
की आतंकवादी घटना घटित हुई थी
और मैं बहैसियत CO चौक  लखनऊ
कचहरी में हुए विस्फोट के सम्बंध में
थाना वजीरगंज लखनऊ पर पंजीकृत मुकदमा
अप0सं0 547/07 का विवेचक था।
चूंकि प्रथम दृष्टया यह घटना आतंकवादी
संगठनों द्वारा की गई प्रतीत हो रही थी।   (2)

और इसमें हूजी आतंकवादियों के सम्मिलित
होने के संकेत प्राप्त हुए थे। हूजी संगठन
भारत सरकार द्वारा प्रतिबंधित संगठन है।
चूंकि STF उत्तर प्रदेश को आतंकवादी
घटनाओं के अनावरण में विशेषशता हासिल
है। अतः SSP   लखनऊ STF  के SSP  से
पत्राचार कर मुझ विवेचक को इस घटना
के अनावरण में सहयोग देने हेतु अनुरोध
किया था। इस प्रकार STF  के सहयोग से
इस घटना की विवेचना की जा रही थी।
पूर्व में पकड़े गये हूजी आतंकवादी बाबू भाई
नौशाद आदि के नेटवर्क का अध्ययन किया
जा रहा था।
    दिनांक 22.12.07 को समय करीब
2.30 बजे प्रातः जब मैंSTF आफिस मेंSTF
के अधिकारी श्री एस0 आनन्द डिप्सी एस पी
निरीक्षक श्री अविनाश मिश्रा एवं अन्य के
साथ विचार विमर्श कर रहा था तो
मामूस मुखबिरSTF के डिप्टी एसपी श्री एस
आनन्द एवं उनके अन्य सदस्य को यह सूचना
दिया कि ‘‘आज प्रातः 6.00 बजे सुबह लगभग
बाराबंकी रेलवे स्टेशन के पास कुछ संदिग्ध
आतंकवादी आने वाले हैं जिनके पास घातक
हथियार व शस्त्र होंगे तथा बम विस्फोट से जुड़ी
वस्तुंए भी होंगी।’’ ये किसी आतंकवादी घ0
को अंजाम देने के उद्देश्य से इकट्ठे हो रहे
मुखबिर ने अनुसार इनका सम्बंध प्रतिबंधित
आतंकवादी संगठन हूजी से होने की सूचना
प्राप्त हुई थी। हूजी का तात्पर्य हरकत उल
   (3)

जेहाद इस्लामी से है। यह भारत राष्ट्र के
विरूद्ध विदेशी राष्ट्रों की भूमि से संचालित
आतंकवादी संगठन है। जिसका उद्देश्य
भारतीय मूल के युवकों को गुमराह कर
उन्हें आतंकवादी टेªनिंग देकर इस राष्ट्र को
इस्लामिक राज्य स्थापित करना है तथा
इसके लिए वे सभी प्रकार के आतंकवादी
घटनाएं करते हैं जिससे दहशत व नफरत
का वातावरण कायम हो।
    वर्तमान में यह संगठन भारत
सरकार द्वारा प्रतिबंधित है।
    मुखबिर की उपरोक्त सूचना पर
यकीन कर श्री मनोज कुमार झा अपर
पुलिस अधीक्षक STF के नेतृत्व में STF
कार्यालय में 4 टीमों का गठन किया
गया। प्रथम टीम में श्री मनोज कुमार झा
स्वयं मैं, उपनिरीक्षक विनय कुमार सिंह SI
धनंजय सिंह, डिप्टी एसपी आनन्द के अतिरिक्त
ड्राइवर सहित कुल 10 सदस्य थे। मेरी टीम
सफेद टवेरा जिसका नं0 UP 32 BG 2054 था
में सवार हुए थे। दूसरी टीम के प्रभारी उपनि0
श्री सत्य प्रकाश सिंह को बनाया गया था।
इस टीम के ड्राइवर को लेकर 10 व्यक्ति थे।
तीसरी टीम के प्रभारी उपनिरीक्षक श्री धर्मेन्द्र
थे। इस टीम में ड्राइवर को लेकर नौ व्यक्ति
चैथी टीम SI श्री संदीप मिश्रा के नेतृत्व
