रविवार, 16 जुलाई 2023

देश में एक डर का माहौल बन गया है-वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे का इंटरव्यू बोले, देश में एक डर का माहौल बन गया है जजों के फैसले पर बोले, आलोचना करना अधिकार नई दिल्ली: जब नेताओं से सवाल पूछा जाता है तो वे जवाब देने से यह कहकर बच जाते हैं कि मामला कोर्ट में विचाराधीन है, हम इस पर टिप्पणी नहीं कर सकते। जब यही बात सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे के सामने रखी गई तो उन्होंने कहा कि हमारी कानून व्यवस्था इतनी कमजोर हो गई है कि ये सब लोग उसका फायदा लेकर सत्ता में बने रहते हैं, जो देश के लिए अच्छी बात नहीं है। 'लल्लनटॉप' को दिए इंटरव्यू में जब दवे से लोगों के आलोचना के अधिकार की बात की गई तो उन्होंने कहा कि देश में एक डर का मौहाल बन गया है। ये दुख की बात है कि आज लोग अपने विचार व्यक्त नहीं कर पाते हैं। आपने देखा कि बहुत सारे लोगों को एक ट्वीट पर जेल में डाल दिया जाता है, ये सब होना नहीं चाहिए लेकिन हो रहा है और जूडिशरी देख रही है इसको खुली आंख से। जज के फैसले की आलोचना क्यों नहीं कर सकते? दवे से जब कहा गया कि जूडिशरी पर तो कोई कॉमेंट ही नहीं कर सकता। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील ने जवाब दिया, 'आलोचना करना हमारे यहां एक फंडामेंटल राइट है तो जजों के फैसलों को आप जरूर क्रिटिसाइज कर सकते हैं, हां जज की निजी तौर पर आलोचना नहीं कर सकते हैं।' 'मन की बात' का क्या मतलब है दवे से जब पूछा गया कि रविवार को मन की बात सुनते हैं या नहीं रेडियो पर? दवे ने जवाब दिया, 'हर संडे को मन की बात का क्या मतलब है, भक्ति की भी लिमिट है। भक्ति गलत बात नहीं है। प्रधानमंत्री सही रास्ते पर देश को नहीं ले जा रहे हैं और जो पीएम की शक्तियां हैं इस देश को आगे ले जाने के लिए, उसका सही इस्तेमाल नहीं हो रहा है।' सवाल नहीं पूछ सकते तो भक्ति कैसी दुष्यंत दवे ने आगे कहा कि जो भी भाजपा या कांग्रेस की विचारधारा को मानता है उसको शक्ति होनी चाहिए कि वह कांग्रेस या बीजेपी के लीडर्स से सवाल पूछ सके। जब तक वो न हो तब तक भक्ति का क्या फायदा है। हिंदुस्तान में शरिया तो नहीं आया उन्होंने कहा, 'आज अल्पसंख्यकों पर अटैक हो रहे हैं, कितने सारे केस क्रिश्चियन समुदाय के ऊपर हैं, मैं जानता हूं। आप मुसलमानों के खिलाफ हैं। 800 साल मुसलमान रहा सत्ता में, हिंदुस्तान इस्लामिक तो नहीं बना। हिंदुस्तान में शरिया लॉ तो नहीं आया!' 'लल्लनटॉप' को दिए इंटरव्यू में हंसी के पल भी आए। जब फीस की बात की गई तो दवे ने कहा कि हर साल करीब 100 गरीबों के फ्री में केस लड़ता हूं और जो अफॉर्ड कर सकता है उससे कोई रहम नहीं दिखाता हूं। काम करने के तरीके के बारे में पूछने पर दवे ने कहा कि हम वकील लोग बिना कारण केस में 100, 200-500 पेज ऐसे ही डाल देते हैं। वजह पूछने पर बोले, 'हो सकता है क्लाइंट को खुश करने के लिए, हो सकता है अपनी फीस को जस्टिफाई करने के लिए'।

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