शुक्रवार, 11 जून 2010

अमिताभ बच्चन को न्यायालय ने राहत दी,उनके विरुद्ध दायर प्रार्थना पत्र निरस्त

बाराबंकी।फिल्मी दुनिया के महान कलाकार अमिताभ बच्चन व उनकी फिल्म अभिनेत्री बहू एश्वर्या राय बच्चन सहित आठ व्यक्तियों के विरुद्ध धोखा धड़ी, वायदा खिलाफी,सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओेे से अवैध तरीके से प्राप्त लाभार्जन के आरोप में अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट नं0 12 शिव चन्द्र यादव के न्यायालय में तहसील फतेहपुर के थाना मोहम्मदपुर खाला के ग्राम दौलतपुर की प्रधान राजकुमारी द्वारा द0प्र0सं0 की धारा 156(3) अंतर्गत दिए गये प्रार्थना पत्र की सुनवाई करते हुए साक्ष्य के अभाव में उसे निरस्त कर दिया।

अमिताभ बच्चन का नाम बाराबंकी जनपद से अचानक वर्ष 2006 में उस समय जुड़ा जब तहसील फतेहपुर के परगना मो0पुर खाला के ग्राम दौलतपुर में उनके नाम ग्राम समाज की भूमि सं0 702 खाता सं0 676 दो वीघा 5 विस्वा 9 विस्वांसी भूमि राजस्व अभिलेखो में वर्ष 1983 से दर्ज होना पायी गयी। उस समय प्रदेश में मुलायम सिंह यादव की सरकार थी और विकास परिषद के चेयरमैन ठाकुर अमर सिंह की तूती शासन में बोलती थी।प्रमुख विपक्षी दलो ने ग्राम समाज की भूमि के इस प्रकार अवैध इन्द्राज पर प्रश्न खड़े किए परन्तु अमिताभ के विरुद्ध कोई प्रशासनिक कार्यवायी नही की गयी।

परन्तु जब मामला काफी तूल पकड़ गया तो जिलाधिकारी बाराबंकी द्वारा 24 मार्च 2006 को राजस्व अभिलेखागार के एक अहलकार व एक लेखपाल को निलम्बित कर सम्बंधित खाते को सीज कर दिया गया।इस आदेश के विरुद्ध एक याचिका उच्च न्यायालय इलाहाबाद की लखनऊ बेंच में द्वारा रिट सं02844(एम0एस02007) उ0प्र0 सरकार व अन्य के विरुद्ध अमिताभ बच्चन ने अपने अटार्नी राजेश ऋषिकेश के द्वारा अक्टूबर 2007 में दायर की।

उच्च न्यायालय में अमिताभ की ओर से पैरवी करते हुए उनके वकील राजेश ऋषिकेेेश यादव ने न्यायालय को अवगत कराया कि अमिताभ बच्चन द्वारा उक्त वर्णित ग्राम समाज की भूमि सं0 702 खाता सं0 676 रक्बा दो वीघा 5 विस्वा 9 विस्वांसी व गाटा सं0 711 तथा 793 के रक्बा दो वीघा 5 विस्वा 9 विस्वांसी को ग्राम प्रधान दौलतपुर को दिनांक 05.07.2007 एक अनुरोध पत्र देकर ग्राम सभा में उक्त समस्त भूमि उपहार स्वरुप दान देने का प्रस्ताव रखा, ग्राम प्रधान राजकुमारी द्वारा स्वीकार कर लिया गया इसके अतिरिक्त ग्राम सभा की भूमि सं0702 के स्वामित्व के सम्बंध में कमीश्नरी फैजाबाद में चल रहे वाद सहित तमाम विधिक प्रक्रिया से अपना दावा उठा लिया है।अतः भविष्य में उक्त भूमि पर अमिताभ बच्चन या उनके परिवार के किसी सदस्य या उनके वारिसान द्वारा आगे कोई भी विधिक अधिकार की मांॅग नही करेंगे।

उच्च न्यायालय इलाहाबाद की लखनऊ बेंच में जस्टिस ए0एन0वर्मा द्वारा दिनांक 11.12.2007 को अमिताभ बच्चन के हक में फैसला सुनाते हुए उनके अनुरोध को स्वीकार करके याचिका को निस्तारित कर दिया।

