गुरुवार, 13 अक्तूबर 2011

कितने एकजुट हैं यूरोपीय राजनेता?


सरकारें गिर रही हैं, यूरोपीय संघ की शिखर भेंट टल रही है और जर्मनी तथा फ्रांस कर्ज संकट से बाहर निकलने के लिए भारी दबाव में समाधान तलाश रहे हैं. यूरोप की राजनीति इस समय असली दबाव का सामना कर रही है.

यूरोपीय संघ के शिखर भेंट को 23 अक्टूबर तक छह दिनों के लिए स्थगित कर दिया गया है. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल और फ्रांसीसी राष्ट्रपति निकोला सारकोजी को कर्ज संकट से निबटने का फॉर्मूला तैयार करने के लिए और वक्त चाहिए. वे यूरोपीय परिषद के प्रमुख हरमन फान रॉमपॉय के साथ मिलकर व्यापक पैकेज तैयार कर रहे हैं. यह समाधान जैसा भी होगा, उसे लागू करना मुश्किल होगा. यूरो जोन और यूरोपीय संघ में कर्ज संकट के कारण एकजुटता की भीष्म परीक्षा हो रही है.

जब से यूरोप वित्त और कर्ज संकट की चपेट में है, 17 यूरो देशों में से सात में सरकार बदली जा चुकी है. तीन अन्य देश में चुनाव होने वाले हैं. इनमें स्लोवाकिया भी है जहां बचाव पैकेज पर विवाद के कारण सरकारी गठबंधन टूट गया है. इटली में राष्ट्रपति जॉर्जियो नापोलिटानो ने कहा है कि सिल्वियो बैर्लुस्कोनी की सरकार अक्षम हो गई है. फ्रांस में राष्ट्रपति सारकोजी ने संसद के ऊपरी सदन सीनेट में बहुमत खो दिया है. उन्हें अप्रैल 2012 में चुनाव का सामना करना है. जर्मनी में भी यूरो संकट के कारण सीडीयू, सीएसयू और एफडीपी के गठबंधन पर अटकलें लगाई जा रही हैं. बेल्जियम में कार्यवाहक सरकार है तो हॉलैंड में अल्पमत सरकार सत्ता में है. सिर्फ चार यूरो देशों लक्जेमबुर्ग, ऑस्ट्रिया, एस्तोनिया और माल्टा में सत्ता संतुलन सचमुच स्थिर है. यूरो जोन के राजनीतिक नक्शे पर नजर डालने से साफ हो जाता है कि यदि नियमित रूप से नए नए सरकार प्रमुख मेज पर बैठें तो यूरोपीय शिखर सम्मेलन में जरूरी बचाव पैकेज को पास कराना कितना मुश्किल है.

कौन बनेगा संकटमोचन

जर्मनी और यूरोप में फिर से बहुत से लोग और राजनीतिज्ञों को नेता का इंतजार है, जो बताए कि क्या करना है. लेकिन ऐसा नेता खोजना मुश्किल है, यह कहना है कि ब्रसेल्स में यूरोपीय संसद में सोशल डेमोक्रैटों के वित्त विशेषज्ञ ऊडो बुलमन का. "यूरोप के शासकों में बहुत कम नेतृत्व देने वाले शख्स हैं जिनमें लोगों के सामने आने यह कहने की हिम्मत हो कि मैं कुछ अलोकप्रिय कर रहा हूं, लेकिन यह करना ही होगा. मुझे यह सीमा पार करनी होगी ताकि मैं कल कह सकूं कि मैं सब के लिए बेहतर भविष्य की सुरक्षा कर सका."

यूरोप में नेतृत्व के अभाव की चिंता यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष होजे मानुएल बारोसो को भी सता रही है. कर्ज संकट में यूरोपीय आयोग ने भी प्रभाव खोया है. सदस्य देशों की सरकारों ने बचाव पैकेज और फौरी कदमों का फैसला यूरोपीय संस्थानों के बिना ही कर लिया है. इसीलिए बारोसो यूरोपीय आयोग को संघ की आर्थिक सरकार बनाने और संस्थानों को मजबूत करने की वकालत कर रहे हैं. उनका कहना है कि एकल सरकारों का जो फैसला सभी पर असर करता हो, उसे प्रभावित करने का हक सभी देशों को होना चाहिए.

