मंगलवार, 29 दिसंबर 2009

हमी ने दर्द दिया, हमी दवा देंगे




बाराबंकी। अमेरिका ने जिस प्रकार हमारे देश को तबाह बर्बाद करने का मंसूबा बनाया है इसका खुलासा अब डेविड कोलमैन हेडली के साथ अमेरिकी खुफिया एजेंसियों , जांच एजेंसी ऍफ़.बी.आई स्वयं विदेश मंत्रालय के रवैये से साफ़ तौर से जाहिर हो रहा है। अमेरिका तो हमारे देश के ऊपर इतनी बड़ी साजिश रचने वाले व्यक्ति को प्रत्यर्पण के द्वारा सौपने को तैयार है और ही मुंबई घटना की जांच कर रही सुरक्षा एजेंसियों को अमेरिका में हेडली से पूछ ताछ के लिए उसने अनुमति दी। डेविड हेडली की गिरफ्तारी उसके ऊपर लश्करे तैय्यबा का लेबल, सी.आई. का लेबल हटा कर चस्पा करने के बाद अमेरिका द्वारा पूरे संसार को यह बताने का प्रयास किया जा रहा है कि यह मुंबई की आतंकी घटना में तो मोसाद का हाथ है और सी.आई. का यह सीधे-सीधे लश्करे तय्यबा के द्वारा सुनियोजित ढंग से अंजाम दी गयी घटना है।
नेहरु परिवार के सत्ता में रहते समय जब भी कोई आतंरिक साजिशी घटना होती तो सदैव अमेरिकी खुफिया एजेंसी सी.आई. का नाम लिया जाता, जो वास्तविकता होती थी , परन्तु पहले इंदिरा गाँधी , और फिर राजीव गाँधी की हत्या कराने के पश्चात सी.आई. मोसाद दोनों ने अपने खूनी पंजे देश में गड़ा दिए। इसके लिए राह हमवार की नरसिम्हाराव मौजूदा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जो क्रमश: प्रधानमंत्री वित्त मंत्री थे। उपभोक्तावाद की बैसाखी लगा कर अमेरिका उसके सहयोगी राष्ट्रों ने भारत में कदम रखा और चूंकि अमेरिका इजराइल को अपना शस्त्रों का व्यवसाय भारत के साथ बढ़ाना था इसलिए असुरक्षा की भावना पैदा करने के उद्देश्य से भारत में एक के बाद एक आतंकी घटनाएं पकिस्तान में बैठे अपने सी.आई. एजेंटों से करानी शुरू करा दी। इससे मुकाबला करने के लिए भारत को अपनी आतंरिक सुरक्षा की सफें दुरुस्त करना आवश्यक हो गया नतीजे में अमेरिकी शस्त्रों का कारोबार और इजराइल का आतंकियों से निपटने की कला जिसमें उसकी खुफिया तंत्र की महारत खूब चमकने लगे। देश की खुफिया एजेंसियों की ट्रेनिंग फ्लोरिडा, अमेरिका में मोसाद और सी.आई. के अधिकारियों के द्वारा अभी भी दी जाती है।
देश में जितनी भी आतंकी घटनाएं अभी तक हुई उसमें देश की खुफिया एजेंसियां वही पहाड़ा पढ़ाती हैं जो सी.आई. मोसाद उन्हें रटाती हैं, भले ही उनकी कितनी रुसवाई क्यों हो ?
जहाँ तक मुंबई की आतंकी घटना जो नरीमन हाउस, ताज होटल वी टी स्टेशन आदि पर 26 नवम्बर 2008 को पेश आई एक बार फिर भारतीय खुफिया एजेंसियों की अयोग्यता एवं मोसाद सी.आई. की निपुणता को प्रदर्शित करती हैं।जहाँ देश की सुरक्षा एवं खुफिया तंत्र देश की अस्मिता एवं सुरक्षा कवच को बचाने में फ़ेल नजर आया वहीँ सी.आई. मोसाद ने अपने दत्तक पुत्र आई.एस.आई का सहारा लेकर सफलतापूर्वक मुंबई आतंकी घटना को अंजाम दिलाया यही नहीं मात्र 24 घंटो के उपरान्त ही ऍफ़.बी.आइ की टीम आतंकियों को परास्त करने के बाद मुंबई धमकी और उसने घटना की विवेचना की दिशा निर्धारित कर दी जिस पर आज भी हमारी सुरक्षा एजेंसियां चल रही हैं। पहले आमिर कसाब और उसके बाद डेविड कोलमैन हेडली को मुंबई आतंकी घटना के लिए मुख्य अभियुक्त बना कर पेश करना यह सब सी.आई. की ही सोची समझी रणनीति का हिस्सा है।
जहाँ तक डेविड कोलमैन हेडली का सम्बन्ध है तो उसका पिता सैयद सलीम गिलानी पकिस्तान के विदेश मंत्रालय संचार मंत्रालय का एक उच्चाधिकारी था उसका पारिवारिक शिजरा (नस्ल) पकिस्तान के मौजूदा प्रधानमंत्री सैयद युसूफ रजा गिलानी से जाकर मिलता है डेविड कोलमैन हेडली का असली नाम दाउद गिलानी है जो मात्र 3 वर्ष पूर्व दाउद से डेविड कोलमैन हेडली बना और उसका सौतेला भाई दानियाल गिलानी पाक प्रधानमंत्री कार्यालय में जनसंपर्क अधिकारी के पद पर तैनात था और विगत वर्ष उसके निधन पर युसूफ रजा गिलानी ने क्रिसमस के दिन शोक सन्देश भेजा था।
साफ़ जाहिर है कि भारत में आतंरिक सुरक्षा से लेकर बाह्य सुरक्षा तक जो भी खतरे मंडरा रहे हैं उसका संचालन अमेरिका इजराइल के हाथों में है जो अपने नापाक इरादों की पूर्ति के लिए भारत को उस रण भूमि का हिस्सा बनाना चाहते हैं जो मध्य एशिया , दक्षिण पूर्व एशिया और उपमहाद्वीप में दोनों ने मिलकर बना रखा है

तारिक खान

कोई टिप्पणी नहीं: