गुरुवार, 27 अप्रैल 2023

तय हो जाएगा कि कौन शोषित के साथ है और कौन शोषण करने वाले के साथ'

पहलवानों का धरना : ''तय हो जाएगा कि कौन शोषित के साथ है और कौन शोषण करने वाले के साथ'' -नाज़मा ख़ान देश की राजधानी दिल्ली में 23 अप्रैल से एक बार फिर इंटरनेशनल कुश्ती पहलवान धरने पर बैठ गए हैं और इस बार उन्हें कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, लेफ्ट के साथ ही खाप और किसान संगठनों का भी समर्थन मिल रहा है। इंटरनेशनल खिलाड़ी, कोच, खिलाड़ियों के बहुत से समर्थक, आस-पास बैठी बुजुर्गों की टोली दिल्ली के जंतर-मंतर पर जो माहौल है वो देखने में ऐसा लग रहा था जैसे किसी दंगल की तैयारी चल रही हो, लेकिन ये किसी दंगल की तैयारी नहीं बल्कि एक बेहद संजीदा मुद्दे को लेकर चल रहे धरने की तस्वीर है। 23 अप्रैल रविवार के दिन से दिल्ली के जंतर-मंतर पर बैठे भारतीय पहलवान विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया के चेहरे उतरे लग रहे थे बिना खाए-पिए लगातार मीडिया के लोगों के सामने अपनी बात रखते-रखते थक चुके इन खिलाड़ियों से हमने ऑफ कैमरा हाल-चाल जानने की कोशिश की, हम समझना चाहते थे कि इंटरनेशनल लेवल के खिलाड़ी, देश का नाम रौशन करने वाले वे खिलाड़ी जो देश के असली हीरो हैं, सेलिब्रिटी रुतबा रखते हैं लेकिन आज उन्हें पीड़ित बना दिया गया है। ऐसे में उनके ज़ेहन में क्या चल रहा है? संगीता फोगाट ने इस सवाल का जवाब में कहा कि ''आप देख ही रही हैं कि हम खुले आसमान के नीचे पड़े हैं लेकिन हमारी बात नहीं सुनी जा रही है।'' सवाल: इतने लोग आपके समर्थन में उतर आए हैं... जवाब- हम उन तमाम लोगों के दिल से शुक्रगुजार हैं, बहुत से लोग धरने को समर्थन देने पहुंच रहे हैं अभी और लोग आएंगे, हमारे आत्मसम्मान की लड़ाई में बहुत से लोगों का साथ मिल रहा है। गौरतलब है कि जनवरी में पहलवानों के धरने को समर्थन देने पहुंची भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ( मार्क्सवादी) नेता वृंदा करात को पहलवानों ने मंच पर आने से रोक दिया था। लेकिन अब धरने पर बैठे पहलवान लगातार सबसे अपील कर रहे हैं कि उनके धरने को समर्थन की ज़रूरत है, ''हमारे मंच पर सबका स्वागत है''। पहलवानों की इस अपील का असर जंतर-मंतर पर साफ़ दिखाई दे रहा है, देर शाम वृंदा करात और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा बारी-बारी से जंतर-मंतर पहुंचे। खिलाड़ियों की लड़ाई में शामिल हुए भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि '' दुनियाभर में तिरंगे का सम्मान बढ़ाने वाले आज अपने स्वाभिमान और न्याय की लड़ाई लड़ रहे हैं हम इस लड़ाई में उनके साथ हैं।'' धरने पर बैठे पहलवानों को मिला किसान संगठनों का साथ नेताओं से पहले पहलवानों की अपील पर कई खाप के नेता और किसान संगठनों से जुड़े लोग भी जंतर-मंतर पहुंचे और पहलवानों के मान-सम्मान की लड़ाई को पूरे देश तक ले जाने का ऐलान किया। हन्नान मोल्लाह, (वाइस प्रेसिडेंट, ऑल इंडिया किसान सभा) ने कहा कि ''आज किसानों की बेटियों की इज्जत पर हमला हो रहा है, एक तरफ प्रधानमंत्री किसानों से बड़े-बड़े वादे कर रहे हैं और उन्हीं किसानों की बेटियों के साथ ऐसा व्यवहार किया जा रहा है, बच्चियों के साथ हुई घिनौनी हरकत के खिलाफ़ हम विरोध-प्रदर्शन करने यहां आए हैं, एक तरफ बोला जाता है 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' और दूसरी तरफ बेटियों की इज्जत ख़तरे में है और आरोप लग रहे हैं बड़े-बड़े एमपी पर जिनपर इन बच्चियों को ट्रेनिंग देकर उन्हें आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी थी।" किसान संगठनों का बड़ा ऐलान इसके साथ ही हन्नान मोल्लाह ने एक बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि '' 27 अप्रैल को पूरे हिंदुस्तान में, कॉलेज, स्कूल में, बाज़ार में, मोहल्लों में, गांव में हम पांच संगठन ( ऑल इंडिया किसान सभा, ऑल इंडिया एग्रीकल्चर वर्कर्स यूनियन, SFI, DYFI, CITU) मिलकर इस अन्याय के खिलाफ़ इस जुल्म के खिलाफ़ प्रोटेस्ट करेंगे। ''तय हो जाएगा कि कौन शोषित के साथ है और कौन शोषण करने वाले के साथ है'' अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन से जुड़े विक्रम सिंह ने कहा कि ''जो लड़ाई यहां खिलाड़ी लड़ रहे हैं ये लड़ाई पूरे देश की लड़ाई है, महिलाओं के साथ यौन शोषण करने वालों को सरकार जो बचाती है ये सबसे