धनी देशों की फिक्र

यूरो जोन के अब तक समृद्ध देश, जिंहें रेटिंग एजेंसियों से अच्छे मार्क्स मिल रहे हैं, मिलजुलकर कर्ज का बोझ उठाने या साधा बॉन्ड जारी करने का विरोध कर रहे हैं. इसकी मांग कर्ज में डूबे देश कर रहे हैं. लेकिन यूरोपीय संसद में सीएसयू पार्टी के सांसद मार्कुस फैर्बर का कहना है कि जर्मन, नीदरलैंड, ऑस्ट्रिया, फिनलैंड, लक्जेमबुर्ग और फ्रांस एकजुटता को उत्तर से दक्षिण की ओर धन प्रवाह का एकतरफा रास्ता नहीं मानते. उनका कहना है कि जर्मनी और दूसरे देशों ने समय रहते अपनी प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ाई है और अब उन्हें दाता देश नहीं समझा जाना चाहिए. उनका कहना है कि जर्मन करदाताओं के लिए यह अच्छी संभावना नहीं होगी.

"विकृत एकजुटता"

इसके विपरीत स्लोवाकिया के नवउदारवादी संसद अध्यक्ष रिचर्ड सूलिक कहते हैं कि यूरोपीय एकजुटता का नतीजा यह नहीं होना चाहिए कि गरीब देशों से अपेक्षाकृत धनी देशों की मदद के लिए धन लिया जाए. उनका कहना है कि ग्रीस दिवालिया है, और इसके लिए खुद जिम्मेदार है. उन्होंने इसे विकृत एकजुटता की संज्ञा दी कि गरीब स्लोवाकिया अपेक्षाकृत धनी ग्रीस के लिए टैक्स बढ़ाए. बचाव पैकेज के खिलाफ सूलिक के विरोध के कारण स्लोवाकिया की सरकार टूट गई.

स्लोवाकिया ही नहीं, दूसरे देशों में भी संकट से निबटने के तरीके का विरोध हो रहा है. फिनलैंड ने बचाव पैकेज तय करते समय विशेष अधिकारों की मांग की. नदरलैंड की सरकार यूरो विरोधियों के समर्थन पर निर्भर है जबकि फ्रांस में उग्र दक्षिणपंथी नैशनल फ्रंट राष्ट्रपति चुनावों में यूरोप विरोधी माहौल बना रही है. जर्मनी में भी जनमत सर्वेक्षण दिखा रहे हैं कि यूरोप समर्थकों की संख्या घट रही है. सीएसयू सांसद फैर्बर अधिक लोकतांत्रिक नियंत्रण की मांग करते हैं. उनका कहना है कि जर्मन चांसलर और फ्रांसीसी राष्ट्रपति को अकेले बड़ी योजना तय करने का हक नहीं होना चाहिए. "यहां छोटे ग्रुप में कोई फैसला लिया जा रहा है जिसका देशों पर भारी असर होगा. इसे पहले न तो वैधता दी जा रही है और न ही नियंत्रित किया जा रहा है."

अधिक यूरोप की मांग

ग्रीस के लिए कर्ज की माफी, यूरोप में बैंकों की स्थिरता, और इटली तथा स्पेन को शामिल करने लायक बड़ा बचाव पैकेज, यह वित्त विशेषज्ञों की राय में वह समाधान है जिसपर यूरो को सक्षम बनाए रखने के लिए सहमत होना होगा. शुरुआती हीलहवाले के बाद जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल यूरोप को अधिक अधिकार देने और एक सही आर्थिक सरकार के गठन के लिए के लिए प्रतिबद्ध दिखती हैं. उनका कहना है, "यदि हमें लगता है कि मुद्रा संघ सही नहीं चल रहा है तो संधि में परिवर्तन कोई वर्जना नहीं होना चाहिए."

लिस्बन संधि के अनुमोदन में दो साल लग गए. इसे समस्या के समाधान का तेज रास्ता नहीं कहा जा सकता. दूसरी ओर संधि के परिवर्तन के लिए चांसलर को अपने गठबंधन में भी समर्थन नहीं मिलेगा. सीएसयू यूरोप को और अधिकार देने की विरोधी है. एफडीपी अपने सदस्यों से पूछ रही है कि वे बचाव पैकेज का कितना विरोध कर रहे हैं. यूरोप के लिए अधिक अधिकारों के सवाल पर जर्मन गठबंधन सरकार भी टूट सकती है. लेकिन वह अकेली नहीं होगी, बल्कि कर्ज संकट की बलि चढ़ने वाली यूरो जोन की एक और सरकार होगी.

रिपोर्ट: बैर्न्ड रीगर्ट/मझा

संपादन: एन रंजन

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