शनिवार, 5 जून 2010

पूर्व पत्रकार शिवराम भास्कर की हत्या चरित्र के कारण हुई या ब्लेकमेलिंग पर हुई ?

बाराबंकी। 31 मई 2010 की रात 11 बजे थाना जहांगीराबाद के कमरखा ग्राम मे पत्रकारिता से जुडे रहे शिवराम भास्कर की हत्या कर दी गई। पुलिस व उसके गांव के लोगो के अनुसार उसकी हत्या आश्नाई के चक्कर मे हुई है, परन्तु कुछ लोग जिनमें पत्रकार भी शामिल है, यह सन्देह व्यक्त कर रहें है, कि उसकी हत्या इसलिए हुई है कि वह भ्रष्टाचार मे लिप्त कुछ बडे़ संस्थानों  की आखं की किरकिरी बना हुआ था और जिन्हे प्रशासनिक संरक्षण भी प्राप्त था।
    90 के दशक मे शिवराम भास्कर जिसका सम्बन्ध एक दलित परिवार से था, पत्रकारिता जगत से जुड़ा और अपना एक साप्ताहिक हिन्दी समाचार पत्र 'भीम नेतृत्व' निकाला। शिवराम भास्कर उस समय जिलाधिकारी रही, अनीता भट्नागर जैन के विरुद्ध एक विवादित लेख लिखने के कारण चर्चा मे आए और यह चर्चाए उस समय और जोर पकड़ गई जब शिवराम के विरुद्ध तत्कालीन जिलाधिकारी के द्वारा मानहानि का मुकदमा लिखा दिया गया और थोड़े ही समय बाद उसे जेल की सलाखो के बीच पहुॅचा दिया गया। लगभग एक वर्ष तक जेल की हवा खाने के पश्चात उच्च न्यायालय इलाहाबाद की लखनऊ बेंच से उसे राहत मिली और वह ज़मानत पर रिहा हुआ, रिहा होने के पश्चात उसने जवाबी कार्यवाही करते हुये अदालत द्वारा 156 (3) के अन्तर्गत अनीता भट्नागर जैन पर दलित उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज कराया उसके पश्चात शिवराम भास्कर पत्रकारिता जगत से अलग हो गया और गुमनामी के अन्धेरो मे गुम हो गया।
    वर्ष 2007 मे शिवराम भास्कर एक बार फिर सक्रिय हुआ और लखनऊ बाराबंकी राज मार्ग पर स्थित शेरवुड कालेज के विरुद्ध ग्राम समाज की व हरितपट्टिका के लिए सुरक्षित सरकारी भूमि का मुद्दा उसने एक समाज सेवी के रुप मे जोरशोर से उठाया न केवल इतना बल्कि उच्च न्यायालय इलाहाबाद की लखनऊ बेंच ने इस सम्बन्ध मे उसने अपने नाम से एक जनहित याचिका भी दायर कर दी। शिवराम भास्कर द्वारा उठाये गये इस मामले से जिला प्रशासन काफी परेशान रहा, बताते हैं कि शिवराम भास्कर ने काफी कमाई इस प्रकरण से की। समाज सेवी की हैसियत से सफलता पूर्वक धन अर्जित करने का रास्ता पाकर उसके हौसले और बुलन्द हो गये ओैर उसमे प्रदूषण फैलाने के नाम पर कई बड़े उद्योग पतियो पर भी अपना शिकंजा कसा। यहां भी उसे सफलता हाथ लगी। परिणाम स्वरुप उसकी नाजायज़ कमाई अर्जित करने की प्रवृत्ति मे और चार चाॅंद लग गये। देखते देखते भास्कर नाम का खौफ़ उद्योग पतियो व प्रशासनिक अधिकारियो के सिर चढ़कर बोलने लगा। भास्कर की दिनचर्या मे बस स्टैण्ड के पास अड्डेबाजी तथा कचहरी व कलक्ट्रेट आफिस के इर्द गिर्द उसकी चहल कदमी मे शामिल रहता था।
    अचानक सोमवार की सुबह पोस्टमार्टम कक्ष मे जब उसकी लाश लाई गयी तो किसी को यह विशवास नही हुआ कि यह लाश उसी शिवराम भास्कर की हेै जिसकी दहशत प्रशासन व उद्योगपतियो के सिर पर सवार रहती थी। पोस्टमार्टम के समय यह बात चर्चा मे आई कि थाना जहांगीराबाद के ग्राम कमरखा मे बीती रात जिस व्यक्ति की कुल्हाड़ी से निर्मम हत्या कर दी गई थी वह व्यक्ति कोई और नही पूर्व पत्रकार व मौजूदा समाज सेवी शिवराम भास्कर ही है। पुलिस ने मृतक शिवराम भास्कर की हत्या का कारण यह बताया कि उसकी हत्या गांव के ओम प्रकाश गौतम नाम के उस व्यक्ति ने की है जिसकी पत्नी सावित्री के साथ उसके अवैध सम्बन्ध थे। इस बात की पुष्टि कमरखा गांव के अधिकांश लोगो ने की कि मृतक भास्कर के अवैध सम्बन्ध सावित्री से विगत आठ दस वर्षो से थ्ेा लोग तो यहंा तक बताते है कि ओमप्रकाश (हत्यारा) को इस अवैध सम्बन्धो की जानकारी काफी अरसे से थी और अक्सर उसकी उपस्थिति मे शिवराम भास्कर अपना घर, पत्नी व बाल बच्चे छोड़कर उसकी पत्नी के साथ रात बिताया करता था। भास्कर के सुसराल वालों के अनुसार उसने अपनी इसी अययाश प्रवृत्ति के चलते अपनी अधिकांश धन दौलत सावित्री के घर जुटा दी शिवराम भास्कर का घर बुरी हालत मे रहा परन्तु सावित्री का घर उसने पक्का बनवा दिया। ओमप्रकाश गौतम की माली हालत अच्छी नही थी और वह देवा रोड पर आनन्द भवन स्कूल के पास फुटपाथ पर जूता टाकने का काम किया करता था।
    शिवराम भास्कर की हत्या ओमप्रकाश गौतम ने अकेले की या इस मे पसे पर्दा कुछ और लोग शारीरिक रुप से या मानसिक रुप से शामिल है, यह तो विवेचना का प्रश्न हेै? परन्तु यह बात इस घटना से स्पष्ट रुप से सामने आती है कि शिवराम भास्कर की हत्या उसके कुकर्मो के कारण ही हुई और उसकी लाश नग्न अवस्था मे ओमप्रकाश के घर से मिलना इस बात का स्वयं मे प्रमाण है कि उसका चरित्र किस प्रकार का था? परन्तु यह घटना इस बात का सबक भी है कि जो लोग समाज मे पत्रकारिता या समाजसेवी का चोला पहनकर ब्लेकमेलिंग का धन्धा करते है उनका अन्जाम कैसा होता है?  

- मोहम्मद तारिक खान

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