गठित की गई थी। इस टीम में ड्राइवर
को लेकर नौ व्यक्ति थे। सभी टीमें
    (4)

सरकारी वाहनों से अलग अलग थी ।
हम लोगों की रवानगी प्रातः 4.30 बजे
लगभग STF कार्यालय से अपर पुलिस
अधीक्षक श्री मनोज कुमार झा के पर्यवेक्षण
में हुई। टीम के सभी सदस्यों को
मुखबिर से प्राप्त इस महत्वपूर्ण सूचना
से अवगत करा दिया था।
    लगभग पौन घण्टे में हमारी
चारो टीमे बाराबंकी बस स्टैण्ड के पास
पहुंचकर जो बाराबंकी रेलवे स्टेशन से
कुछ ही दूरी पर स्थित है। यहां पर
हम लोगों ने आस पास के गुजर रहे एक
दो व्यक्तियों को अपने आने का मकसद
बताकर उन्हें गवाह बनाने का
प्रयत्न किया किन्तु डर व दहशत के कारण
कोई गवाह बनने को तैयार नहीं हुआ।
जिन व्यक्तियों को गवाह बनाने का प्रयास
किया उन्होंने डर व दहशत के कारण
नाम पता बताने से इंकार कर दिया।
    तब टीम के सभी सदस्यों के
द्वारा एक दूसरे की जामा तलाशी की गई
कि किसी के पास कोई नाजायज वस्तु
तो नहीं है। जब जामातलाशी के उपरांत
यह यकीन हो गया कि किसी के पास कोई
नाजायज वस्तु नहीं है तभी मुखबिर जिसने
STF आफिस मेंSTF के डिप्टी एसपी एस
आनन्द को सूचना दिया था भी वहां
आ गया, उस मुखबिर की भी जामातलाशी
ली गई तो कोई नाजायज चीज प्राप्त नहीं हुई। तदुपरांत हम लोग 4 बजे
के लगभग 10-15 मिनट पूर्व बाराबंकी
रेलवे स्टेशन अपने अपने वाहनों से
पहुंच गये। वाहनों के ड्राइवरों को निर्देशित
किया गया कि थोड़ी दूर जाकर अपने
अपने वाहनों को टीम को बताये गये
स्थान पर उतारने के उपरांत खड़ी कर दें।
    पहली टीम जिसमें मैं भी था
रेलवे स्टेशन के बाहर नियुक्त हुई।
मुखबिर मेरी टीम के साथ ही था।
दूसरी टीम माल गोदाम रोड पर तीसरी
टीम बंकी रोड एवं चैथी टीम पुलिस
लाइन तिराहे के रोड पर नियुक्त की गई।
    लगभग 6.15 बजे प्रातः दो व्यक्ति
रेलवे स्टेशन के बाहर आकर रिक्शे से उतरे
जिनके हाथ में एक एक बैग था तथा वे
कुर्ता पायजामा पहने हुए थे तथा कंधों पर
अंगौछानुमा वस्त्र भी था। सिर पर टोपी थी
पहने हुए थे। जब ये रिक्शे से उतरकर
खड़े हुए तो मुखबिर ने उन्हें देखते ही
यह बताया कि यही वे दोनों व्यक्ति हैं
जिनके पास घातक शस्त्र व विस्फोटक है
एवं जिनके बारे में मैंने बताया था कि ये
आतंकवादी संगठन से जुड़े हुए हैं।
रिक्शे से उतरकर ये दोनों व्यक्ति अपना
अपना बैग उठाकर जाने लगे, इसी बीच
मुखबिर इशारा करके वहां से चला गया।
तब हमारी टीम के सदस्य एवं मैं रोकने एवं
पकड़ने के लिए आगे बढ़े व उन्हें अपना परिचय
देते हुए रोकने का प्रयत्न किया तो वे
और आगे तेजी से बढ़ने लगे। इस पर मेरी
टीम के सदस्य भी मदद से उनको पकड़ा
तो वे लपटा झपटी व मुजाहमत करने लगे
एवं आतंकवादी परिणामों से भुगतने की
धमकी देने लगे तथा दोनों लोग बैग
