मंगलवार, 4 अप्रैल 2023

विपक्ष में एक राजनेता हमेशा अपने शब्दों को सुनहरे तराजू में नहीं तौल सकता-राहुल गांधी

अपील में राहुल गांधी ने क्या दी है दलील कांग्रेस नेता राहुल गांधी मोदी सरनेम मानहानि केस में सजा के फैसले के खिलाफ 11वें दिन सूरत के सेशंस कोर्ट में अपील दाखिल की। इसमें उन्होंने फैसले को चुनौती देते हुए उसे कई तरीके से गलत और अन्यायपूर्ण बताया है। अपील में राहुल ने याचिक में फिर से जिक्र किया है मोदी समाज जैसी की चीज रिकॉर्ड में नहीं है। राहुल गांधी की अपील पर 13 अप्रैल को सेशंस कोर्ट में सुनवाई होगी कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सूरत के सेशंस कोर्ट में दाखिल अपील में खुद को मानहानि का दोषी करार दिए जाने को साफतौर से गलत बताते हुए कहा है कि निचली अदालत ने उनके साथ कठोर व्यवहार किया। राहुल गांधी के वकील की तरफ दाखिल अपील अर्जी में कहा गया है कि उन्हें इस तरह से सजा दी गई ताकि उन्हें एक सांसद के तौर अयोग्य दर्शाया जा सके। राहुल गांधी की अपील में दोषी करार को गलत बताते हुए ग़लत, साफ़ तौर पर और विकृत शब्दों का प्रयोग किया है। राहुल गांधी ने अदालत से कहा है कि रिकॉर्ड में निश्चित मोदी समाज और समुदाय जैसी कोई चीज नहीं है। इसलिए उनकी दोषसिद्धि को निलंबित किया जाए। तथ्यों और सबूतों की अनदेखी निचली अदालत के फैसले को कठाेर बताते हुए राहुल गांधी ने अपनी अर्जी में कहा कि चीफ ज्यूडिशयल मजिस्ट्रेट ने जो फैसला दिया है वह साफ तौर गलत और विकृत है, क्योंकि आपराधिक मुकदमे की सुनवाई में साक्ष्य सबसे अहम हाेते हैं, लेकिन यहां पर इनकी अनदेखी की गई। न्यायिक सिद्वांत का घोर उल्लंघन हुआ है। इस मामले में गैरकानूनी-अनुचित तथ्यों और परिस्थितियों को साक्ष्य मानकर याचिकाकर्ता (राहुल गांधी) को आरोपी बना दिया गया। राहुल गांधी ने अपने वकील के माध्यम से दायर याचिका में दावा किया कि दोषसिद्धि का फैसला और सजा का आदेश बिना किसी सबूत के पारित किया गया। सूरत सेशंस कोर्ट में याचिका दाखिल करने के बाद राहुल गांधी। विपक्ष में एक राजनेता हमेशा अपने शब्दों को सुनहरे तराजू में नहीं तौल सकता, यह अदालतों पर निर्भर है कि वे भाषण के सार और भावना पर ध्यान दें। राहुल गांधी की सेशंस कोर्ट दाखिल अपील में बयान का सार देखा जाए याचिका में कहा गया है कि निचली अदालत का फैसला ऐसी मान्यताओं और अनुमानों के आधार पर है, जो आपराधिक मामले में बिल्कुल भी मान्य नहीं हैं। इतना ही नहीं दोषसिद्धि और सजा का आदेश कानून की दृष्टि भी गलत है। सजा सबूतों के वजन से कहीं ज्यादा है। याचिका में राहुल ने दलील दी है कि कोर्ट ने सांसद के तौर जिम्मेदार व्यक्ति मानते हुए अधिकतम सजा दी। वहीं उन्होंने यह नहीं देखा कि एक विपक्ष का सांसद हमेश सुनहरे शब्दों में अपनी बात नहीं कह सकता है। यह असंभव है। राहुल गांधी ने अपनी याचिका में कहा है कि ऐसे में मोदी सरनेम से जुड़े उनके बयान का सार (आशय) क्या था? इसे देखा जाना चाहिए न कि टोन (सुर) और टेनर (अभिप्राय) को। राहुल गांधी ने याचिका में दलील दी है कि लोकतंत्र में विपक्ष के सांसद से उम्मीद की जाती है कि वह हमेशा सतर्क और आलोचनात्मक हो, लेकिन निचली ट्रायल कोर्ट ने उनके बयान को विपक्ष के सांसद के बयान को सतर्क और आलोचनात्मक परिपेक्ष्य में नहीं देखा और यह मान लिया कि सांसद अपनी स्थिति के कारण सर्वोच्च सजा पाने का हकदार है। यह पूरी तरह से अनुचित और स्पष्ट रूप से अन्यायपूर्ण है। राहुल गांधी की अपील पर सूरत सेशंस कोर्ट में 13 अप्रैल को एडीजे रॉबिन मोगेरा सुनवाई करेंगे।

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