शनिवार, 25 मार्च 2023

विदेशी मीडिया की नजर में राहुल गांधी

ब्रिटिश अख़बार द गार्डियन ने शीर्षक दिया है, 'मानहानि मामले में भारतीय विपक्षी नेता संसद से निष्कासित.' अख़बार लिखता है कि भारत के विपक्षी नेता राहुल गांधी को मानहानि मामले में सज़ा मिलने के 24 घंटों के बाद संसद से निष्कासित कर दिया गया. अख़बार ने लिखा है कि राहुल गांधी तुरंत जेल नहीं जाएंगे क्योंकि उन्हें ज़मानत मिल चुकी है. अगर उच्च न्यायालय उनकी सज़ा पर स्टे लगा देता है तो वो लोकसभा सदस्यता के लिए फिर से योग्य हो जाएंगे. राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता जाने के बाद उनके संसदीय क्षेत्र वायनाड में उपचुनाव भी हो सकते हैं. उनका राजनीतिक भविष्य धुंधला हो गया है. अख़बार ने राजनीतिक मामलों के शोधकर्ता आसिम अली के हवाले से लिखा है कि वो बीजेपी के राहुल गांधी पर ध्यान केंद्रित करने से हैरान हैं. वो कहते हैं, ''मुझे नहीं समझ आ रहा है कि ये कैसी रणनीति है क्योंकि इससे राहुल और कांग्रेस को ही फ़ायदा हो सकता है. वो (कांग्रेस) बता सकती है कि बीजेपी राहुल से असुरक्षित है और इससे कांग्रेस की ये बात साबित होती है कि सरकार मोदी की आलोचना बर्दाश्त नहीं कर सकती.'' अख़बार ने लिखा है कि राहुल गांधी को बीजेपी एक 'बच्चे और अनुभवहीन' शख़्स की तरह पेश करती है लेकिन पिछले साल की 2200 मील की यात्रा से उनकी छवि में विश्वसनीयता और वज़न आया है. वहीं, भारत में पार्टी के बाहर कई लोग इस बात से उलझन में हैं कि साल 2019 के आम चुनाव में 539 में से 233 सांसदों के ख़िलाफ़ आपराधिक मामले होने के बावजूद राहुल गांधी ही अयोग्य कैसे हो गए? 'आम चुनाव और कांग्रेस की मुश्किल' अमेरिकी अख़बार न्यूयॉर्क टाइम्स ने शीर्षक दिया है, ''राहुल गांधी को संसद से निष्कासित करके मोदी के सहयोगियों ने एक शीर्ष प्रतिद्वंद्वी को विफल किया.'' अख़बार ने लिखा है कि राहुल गांधी ने चार साल पहले पीएम नरेंद्र मोदी को चुनौती दी थी. उन्होंने पीएम मोदी को भारत की बहु-संप्रदाय की परंपरा को ख़त्म करने वाला हिंदू राष्ट्रवादी नेता बताया था जो देश के लोकतंत्र को ख़त्म कर सकता है. शुक्रवार को मोदी के सहयोगियों ने उनका ये काम पूरा कर दिया. अधिकारियों ने कोर्ट के राहुल गांधी को दोषी मानने के एक दिन बाद ही उन्हें संसद से अयोग्य करार दे दिया है. देश में अगले साल आम चुनाव होने वाले हैं और मानहानि का ये मामला राहुल गांधी और कांग्रेस को सालों की क़ानूनी लड़ाई में फंसा सकता है. अख़बार के मुताबिक पीएम मोदी के संभावित प्रतिद्वंद्वियों को मात देने के लिए उनके सहयोगियों ने ये सबसे कड़ा कदम उठाया है और विरोध की आवाज़ के ख़िलाफ़ कार्रवाई की है. पीएम मोदी दुनिया के नेताओं को याद दिलाते रहते हैं कि भारत एक इस ग्रह का सबसे बड़ा लोकतंत्र है. लेकिन, उनके आलोचक उन पर और उनकी पार्टी पर देश की राजनीतिक प्रणाली को 'चुनावी तानाशाही' में तब्दील करने की कोशिश करने का आरोप लगाते हैं अख़बार ने राहुल गांधी की सदस्यता रद्द होने की ख़बर देते हुए लिखा है कि राहुल गांधी खुद को पीएम मोदी का मुख्य प्रतिद्वंद्वी मानते हैं लेकिन उनकी पार्टी कांग्रेस का पिछले दो आम चुनावों में ख़राब प्रदर्शन रहा है. वो हाल के महीनों