लखनऊ |
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को सड़कों पर और इनके किनारे बने
धार्मिक स्थलों को हटाने के आदेश दिए हैं। राज्य सरकार से यह सुनिश्चित
करने को भी कहा है कि राजमार्गों, सड़कों, पैदल पथों और लेन सहित सभी
मार्गों पर किसी धार्मिक ढांचे की इजाजत नहीं होगी। इसमें किसी तरह का
उल्लंघन प्रशासन और पुलिस अधिकारियों की ओर से कोर्ट की अवमानना माना
जाएगा। जस्टिस सुधीर अग्रवाल और राकेश श्रीवास्तव की लखनऊ बेंच ने कहा कि
जनवरी, 2011 के बाद सार्वजनिक मार्गों पर बने सभी धार्मिक ढांचों को हटाया
जाएगा और संबंधित डीएम की ओर से दो महीने के भीतर राज्य सरकार को रिपोर्ट
सौंपनी होगी। जो धार्मिक ढांचे इससे पहले बनाए गए हैं, उनको किसी निजी
भूखंड पर स्थानांतरित किया जाएगा या फिर छह महीने के भीतर हटाया जाएगा।
कोर्ट ने शुक्रवार को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया।
लखनऊ के मोहल्ला डौडा खेड़ा में सरकारी जमीन पर मंदिर बनाकर कथित तौर पर अतिक्रमण किए जाने के खिलाफ 19 स्थानीय लोगों ने यह याचिका दायर की थी। बेंच ने कहा कि हर नागरिक के पास स्वतंत्र आवाजाही का मौलिक अधिकार है और उल्लंघन करने वाले कुछ लोगों और सरकारी प्रशासन की उदासीनता की वजह से इसके उल्लंघन की इजाजत नहीं दी जा सकती। बेंच ने राज्य सरकार से एक योजना तैयार करने के लिए कहा ताकि धार्मिक गतिविधियों की वजह से सार्वजनिक सड़कें भविष्य में प्रभावित न हों। http://www.bhaskar.com/news/MP-OTH-MAT-latest-dhar-news-024003-348744-NOR.html
लखनऊ के मोहल्ला डौडा खेड़ा में सरकारी जमीन पर मंदिर बनाकर कथित तौर पर अतिक्रमण किए जाने के खिलाफ 19 स्थानीय लोगों ने यह याचिका दायर की थी। बेंच ने कहा कि हर नागरिक के पास स्वतंत्र आवाजाही का मौलिक अधिकार है और उल्लंघन करने वाले कुछ लोगों और सरकारी प्रशासन की उदासीनता की वजह से इसके उल्लंघन की इजाजत नहीं दी जा सकती। बेंच ने राज्य सरकार से एक योजना तैयार करने के लिए कहा ताकि धार्मिक गतिविधियों की वजह से सार्वजनिक सड़कें भविष्य में प्रभावित न हों। http://www.bhaskar.com/news/MP-OTH-MAT-latest-dhar-news-024003-348744-NOR.html
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