गुरुवार, 5 अगस्त 2010

फैशन के युग में महिलाएं मातृत्व की अपनी जिम्मेदारी से दूर हो रही हैं-डा0के0लाल

बाराबंकी।विश्व स्तनपान दिवस के अवसर पर विगत 1 जुलाई से जिला महिला चिकित्सालय में चल रहे स्तनपान सप्ताह के पाॅचवे दिन आज एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षिका डा0सविता भट्ट ने की और मुख्य अतिथि के रुप में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के जिला परियोजना अधिकारी डा0 किशोरी लाल उपस्थित हुए।
 आयोजन के मुख्य अतिथि डा0 किशोरी लाल ने अपने सम्बोधन में कहा कि फैशन के इस दौर में महिलाएं अपनी मातृत्व की जिम्मेदारी से दूर हटती जा रही है और स्तनपान के विरुद्ध अपनी अभिरुचि दिखाकर वह अपनी आने वाली नस्ल की शारीरिक एवं मानसिक विकास को भी अवरुद्ध कर रही है। हमें चाहिए कि हम अधिक से अधिक माताओं को स्तनपान के लिए प्रेरित करें,उससे मिलने वाले लाभों से हमें अवगत कराएं ताकि देश में एक शक्तिशाली व बौद्धिक युवा पीढ़ी का निर्माण हो सके।
 कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही जिला महिला चिकित्सालय की मुख्य चिकित्सा अधीक्षिका डा0 सविता भट्ट ने स्तनपान से होने वाले लाभ व स्तनपान न कराने पर इससे होने वाले नुकसान पर विस्तार से प्रकाश डाला।उन्होने इस अवसर पर उपस्थित आशा बहुओं व जच्चाओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि बच्चे के जन्म से आधे घण्टे से एक घण्टे के बीच उसे माॅ का दूध अवश्य दिया जाना चाहिए उन्होने स्तन से निकलने वाला घाड़ा पीला दूध भांतिवश गांव की बूढ़ी महिलाएं पहले गंदा कहके फेंक दिया करती थी। इस दूध (कोलेस्ट्रम)को बच्चे को अवश्य पिलाने की वकालत की।डा0 भट्ट ने बताया कि कोलेस्ट्रम बच्चे को पैदा होने के प्रथम  माह में होने वाली तमाम बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करता है और उसे हस्ट पुष्ट भी बनाता है। विश्व स्तरीय संगठन वी0पी0एन0आई0(बे्रस्ट फीडिंग प्रमोशन नेटवर्किंग आफ इण्डिया)की सदस्या डा0सविता भट्ट ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन प्रत्येक वर्ष प्रथम जुलाई को विश्व स्तनपान दिवस के रुप में मनाता है और यह कार्य वर्ष 1993 से जारी है। परन्तु अफसोस की बात यह है कि आज भी इस देश में 76प्रतिशत महिलाएं अपने बच्चों केा अपने सबसे कीमती तोहफे यानि स्तनपान से महरुम रखती है,इससे बड़ा अन्याय एक माॅ का अपने बच्चे के साथ और क्या होगा। उन्होने याद दिलाया कि प्राचीन भारत में स्तनपान बड़ी संख्या में महिलाएं करती थी।जो आज विदेशी महिलाओं के चलन का शिकार होकर बोतल के दूध पर अपने बच्चों को डाल देती है।इससे नवजात शिशु दो तरह की बीमारियों डायरिया व निमोनिया से ग्रसित हो जाता है।जो उसके जीवन के लिए घातक बन जाती है।उन्होने आशा बहुओं से अपील की कि वह गांव की बड़ी बुढ़ियों जिन्हे स्तनपान का अच्छा तर्जुबा रहा है के साथ मिलकर ग्रुप बनायें और क्षेत्र की महिलाओं में स्तनपान के लिए जागरुकता पैदा करें।स्तनपान के लिए सही विधि का प्रशिक्षण उन्हे दे तभी स्तनपान की मुहिम सफल होगी।इससे पूर्व केयर श्योर स्टार्ट प्रोजेक्ट नामक संस्था के जिला  समन्यवक मनोज राय एवं फील्ड आफीसर आनन्द ने  स्तनपान के विषय पर अपने विचार रख्ेेा। कार्यक्रम का संचालन केयर संस्था के अशोक ने किया। इस अवसर पर हरख ग्राम की आशा  आशा देवी,सुरसण्डा ग्राम  की आशा फातिमा व मंजीठा ग्राम की  आशा गीता को पुरस्कृत किया गया तथा साजिदा व उनके पति समशुल हसन नि0मंजीठा को उत्तम युगल जोड़ी घोषित करते हुए प्र्रथम पुरुस्कार दिया गया।जबकि रजनी व शिव चरन नि0कमरावाॅ को द्वितीय तथा परवीन बानो पत्नी मो0वैश नि0 मंझपुरवा को तृतीय पुरुस्कार उत्तम जच्चा व उनके सहयोग देने वाले पतियों केा सहयोग दिया गया।

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