रविवार, 21 मई 2023

राजा का मूड का मूड उखडा हुआ था - अनूप मणि त्रिपाठी

राजा का मूड और राजा का मूड उखड़ा हुआ था. उसने मंत्री को तलब किया. मंत्री: क्या हुआ महाराज! राजा: कुछ मजा नहीं आ रहा! मंत्री: भाषण देंगे महाराज! राजा: उहूँ! मंत्री: कोई नया परिधान बनवाया जाए महाराज! राजा: उहूँ! मंत्री: आखेट पर चलेंगे महाराज! राजा: उहूँ! मंत्री: जासूसी हेतु कोई नया सॉफ्टवेयर खरीदा जाए महाराज! राजा:उहूँ! मंत्री: विदेश से कोई फल या जानवर मंगवाया जाए महाराज! राजा:उहूँ! मंत्री: विरोधियों द्वारा दीं गईं गालियों का हिसाब लगाएंगे महाराज! राजा:उहूँ! मंत्री: फिर कोई नया सिक्का चलवाया जाए महाराज! राजा (मुंह बिचकाते हुए): नहीं! इस बार कुछ नया होना चाहिए! तूफानी टाइप!!! मंत्री (सोचते हुए): प्रेस कांफ्रेंस महाराज.. राजा (घूरते हुए): ऐसा करो! मंत्री(तनते हुए): आदेश करें महाराज! राजा: कुछ दिनों पहले जो सिक्का चलवाया था न... मंत्री: जी महाराज! राजा:उसे बंद करवा दो! मंत्री(चौंकते हुए): वाकई ये नया है महाराज! राजा (खुश होते हुए): अब कुछ मजा आया! मंत्री: फिर चलूं महाराज सरकारी कलमधारी तंत्र के पास... राजा: क्यों! मंत्री: इस योजना का औचित्य,लाभ, ऐतिहासिकता वगैरहा लिखवाने के लिए... राजा (मुस्कुराते हुए): तुम्हें लगता है इसकी आवश्यकता है! मंत्री: कदापि नहीं महाराज! अब तो आप का सिक्का हर जगह चल रहा है! परंतु महाराज यदि आप की आज्ञा हो तो एक प्रश्न पूछूं! राजा: पूछो! मंत्री: ऐसे युगांतकारी विचार आपके दिमाग में आते कैसे हैं! (क्रांतिकारी की जगह मंत्री ने जानबूझकर युगांतकारी कहा) राजा: इसका कनेक्शन दिमाग से नहीं तशरीफ से है! मंत्री (हँसी रोकते हुए): महाराज! राजा (गर्व से): जैसे ही तशरीफ गद्दी पर रखता हूं, स्वत: विचारों का ओवर फ्लो होने लगता है! मंत्री:महाराज की जय हो! राजा: प्रजा को खाली नहीं रखना चाहिए! उसको कोई न कोई नया टास्क देते रहना चाहिए! ताकि कुछ और सोचने-समझने में वह अपना समय बर्बाद न करे! मंत्री (मुस्कुराते हुए): सही कह रहे महाराज! समय की बर्बादी से ही राज्य में समस्याएं अपना सिर उठाने लगती हैं! अगले दिन लोगों को राजा के नये आदेश का पता चल गया. जैसाकि राजा और मंत्री को विश्वास था, वही हुआ. राजा के नये आदेश से लोगों को तकलीफ नहीं हुई, क्योंकि उनको आंखें मूंदकर सब करने की आदत पड़ चुकी थी. अलबत्ता, वे खुश थे कि राष्ट्र निर्माण में उनको योगदान देने का एक सुअवसर (अवसर नहीं) और मिला! -अनूप मणि त्रिपाठी

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