खोलने का प्रयत्न करने लगें तब आवश्यक
बल प्रयोग करके उन दोनों व्यक्तियों
को पकड़ लिया गया। इन दोनों व्यक्तियों
को लगभग 6.20 व 6.25 बजे प्रातः के
आस पास पकड़ा था। शोर शराबा सुनकर
अन्य टीमें भी वहां पहुंच गई।
    पकड़े गये दोनों व्यक्ति में से एक
ने अपना नाम खालिद मुजाहिद पुत्र
स्व0 जमीर मुजाहिद निवासी म0नं0 37 महतवाना
PS मडि़याहू जनपद जौनपुर बताया। दूसरे ने
अपना नाम मो0 तारिक कासमी पुत्र रियाज अहमद
R/o ग्राम सम्मोपुर थाना रानी की सरायं, जनपद
आजमगढ़ बताया।
    पहले पकड़े गये व्यक्ति खालिद मुजाहिद
की जामा तलाशी ली गई तो उसके दाहिने
हाथ में पुराना नीला बैग था जिसको खोलकर
देखा गया तो दैनिक इस्तेमाल की चीजो के अतिरिक्त
नौ अदद जिसेटिन की राड जिस पर प्रत्येक पर
Super Power SO अंग्रेजी में लिखा था यह सफेद पालीथीन में लिपटा था। और
तीन अदद डेटोनेटर जिसमें पावर लाक लगा था
यह डेटोनेटर स्टील कलर के थे। इस व्यक्ति
के पहने गये कुर्ते की जेब से एक नोकिया
मोबाइल हैंडसेट, 3 सिमकार्ड व नकद
तीन सौ पचास रूपये बरामद हुए जो पीली
पालीथीन में रखा गया था बरामद
हुआ।
    दूसरे पकड़े गये अभियुक्त तारिक कासमी
के दाहिने हाथ में जो एयर बैग था
वह काले रंग का था। इसको खोलकर
देखा गया तो उसके अन्दर दैनिक उपयोग
की जरूरी चीजों के अतिरिक्त तीन
अदद डेटोनेटर जो स्टील कलर की थी एवं
सफेद पालीथीन में खाली पैकेट में रखे गये
थे। इस पर Super Power SO अंग्रेजी में अंकित
था इसके ऊपर लाल रंग का वायर चढ़ा था
तथा पालीथीन में लिपटा हुआ काले रंग का
विस्फोटक पदार्थ जिसका वजन लगभग सवा
किलो अनुमान से प्रतीत हो रहा था तथा
देखने में यह विस्फोटक आर0डी0 एक्स
जैसा प्रतीत हो रहा था। इस व्यक्ति के
पहने गये कुर्ते की दाहिनी जेब से एक
अदद नोकिया मोबाइल हैंडसेट व उसके
अन्दर एक सिम कार्ड था। एक छोटी मदनी पाकेट
डायरी जिसमें अन्दर कुछ उर्दू में लिखा था।
इस डायरी के अन्दर एक अदद सिम कार्ड,
रोडवेज बस का एक टिकट, उत्तर रेलवे
कैण्ट बनारस के साइकिल स्टैण्ड की पर्ची जिस
पर हीरो हाण्डा स्पेलेण्डर लिखा था व चाभी का
एक गुच्छा जिसमें एक छोटी व एक बड़ी
चाभी व तीन सौ रूपया बरामद हुआ
    दोनों पकड़े गये व्यक्तियों से बरामद
उपरोक्त सामानों को अलग अलग उन्हीं के
बैगों में रखकर साफेद कपड़े में रक्खा
मौके पर सील मुहर किया गया व अलग
अलग नमूना मुहर बनाया गया। मौके
पर ही फर्द बरामदगी तैयार की गई जिसे
मेरे द्वारा बोल बोलकर उपनिरीक्षक श्री धनंजय
सिंह के द्वारा लिखवाया गया। फर्द तीन प्रतियों
में बनवाई गई। फर्द को मेरे द्वारा पढ़कर टीम
के सभी सदस्यों एवं पकड़े गये दोनों व्यक्ति
उपरोक्त को सुनाया गया व पकड़े गये दोनों
व्यक्तियों को अलग अलग उनको गिरफ्तारी