बड़े स्तर पर सामने आया है। हमारे देश के लिए गोल्ड मेडल जीतने वाली जो पूरे देश की बच्चियों को खेलों में आने के लिए प्रेरित करती हैं, वे इन हालात में भी ये संदेश देने की कोशिश कर रही हैं कि देश में कहीं भी किसी भी बच्ची के साथ यौन शोषण हो तो उसके खिलाफ़ लड़ना है। हम आए हैं क्योंकि इस वक़्त पूरा देश इनके साथ है ये सिर्फ़ इनकी लड़ाई नहीं है, और ये सरकार पूरे देश की आवाज़ को अनसुना कर रही है, और दोषियों के साथ वे खड़े हैं।'' सवाल: चाहे किसान हो या फिर छात्र या फिर अब ये खिलाड़ी क्या न्याय के लिए धरना, कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाना जैसी नौबत क्यों आती है? विक्रम सिंह का जवाब- ये दर्शाता है कि हमारा लोकतंत्र कहाँ पहुंच गया है? मोदी जी विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने का दंभ भरते हैं पर उनकी कार्यप्रणाली, उनकी सरकार की कार्यप्रणाली वे किस तरह से RSS की गैर लोकतांत्रिक तरीके से प्रभावित है,ये दिख रहा है, इसलिए आज न्याय नहीं मिल पा रहा है, जो न्याय पाने की प्रक्रिया हैं, पुलिस को अपना काम करना है, न्यायपालिका है उन्हें ठीक से काम नहीं करने दिया जा रहा इसलिए हमें सड़कों का रास्ता इख्तियार करना पड़ रहा है, हम लोगों ने तय किया है 27 तारीख को पूरे भारत के अंदर छात्र, नौजवान, किसान, मजदूर, महिला सब मिलकर इस मुद्दे पर प्रदर्शन करेंगे और बताएंगे की देश की जनता इन खिलाड़ियों के साथ खड़ी है और फिर तय हो जाएगा कि कौन शोषित के साथ है और कौन शोषण करने वाले के साथ है । खाप का मिला साथ पहलवानों के धरने को समर्थन देने के लिए हरियाणा और उत्तर प्रदेश के अलग-अलग खाप से जुड़े नेता भी पहुंच रहे हैं, चौधरी सुरेंद्र सोलंकी, बाबा परमिंदर आर्य के साथ ही कई और खाप से जुड़े नेताओं ने जंतर-मंतर का रुख किया है। चौधरी सुरेंद्र सोलंकी ने कहा कि'' प्रधानमंत्री जी कहते हैं कि मैं खिलाड़ियों का बहुत सम्मान करता हूं तीन पहले पहले भी ये खिलाड़ी सड़क पर बैठे थे और फिर से सड़क पर सोने को मजबूर हैं, तो क्या प्रधानमंत्री जी को दिखता नहीं है? प्रधानमंत्री को ख़ुद इस मामले में संज्ञान लेना चाहिए।'' आम आदमी पार्टी से जुड़ी रीना गुप्ता के साथ एक डेलिगेशन भी जंतर-मंतर पहुंचा और इस मामले में जल्द से जल्द कार्रवाई करने की मांग की, रीना गुप्ता ने हमसे बात करते हुए कहा कि '' ये एक ऐसा आरोप है जिसमें सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि फौरन FIR होनी चाहिए तो जब ये जनवरी से ये मांग की जा रही है तो अपने सांसद को बचाने के चक्कर में ये FIR तक होने नहीं दे रहे हैं, तो हम यहां इन महिला खिलाड़ियों के समर्थन में यहां पहुंचे हैं और हम मांग करते हैं कि फौरन FIR होनी चाहिए और फौरन इसकी जांच होनी चाहिए कि कैसे ये सब पिछले 10 साल से चलता आ रहा है।'' खिलाड़ियों के धरने पर लगातार नेताओं की आमद पर आरोप लगाने वाले आरोप लगा रहे हैं कि धरने को एक राजनीतिक अखाड़े में तब्दील कर दिया गया है। लेकिन ऐसे में सवाल तो ये भी उठ रहा है कि आख़िर कब देश की इन बेटियों की आत्मसम्मान की लड़ाई पर देश के प्रधानमंत्री का ध्यान जाएगा? और जिस पर आरोप लग रहे हैं उसके खिलाफ कार्रवाई होगी? 2016 में आमिर ख़ान की फिल्म आई थी 'दंगल'। हरियाणा की पृष्ठभूमि में बनी ये फिल्म एक पहलवान पिता के अपने बेटियों को कुश्ती के रिंग तक पहुंचाने के संघर्ष को दिखाया गया, फिल्म में एक पिता के सामाजिक बंधनों को दरकिनार कर देश के लिए गोल्ड मेडल लाने की जिद को पेश किया गया, जिसे लोगों ने बहुत सराहा, सिनेमा हाल से निकले वालों के मुंह पर एक ही डायलॉग था ''म्हारी छोरियां छोरों से कम है कै?" फिल्मों में बेटियों के इंटरनेशनल मेडल लाने की कहानी ने बहुत सी बच्चियों को प्रेरणा दी, महिला खिलाड़ियों के ओलंपिक तक पहुंचने और देश का मान बढ़ाने के हौसले के सब कायल हो गए, लेकिन हकीकत में मेडल तक पहुंचने की राह महिला खिलाड़ियों के लिए कितनी स्याह है इसका अंदाज़ शायद उन नेताओं को कभी नहीं लगा जो उनके मेडल लाने पर उनके साथ सेल्फी ले रहे थे। पर आज उसी स्याह सच्चाई को उजागर करने के लिए देश की ये बेटियां देश की राजधानी दिल्ली में जंतर-मंतर पर धरना दे रही हैं, अब देखना ये होगा कि जिस बृजभूषण सिंह पर गंभीर आरोप लग रहे हैं उसपर कब और क्या कार्रवाई होगी?

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