बुधवार, 26 अप्रैल 2023

मोदी ने नंग-धडंग भारत का निर्माण किया है - जगदीश्वर चतुर्वेदी

भारत विध्वंस के नायक और प्रतीक- नरेन्द्र मोदी सुपर नेता हैं। पूरे सिस्टम को उन्होंने ध्वस्त कर दिया और कानों-कान खबर नहीं होने दी।किसी ने सोचा भी नहीं।हम वोट देते रहे वे सिस्टम में पलीता लगाते रहे।भारत विध्वंसक के रुप में उनको जितनी बार विश्लेषित करोगे,विध्वसं के नए क्षितिज दिखाई देंगे। नरेन्द्र मोदी को पढ़ने के सबसे सटीक प्रतीक हैं संत-महंत और उनके प्रति मोदी का अनन्य प्रेम। संत-महंत किस चीज के प्रतीक हैं ? क्या वे धर्म के प्रतीक हैं ? जी नहीं, वे भारत की गरीबी ,दुर्दशापूर्ण अवस्था और अभावों के प्रतीक हैं। संतों की गरीबी और अभाव को हमने कभी गंभीरता से नहीं देखा।हम उनको धर्म प्रचारक के प्रतीक के रुप में देखते रहे जो कि सही नहीं है।भारत में संत-महंत धर्म के गौण और गरीबी-अभाव के साक्षात मुख्य प्रतीक हैं। मोदी जब संत-महंतों का महिमामंडन करते हैं, उनके लिए कुंभ करते हैं या उनको अपने राजनीतिक प्रचार के रुप मेें इस्तेमाल करते हैं तो जाने-अनजाने गरीबी का महिमा मंडन करते हैं।गरीबी की पूजा करते हैं.राममंदिर आंदोलन ने संतों के बहाने राम का नहीं गरीबी का सृजन किया है। कहने का आशय यह कि संतों को गरीबी के प्रतीक के रुप में देखें। संतों के प्रतीक में निहित गरीबी और गरीब को हमने कभी देखा ही नहीं,हमने तो संत के नाम पर धर्म देखा,साहित्य देखा लेकिन गरीबी नहीं देखी।मोदी -आरएसएस ने जब संतों को गोलबंद किया,उनके लिए सबकुछ का इंतजाम किया तो एक तरह से अपने राजनीतिक-आर्थिक एजेंड़े की घोषणा कर दी। संतों के बहाने वे खुशहाली या राम को नहीं गरीबी को प्रतिष्ठित करना चाहते थे लेकिन आपने इस तथ्य को कभी देखा ही नहीं।संतों को प्रतिष्ठित करने का अर्थ है गरीबी को प्रतिष्ठित करना। कुंभ में संतों को देखें, उनके नंग-धडंग शरीर देखें तो आपको मोदी का नंग-धड़ंग भारत नजर आएगा। संत सेवा माने गरीबी की सेवा ।संतों की आड़ में असल में गरीबी का संघी अर्थशास्त्र रचा जा रहा है।इससे भारत में गरीबी बढ़ी है।कांग्रेस के नेताओं ने संतों-महंतों को कभी इस कदर महत्व नहीं दिया।लेकिन मोदी-आरएसएस ने जमकर महत्व दिया और ईमानदारी से आधुनिक भारत को नंग-धड़ंग भारत में रूपान्तरित कर दिया।आज८८ करोड़ लोग भुखमरी के शिकार हैं।इंतजार करें यह संख्या और भी बढ़ेगी।

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

न कोई भुखमरी हैं इस तरह फर्जी लेख से दुकान कितने दिन चलेगी