का कारण बताते हुए हिरासत में
लेकर टीम के सभी सदस्यों एवं पकड़े गये
दोनों अभियुक्तों के हस्ताक्षर कराये
गये तथा दोनोें अभियुक्तों को फर्द की एक एक
प्रति अलग अलग देकर उनके मूल फर्द पर पुनः
हस्ताक्षर कराये गये व मैंने भी पुनः हस्ताक्षर
किये।
    गिरफ्तारी के उपरान्त उपरोक्त
अभियुक्तों से मौके पर उन्हें तसल्ली देते हुए
अलग अलग पूछतांछ की गई तो वे लोग
अपनी गलती स्वीकार करते हुए माफी मांगने लगे। पहले अभियुक्त खालिद मुजाहिद
ने बताया कि मैं सन 2001 में अमरोहा
में आलिम व मुफ्ती की पढ़ाई कर रहा था
वही मदरसे में मेरी भेंट रकीब से हुई
जो आसाम का रहने वाला था। उसने
मुझे जेहाद व आतंकवाद के बारे में
काफी कुछ समझाया। उसने मुझे बशीर
उर्फ हेजाजी से परिचय कराया जिसने
मुझे आजमगढ़ में आतंकवादी हथियारों
को चलाने का प्रशिक्षण दिया। इस
आतंकवादी कैम्प में मैं लगभग 15 दिन रहा।
वहां से लौटकर जब मैं आया तो एक दिन
बशीर उर्फ हेजाजी का फोन आया कि
रकीब मुठभेड़ में शहीद हो गया है अब
आगे तुम्हें काम देखना है। एक बार
बशीर ने मुझे पाकिस्तान के हूजी संगठन
के चीफ तौकीर उर्फ शेख से बात
कराई जिसने मुझे कहा कि कुछ दिनों
में खालिद कश्मीरी तुमसे भेट करने मडि़याहू
आयेगा व आगे की योजना बतायेगा।
खालिद कश्मीरी के आने पर मेरी उससे हेजाद
के बारे में काफी बाते हुई व मैंने उसकी
भेंट आजमगढ़ के रानी की सराय के निवासी
तारिक से कराई। इस दौरान जेहाद व संगठन
की बाते तय हुई। 2007 के रमजान में मैं तारिक
सज्जाद कश्मीरी, खालिद कश्मीरी, इमरान उर्फ गुरू आदि इकट्ठे हुए तथा बम्बई जाकर बम विस्फोट
करने की योजना बनाई। बम्बई जाकर हम लोग
ने कई जगह का दौरा किया जहंा विस्फोट
करना था। वहां से लौटकर जब आये
तो मुझे बताया गया कि अब तुम्हें लखनऊ
जाना है वहां 23.11.07 को विस्फोट कराने की
जिम्मेदारी लखनऊ कचहरी की तुम्हें दी गई है।
वहां स्टेशन लखनऊ पर तुम्हें कादिर मिलेगा
जब मैं लखनऊ स्टेशन दिन 23.11.07 को प्रातः
पहुंचा तो स्टेशन के गेट पर मुझे कादिर मिला
जिसे मैं पहले से जानता था। वहां से हम
दोनों चैक स्थित टीले वाली मस्जिद के पास
स्थित नीबू पार्क में पहुंचे वहा जाहिद
नाम का एक व्यक्ति आया जिसके हाथ में
एक बैग था। फिर हम तीनों लखनऊ कचेहरी
पहुंचे। हम दोनों को वही खड़ाकर जाहिद
कही गया और थोड़ी देर में एक साइकिल
लेकर लौटा और साइकिल के हैण्डिल में एक
बैग टांगकर कचहरी गेट के अन्दर परिसर
में चला गया। पुनः वह बाहर आया और
थोड़ी देर में एक साइकिल जिसके एक बैग
टंगा था को कचेहरी के गेट के पास रखकर
चला गया। थोड़ी देर हम दोनों ने इंतजार किया
तब कादिर ने बताया कि चलो काम हो गया है।
तुम निकलो, मुझे भी जाना है।  जाहिद अपनी जगह पहुंच जायेगा। इसके
