रविवार, 1 अगस्त 2010

नवजात शिशु को बच्चो ने कुत्ते के मुॅह से निकाला

बाराबंकी।विश्व स्तनपान दिवस के दिन जब देश के सभी अस्पतालों में माताओं को अपने शिशुओं को अपना दूध पिलाने के लिए उत्साहित किया जा रहा था,ठीक उसी दिन पैदा होने वाली एक बच्ची को उसकी माॅ ने किसी मजबूरी के कारण जी कर्रा करके जमुरिया नदी के किनारे कूड़े के ढेर पर फेंक दिया।परिणाम स्वरुप वह बच्ची एक आवारा कुत्ते के सुबह का नाश्ता बनने जा रही थी कि वहाॅ रहने वाले कुछ बच्चों ने यह दृश्य देखा और ढेले मारकर उन्होने कुत्ते के मुॅह से बच्ची के शरीर को बचा लिया।तब तक कुत्ता उसका एक हाथ खा चुका था।
 यह दृश्य देख रहे स्थानीय निवासी शिव नरेश पाण्डेय व नरेन्द्र मौर्या ने 100 नम्बर पर पुलिस को फोन किया जब पुलिस मौके पर नही पहुॅची तो उन्होने नगर कोतवाली इंस्पेक्टर को फोन किया परन्तु उन्होने भी अपना रविवार खराब करना उचित न समझा।तब उन लोगो ने मीडियाकर्मियों को सूचना दी।जिन्होने पुलिस कप्तान नवनीत कुमार राणा को सूचित किया।तब जाकर लगभग तीन घण्टे के बाद आधे फर्लांग की दूरी पर स्थित कोतवाली पुलिस व दो सौ मीटर की दुरी पर स्थित सिविल लाइन चैकी से पुलिस आयी और नवजात बच्ची के शव को कपड़े में लपेट करके पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम हाउस केा भिजवाया।
 नगर में यह कोई पहला वाक्या नही था,इससे पहले महिला अस्पताल से एक नवजात शिशु को मुॅह में दबाकर लगभग देा ढाई साल पहले एक कुत्ता पुरुष अस्पताल की ओर भागा चला जा रहा था।जिसके मुॅह से बच्चे को लोगो ने निकाला।दरअसल इस तरह की घटनाएं यूॅ होती है कि अनचाहा बच्चा जेा कुॅवारी माॅएं या अन्य महिलायेें समाज व लोकलाज से डरकर अस्पताल में गिरवाती है।जिसे एम0टी0पी0 कहते है, कुत्तों व अन्य जानवरों के भोजन के काम आते है।कारण यह कि नर्सिंग होम व अस्पतालों के आपरेशन थिएटर से फेंके जाने वाले वेस्ट पदार्थो के निस्तारण का कोई सही प्रबन्ध सरकारी स्तर पर नही किया जाता है।इसके लिए सरकार द्वारा एक प्राइवेट संस्था सिनर्जी से अनुबन्ध किया गया है।जो अपने समय से यह वेस्ट पदार्थ उठाते फिरते है,चाहिए यह कि करोडो व अरबो रुपये अनावश्यक खर्च करने वाली सरकारे कम से कम जिला स्तर पर एक इन्सिनिरेटर की व्यवस्था करे,जिससे प्रदूषण भी नियन्त्रित होगा और इस तरह के अमानवीय दृश्य भी देखने को नही मिलेंगे।

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