में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाकर और मोदी सरकार पर भारत के लोकतंत्र की छवि बिगाड़ने का आरोप लगाकर मतदाताओं को लुभाने की कोशिश करते रहे हैं. पिछले साल राहुल गांधी ने एक लोकप्रिय ''एकता मार्च'' निकाला था और मोदी सरकार पर देश को बांटने का आरोप लगाया था. विपक्ष पीएम मोदी की राजनीतिक पार्टी (बीजेपी) को हाल के सालों में मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ 'हेट स्पीच' और हिंसा को बढ़ावा देने का दोषी मानता है. हालांकि, बीजेपी इन आरोपों से इनकार करती है और उनके समर्थक कहते हैं कि गुजरात से एक चाय बेचने वाले के बेटे ने देश की स्थिति में सुधार किया है. बीजेपी और क़ानून का इस्तेमाल रेडियो फ्रांस इंटरनेशनल (आरएफ़आई) ने भी इस ख़बर को प्रकाशित किया है. आरएफ़आई ने अपनी ख़बर में लिखा है कि राहुल गांधी को मानहानि मामले में सज़ा मिलने के अगले दिन भारत की संसद से निष्कासित कर दिया गया. आरएफ़आई ने कहा है कि मोदी सरकार पर आलोचकों को निशाना बनाने और उन्हें चुप कराने के लिए क़ानून के इस्तेमाल करने का आरोप लगाया जाता है. राहुल गांधी का ये मामला पीएम मोदी के गृह प्रदेश गुजरात में उनके मुख्य विरोधियों के ख़िलाफ़ दर्ज मामलों में से एक है. कांग्रेस का आरोप है कि राहुल गांधी को संसद के अंदर और बाहर निडर होकर बोलने के कारण ये कीमत चुकानी पड़ी है. वहीं, बीजेपी का कहना है कि राहुल गांधी बार-बार ऐसे बयान देते हैं और सोचते हैं कि वो कुछ भी कह सकते हैं क्योंकि उनके ख़िलाफ़ कुछ नहीं होगा. आरएफ़आई ने लिखा है कि पहले भी भारत में सांसदों या विधायकों को अयोग्य करार दिया गया है. 1977 में कोर्ट के फ़ैसले में राहुल गांधी की दादी इंदिरा गांधी की सदस्यता रद्द कर दी गई थी. लेकिन, हाल के सालों में मोदी सरकार के आलोचक रहे विपक्षी नेताओं और संस्थाओं के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई की गई है. राहुल गांधी पर भी दो मानहानि और एक मनी लॉन्ड्रिंग के मामले चल रहे हैं क़तर के समाचार चैनल अल जज़ीरा ने शीर्षक दिया है, ''भारत के राहुल गांधी संसद से अयोग्य हुए.'' कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने अल जज़ीरा से बात करते हुए कहा है कि पार्टी ''इसे क़ानूनी और राजनीतिक तौर पर लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार है. हम जनता की अदालत में हैं और जहां तक क़ानूनी विकल्प की बात है तो हमारे क़ानूनी सलाहकर इसे देख रहे हैं.'' राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता ख़त्म होने का कांग्रेस पर क्या होगा असर? ''सरकार को ये लगने लगा है और अगर नहीं लगता है तो जल्दी ही पता चल जाएगा कि राहुल गांधी उनके लिए संसद में उतने ख़तरनाक नहीं हैं जितने कि भारत की सड़कों पर. जनता उनके साथ है.'' अख़बार लिखता है कि राहुल गांधी कभी भारतीय राजनीति में प्रभावी रही कांग्रेस का लोकप्रिय चेहरा हैं. वह भारत के सबसे प्रसिद्ध राजनीतिक परिवार से आते हैं और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के पोते हैं. लेकिन, उन्होंने मोदी के चुनावी रथ और देश के हिंदू बहुसंख्यकों में उनकी राष्ट्रवादी अपील को चुनौती देने के लिए संघर्ष किया है.

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