बाद मैं मडियाहूं अपने घर लौट आया।
अगले दिन पता हुआ कि लखनऊ फैजाबाद
और बनारस की कचहरियों में विस्फोट
हुआ है जिसमें कई व्यक्ति मारे गये व
कई अन्य घायल हो गये।
    फैजाबाद विस्फोट की जिम्मेदारी
तारिक कासमी व उनकी टीम को तथा
बनारस कचहरी में विस्फोट की जिम्मेदारी
मुख्तार आदि को दी गई थी।
    मैं अर्थात खालिद मुजाहिद
ने बताया कि दिनांक 24.11.07 को मदरसे
में आकर मदरसे के बच्चों की कापियां मैंने
दि0 23.11.07 में चेककर दिया था तथा आज
जो यह विस्फोटक सामग्री हम दोनों के प्राप्त
हुई है उसे हमें इमरान उर्फ गुरू को
देना था जो विस्फोट में काम आता है।
इन कामों के एवज में हमें हवाला से
दस लाख रूपये प्राप्त होने की बात हुई थी।
उसने अपना अपराध स्वीकार करते हुए यह
बताया कि गोरखपुर बम ब्लास्ट की योजना में
मेरा एवं मेरे ग्रुप के सदस्यों का हाथ था।
इमरान उर्फ गुरू उपरोक्त हूजी संगठन का
सक्रिय सदस्य है।
    दिनांक 18.12.07 को जरिये मुखबिर यह
सूचना प्राप्त हुई कि जनपद जौनपुर के    (12)


मडि़याहू एवं जनपद आजमगढ़ के रानी की सरांय
में कुछ संदिग्ध प्रवृत्ति के लोग रहते हैं
जिनके यहां आतंकवादी संगठन के सदस्य
आते रहते हैं। इस सूचना परSSP लखनऊ
एवंSSP STF के निर्देशन में दो टीमों का
गठन हुआ। जौनपुर जाने काफी टीम मेरे
नेतृत्व में एवं रानी की सरांय आजमगढ़ की
टीम श्री जनक प्रसाद द्विवेदी CO क्राइम
लखनऊ के नेतृत्व में भेजी गई। वहां
मडि़याहूं पहुंचकर मैंने प्रभारी निरीक्षक
मडि़याहूं से सम्पर्क किया और उन्हें
हमराह लेकर संदेही खालिद मुजाहिद निवासी
म0नं0 37 महलवाना थाना मडि़याहू जनपद जौनपुर
के यहां आया। संदेही खालिद मुजाहिद
घर पर नहीं मिला। बताया गया कि जमात
के काम से एक सप्ताह से बाहर गये हैं
तब उन्ही के यहां के दो सदस्यों को गवाह
बनाकर और उन्हें अपने आने का मकसद
बताकर उनके घर की तलाशी ली। तो वहां
अलमारी से तीन अदद जेहादी साहित्य
एवं एक मोबाइल हैण्डसेट व सिम कार्ड बरामद
हुआ। सिम कार्ड 2 थे। मौके पर फर्द बनाई
गई एवं गवाहों के हस्ताक्षर कराये गये।
घरवालों ने बताया कि यह अलमारी केवल
खालिद मुजाहिद के उपयोग में लाई जाती है
यह बरामद शुदा सामान मु0अं0सं0 547/07 थाना वजीरगंज जनपद लखनऊ से सम्बंधित
थी अतः बरामद शुदा सामान एवं फर्द थाना
वजीरगंज में दाखिल किया जिसका मुकदमा
लखनऊ के न्यायालय में लम्बित है।
मूल फर्द उक्त न्यायालय में सम्बंधित पत्रावली
में संलग्न है।
    दूसरे पकड़े गये अभियुक्त मो0 तारिक
कासमी ने बताया कि मैं हूजी के
उत्तर प्रदेश का इन्तजामकार अमीर हूं।
खालिद कश्मीरी से मेरी भेंट खालिद
मुजाहिद ने कराई थी। हम लोगों के बीच
जेहाद की बाते हुई। रमजान 2007
के महीने में खालिद कश्मीरी सज्जाद व
