लंदन.यह कहना है उस इराकी व्यक्ति का जिसकी गवाही पर अमेरिका ने इराक पर हमले की योजना तैयार की। ‘कर्वबॉल’ के नाम से पहचाने गए इस मुखबिर रफीद अहमद अलवान अल-जनाबी ने एक इंटरव्यू में कहा कि उसने देश में जैविक युद्ध संबंधी चलित प्रयोगशालाएं बनने की झूठी सूचना अमेरिका को दी थी।
द गार्डियन में छपे इस इंटरव्यू में रफीद ने कहा, ‘मुझे ऐसा झूठ गढ़ने का मौका मिला जिसने देश की सत्ता बदल दी। मुझे और मेरे बेटों को इस पर गर्व है।’ रफीद ने इराक युद्ध शुरू होने के कुछ दिन पहले ही अमेरिकी गुप्तचरों को इसकी सूचना दी थी जिसके आधार पर 2003 में अमेरिकी विदेशमंत्री कोलिन पॉवेल ने सुरक्षा परिषद में भाषण देकर इराक पर हमले को जायज ठहराया था।
भले ही अमेरिका के कुछ बड़े गुप्तचरों को ‘कर्वबॉल’ की सूचना पर संदेह था, लेकिन 2004 में सीनेट की इंटेलिजेंस कमेटी को बताया गया कि सीआईए ने ‘कर्वबॉल’ की विश्वसनीयता पर उठे सवालों को दबा दिया था। अखबार ने रफीद का इंटरव्यू जर्मनी के शहर में लिया।
यह इंटरव्यू अरबी और जर्मन भाषाओं में लिया गया जबकि सीआईए ने बताया था कि ‘कर्वबॉल’ सीआईए की पूछताछ में अंग्रेजी और अरबी में जवाब दे रहा था। उसने कहा सद्दाम हुसैन कोई आजादी नहीं दे रहे थे, कोई राजनीतिक दल नहीं था। जो सद्दाम कहते थे आपको उसी पर भरोसा करना पड़ता था। मुझे अपने देश के लिए कुछ करना था इसलिए मैंने ऐसा किया। मैं संतुष्ट हूं। तानाशाह नहीं रहा।
बुधवार, 8 जून 2011
इस एक 'झूठ' के चलते इराक पर हुई बमों की बरसात
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