परन्तु दौलतपुर की प्रधान द्वारा विगत 26 मई 2010 को अपर मुख्य न्यायिक अधिकारी के न्यायालय में द0प्र0सं0 की धारा 156(3) अंतर्गत प्रार्थना पत्र देकर न्यायालय को अवगत कराया कि अमिताभ बच्चन व उनके द्वारा स्थापित निष्ठा फाउण्डेशन व अन्य संस्थाओं द्वारा सरकारी व गैर सरकारी सहायता के रूप में धन प्राप्त करके अवैध रूप से धन लाभार्जन करते हुए अपराधिक कृत्य किया है तथा उनके साथ विगत जुलाई 2007 को अमिताभ बच्चन के मुख्तारे आम विनय कुमार शुक्ल द्वारा किये गए करार को भी वायदा खिलाफी करते हुए नकारा है। प्रधान राजकुमारी द्वारा अपने प्रार्थना पत्र में यह भी आरोप अमिताभ बच्चन के द्वारा स्थापित संस्थाओं के लोगो पर लगाया गया है कि ऐश्वर्या राय बच्चन महाविद्यालय भूमि पूजन व शिलान्यास के बावजूद न खोलने और क्षेत्र के लोगो की भावनाओ के साथ खिलवाड़ करने के विरूद्ध जब उन्होने आवाज उठायी तो उनके घर पर दबंगो द्वारा हमला करके धमकाया गया व उनके बचाव में आये उनके पुत्र अवनेन्द्र प्रताप सिंह व गांव के दो अन्य व्यक्तियों को भद्दी भद्दी गालियां देकर लातो घूसो से मारा गया, इसकी शिकायत जब थाना मो0पुर खाला में की गयी तो उनकी रिपोर्ट दर्ज नही की गयी तदोपरान्त पुलिस अधीक्षक बाराबंकी को दिनांक 29 अप्रैल 2010 को रजिस्टर्ड पत्र द्वारा एक लिखित तहरीर भेजी गयी जिसके ऊपर भी कोई कार्यवायी नही हुई।

प्रधान द्वारा उक्त प्रार्थना पत्र अपने अधिवक्ता रनवीर सिंह के माध्यम से न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया जिस पर न्यायालय द्वारा विगत 10 जून को तारीख नियत कर पुलिस से रिपोर्ट तलब की गयी। नियत तारीख पर मो0पुर खाला थानेदार श्याम बाबू शुक्ला ने उच्च न्यायालय इलाहाबाद की लखनऊ खण्ड पीठ में अमिताभ बच्चन द्वारा दायर रिट पिटीशन सं0 का हवाला देते हुए प्रार्थिनी के आरोपो को निराधार एवं तथ्यहीन व साक्ष्यहीन बताते हुए न्यायालय को निर्देशित किया कि यह न्यायालय के विचार के बिन्दु नही है और न ही इस सम्बंध में कोई साक्ष्य ही प्रस्तुत किया गया है। अतः प्रार्थना पत्र निरस्त करने योग्य है।

आज अपर मुख्य न्यायिक अधिकारी शिव चन्द्र यादव ने प्रार्थिनी के अधिवक्ता रनवीर सिंह एडवोकेट की बहस सुनने के पश्चात निर्णय देते हुए कहा कि पत्रावली पर आवेदिका की तरफ से कोई साक्ष्य प्रस्तुत नही किया गया है जिससे यह निष्कर्ष निकाला जा सके कि विपक्षीगण द्वारा अपराधिक षडयन्त्र करते हुए छल, कपट अथवा अपराधिक न्यास भंग किया गया हो। इस प्रकार प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराध किया जाना प्रतीत नही हो रहा है। अतः प्रार्थना पत्र द0प्र0सं0 की धारा 156(3) दिनांक 26.05.2010 संधारण योग्य नही है,तदानुसार निरस्त करने योग्य है।

प्रार्थना पत्र न्यायालय द्वारा निरस्त किए जाने पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रार्थिनी के अधिवक्ता रनवीर सिंह ने कहा है कि अदालत ने उनका पक्ष सम-हजयने में गलती की है और वह रिवीजन हेतु सेशन कोर्ट में अपनी बात रखेंगे। रनवीर ने अदालत द्वारा साक्ष्य के अभाव में प्रार्थना पत्र निरस्त किए जाने पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि 156(3) अंतर्गत प्रार्थना इसी लिए दिया जाता है कि जब सम्पूर्ण साक्ष्य उपलब्ध नही होते है। न्यायालय द्वारा यह अपेक्षा की जाती है कि वह पुलिस को निर्देशित कर अभियोग पंजीकृत करके विवेचना में साक्ष्य जुटाने को कहे।



कोई टिप्पणी नहीं: