सोमवार, 19 जुलाई 2010

मुलायम सिंह यादव ही मुसलमानों के सच्चे हमदर्द है-वसीम राईन

बाराबंकी।मुलायम सिंह यादव ही मुसलमानो के सच्चे हमदर्द है और इसके लिए उन्हे किसी के सार्टिफिकेट की आवश्यकता नही है। आम मुसलमान इस बात को भलीभाॅति महसूस भी करता है,परन्तु आज वह लोग मुलायम सिंह पर उंगली उठा रहे हैं जिनका दामन आजादी के बाद से मुल्क में हुए हजारों साम्प्रदायिक दंगो से दागदार है और जिनकी बदनीयती  के चलते ही बाबरी मस्जिद की शहीद कर डाली गयी।
 उ0प्र0जमीयत उर राईन के प्रदेश अध्यक्ष व समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ लीडर मो0वसीम राईन रामनगर विधान सभा क्षेत्र में अपने भ्रमण के दौरान ग्राम सभा सैदनपुर में उपस्थित जनसमूह के समक्ष अपने उक्त विचार रख रहे थे।
 श्री राईन ने अपने सम्बोधन में आगे कहा कि अपनी गलती करने का एहसास करना भी बड़ी बात होती है और मुलायम सिंह यादव ने मुसलमानो से उनकी दिलआज़ारी के लिए क्षमा मांग कर यह बात साबित कर दी है कि वह एक नेक दिल इंसान है। अफसोस की बात लेकिन यह है  कि कुछ बदनीयत किस्म के राजनीतिक दल मुलायम सिंह को मुसलमानों का दुश्मन सिद्ध करने के प्रयास में लगे हुए हैं,जिसमें धर्म निरपेक्षता का दम भरने वाली कांग्रेस भाजपा से भी दो हाथ आगे निकल कर  मुलायम सिंह की धर्म निरपेक्ष छवि पर हमले कर रही है,जबकि मुलायम सिंह ने केन्द्र में साम्प्रदायिक शक्तियों को सत्ता से दूर रखने की नीयत से बगैर शर्त अपना समर्थन कांग्रेस को बराबर दिया।
 श्री राईन ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा कि मुलायम सिंह ने मुसलमानों के जखमो पर उस समय मरहम रखा था जब बाबरी मस्जिद की शहादत के बाद पूरे देश का मुसलमान भयभीत था तथा उसके भविष्य पर भी प्रश्न चिन्ह खड़ा हो गया था।अधिकांश राजनीतिक दल साम्प्रदायिक शक्तियों के आगे बेबस होकर दुबक चुके थे।जो लोग आज धर्मनिरपेक्षता के सूरमा बने हुए है,उनके मुॅह से अभी भी बाबरी मस्जिद के स्थान पर विवादित ढाॅचा शब्द निकलते हैं।ऐसे समय पर मुलायम सिंह यादव ने देश में सदभाव कायम रखने के उद्देश्य से आगे बढ़कर साम्प्रदायिक शक्तियों को न केवल ललकारा बल्कि उन्हे सत्ता से भी अपदस्थ कर दिया।यदि मायावती के महत्वाकांक्षी मिजाज का लाभ उठाकर साम्प्रदायिक शक्तियों ने मुलायम सिंह की सरकार उत्तर प्रदेश में गिरा न दी होती तो आज इन शक्तियों को दफन गये जमाना गुजर गया होता।इतिहास गवाह है कि कांग्रेस व बसपा ने मिलकर सदैव ही साम्प्रदायिक शक्तियों को जीवन दान दिया है।
 श्री राईन ने अंत में मुस्लिम समाज से अपील की कि वे अपने सच्चे हितैषी केा पहचाने और साथ ही उन तत्वो को भी पहचाने जो उन्हे गुमराह कर उनका वोट विभाजित कर राजनीतिक तौर पर उन्हे भारहीन करने व साम्प्रदायिक शक्तियों को मजबूत करने का काम करते हैं।

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