अन्य मेरे घर पर आये। हम लोगों ने मुम्बई
जाकर कई स्थानों का दौरा किया
जहंा हमें विस्फोट करने की बात बताई गई
थी। जहां से लौटने के बाद मुझे सज्जाद
कश्मीरी ने बताया कि तुम्हें फैजाबाद विस्फोट
की जिम्मेदारी दी गई है। दिनांक 23.11.07
को फैजाबाद की कचहरी में विस्फोट करना है।
सज्जाद के कहने पर घर पर ही मैंने अपना मोबाइल
फोन छोड़ दिया और शाहगंज के पास भेंट करने
की बात दि 22.11.07 को तय हुई। हम वहां
इकट्ठे हुए जिसमें मैं तारिक कासमी, तारिक
कश्मीरी एवं इमरान तथा सज्जाद थे।
वहां से हम लोग सुबह 9.30 बजे लगभग
दि 23.11.07 को फैजाबाद कचहरी गेट पर
(14)


पहुंचे। वहां गेट पर हमें इन्तजार करने को
कहकर इमरान व तारिक कश्मीरी कही गये।
लगभग पौन घण्टे बाद वे साइकिल
लेकर वापस आये। उन्होंने साइकिल के हैंडिल
में एक बैग टांगा व कचहरी के अन्दर
चले गये। थोड़ी देर में वे दोनों साइकिल
व उसमें टंगा बैग वही छोड़कर बाहर आये
व फिर इमरान कही चला गया। थोड़ी
देर में वह पुनः एक साइकिल लेकर आया
व उसमें एक बैग टांगकर कचहरी परिसर
में चला गया। थोड़ी देर बाद तारिक कश्मीरी
ने मुझे बताया कि सारी सेटिंग हो गई है
अब तुम निकलो मुझे भी जाना है यही
पर तारिक कासमी ने बताया कि बनारस कचेहरी
विस्फोट की जिम्मेदारी मुख्तार उर्फ राजू आदि
को दी गई थी। उक्त जो सामान मुझसे
बरामद हुआ है जिसमें विस्फोटक इत्यादि
हैं। यह सामान हमें इमरान उर्फ गुरू को
देना था। यह पूछने पर कि इमरान उर्फ गुरू
कहा है तो दोनों ने बताया कि वह आसपास
कही होगा किन्तु डर वश कही छिप गया है।
इन कामों के एवज में हम लोगों को हवाला से
दस लाख रूपये मिलने थे।
    दौरान गिरफ्तारी मानव अधिकार व
उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का पालन किया
गया था। मेरे द्वारा गिरफ्तार किये गये मुल्जिमान
अब हाजिर अदालत है।     (15)


मूल फर्द बरामदगी अपराध सं0 310 ता0 14
मेरे सामने संलग्न पत्रावली है जिसे गवाह
ने स्वयं देखकर व पढ़कर कहा कि यही
वह फर्द है जिसे वाद गिरफ्तारी व बरामदगी
मौके पर हमराह ैप् धनंजय धनंजय सिंह को
मैंने बोल बोलकर लिखाई थी। जो बोला
था वही उसने लिखा था। जो उपरोक्त
ैप् धनंजय सिंह के लेख व हस्ताक्षर में है
पढ़कर उसका मैंने अपने हस्ताक्षर बनाये और
मौजूद हमराही कर्मचारीगण व अभियुक्तगण
जो सुनाकर उनके हस्ताक्षर बनवाये थे।
तथा फर्द की नकल अलग-अलग अभियुक्तों
को देने के वाद उस पर पुनः मैंने व
अभियुक्तों के हस्ताक्षर बनवाये थे।
फर्द पर प्रदर्श क-4 डाला गया।
To be continulet
            सुनकर तस्दीक किया
प्रमाणित किया जाता है
कि यह बयान मेरे बोलने
पर रीडर द्वारा लिखा गया।

         29.08.9

क्रमशः

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