मंगलवार, 22 दिसंबर 2009

ममता जी ! जांच तो पूर्व के सभी कांग्रेसी रेल मंत्रियों की हो

ममता बनर्जी ने रेल मंत्रालय का श्वेत पत्र जारी कर पूर्व के रेल मंत्रियों के कार्यकाल की तुलना की है इसमें लालू यादव को उन्होंने फिस्सडी रेलवे मंत्री बतलाया है और कांग्रेस के रेल मंत्री सी के जाफर शरीफ के कार्यकाल को सबसे अधिक मुनाफे वाला कार्यकाल बताया है ।

ममता बनर्जी का पूरा प्रयास बतौर रेल मंत्री लालू के ऊँचे कद को बौना करना है परन्तु श्वेत पत्र का अवलोकन करने के बाद भी लालू का कद जनता की नज़रों में छोटा नहीं हुआ । आज भी अधिकांश लोग लालू को ही सबसे कामयाब रेल मंत्री मानते हैं कारण यह है कि दिन प्रतिदिन रेलवे की गिरती हालत को पटरी पर अगर कोई लाया तो वह लालू ही थे न केवल इतना रेल मंत्रालय देश का सबसे अधिक मुनाफे वाला मंत्रालय बन गया ।


लालू ने रेल मंत्री बनते ही दो काम ऐसे किये जिनसे रेल की आमदनी रातों-रात बढ़ गयी और वह काम यह थे सबसे पहले उन्होंने लोहे को बाजार से क्रय करना बंद कर अपने स्क्रेप को अपनी भट्टियों में गला कर न केवल रेलवे को सौ करोड़ रुपये के घाटे से बचाया बल्कि स्क्रेप माफियाओं, जो पूरे देश में फैले थे , के पेट पर लात मार दी । इससे पूर्व रेलवे का स्क्रेप औने-पौने में अपनी दबंगई के बूते माफिया खरीद कर सरिया मिलों व अन्य लोहा गलने वाली मिलों को बेचते थे। दूसरा काम जो रेल के फायदे का लालू ने किया वह मालगाड़ियों की रफ़्तार को दो इंजन लगा कर बढ़ाना और मालगाड़ियों में माल की पूरी क्षमता का लोड करना । माल भाड़े को बढ़ाने के उसमें आंशिक कमी कुछ वस्तुओ की लोडिंग में कर के लालू ने रेल मंत्रालय को ट्रांस्पोर्टरों के चंगुल से छुड़ा कर नए ग्राहक दिए। उधर व्यापारियों को भी सस्ते भाड़े में अपना माल पहुँचाने की सुविधा प्राप्त हो गयी और ट्रक ऑपरेटरों की हवा खराब हो गयी।
ममता जी को श्वेत पत्र तो इस बात पर जारी करना चाहिए था कि 90 प्रतिशत रेल मंत्री कांग्रेस के रहे उनके कार्यकाल में यह दोनों काम क्यों नहीं हुए बल्कि जांच की जानी चाहिए थी कि रेलवे का स्केप औने पौने बेच कर बाजार से महंगा लोहा रेलवे कारखानों में क्यों गलाया जा रहा था। इसी प्रकार पूर्व के रेल मंत्रियों की इस भूमिका की जांच होनी चाहिए कि ट्रक ऑपरेटरों को लाभ पहुँचाने के लिए क्यों इतने वर्षों तक मालगाड़ियों को उनकी क्षमता से आधे पर लोड किया जाता रहा और मालगाड़ियों की रफ़्तार क्यों नहीं बधाई गयी।

तारिक खान

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