रविवार, 3 अक्तूबर 2010

हृदय रोग से पीड़ित महिला की मृत्यु और उसके बाद अस्पताल में दलालोें की नोच खसोट

बाराबंकी। अपनी पत्नी को लेकर ट्रेन से आल इण्डिया इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज नई दिल्ल्ी जा रहे बिहार प्रदेश के जिला सीवान के रहने वाले संजय प्रसाद ने बीमारी के कारण जहाॅ एक ओर अपनी पत्नी को खो दिया तो वहीं प्रदेश में उसे जिला अस्पताल में मौजूद दलालो ने गिद्ध की तरह नोंच डाला।
 प्राप्त सूचना के अनुसार  वैशाली एक्सप्रेस ट्रेन से जिला सीवान से सवार हुए संजय प्रसाद जो कि पेशे से शिक्षक है अपनी पत्नी रीना देवी (30) निवासी ग्राम सहसा थाना भगवानपुर जिला सीवान को लेकर एम्स अस्पताल नई दिल्ली जा रहे थे जहाॅ उनकी पत्नी के हृदय का वाल्व बदला जाना था। संजय प्रसाद द्वारा अस्पताल का सारा  खर्चा लगभग एक लाख रुपये जमा किया जा चुका था। अब वह अपनी पत्नी के प्राण बचाने पूरी तैयारी के साथ अपने परिवार के साथ जा रहे थे परन्तु भाग्य ने उनका साथ नही दिया और ट्रेन रात्रि 11बजकर 40 मिनट पर बाराबंकी प्लेट फार्म पर ही प्रवेश  कर रही थी तो उनकी पत्नी की हालत बिगड़ी और वह बेहोश हो गयी। संजय प्रसाद जी0आर0पी0 की सहायता से अपनी पत्नी को लेकर जिला अस्पताल के आपात कक्ष में पहॅुचे जहाॅ उपस्थित डा0बी0के0 गुप्ता ने पत्नी का परीक्षण करके उन्हे मृत्यु घोषित कर दिया तथा लाश को जिला अस्पताल के मार्चरी में रखने का आदेश दिया। इस पर आपत्ति करते हुए संजय प्रसाद ने डाक्टर को एम्स का रजिस्ट्रेशन कार्ड दिखाया और कहा कि यह हृदय रोग की मरीज थी इसकी मौत बीमारी से हुई है, पोस्टमार्टम की क्या आवश्यकता है। परन्तु संजय प्रसाद के अनुसार डाक्टर ने उसकी बात नही मानी और लाश को मोर्चरी में रखवाकर पुलिस को सूचित कर दिया।
 अपनी पत्नी की मृत्यु से बेहाल संजय प्रसाद को परेशान करने का सिलसिला जिला अस्पताल में प्रारम्भ हुआ। पहले एक दलाल आया उसने कहा कि पैसे खर्च करो तो पोस्टमार्टम से बच सकते हो। फिर दूसरा आया उसने कहा कि सीवान तक हमारी गाड़ी अगर कर लो तो 25 हजार लेंगे और पोस्टमार्टम से भी बचा लेंगे, तीसरा एक और दलाल आया उसने लाश के बाक्स के नाम पर रुपये लिए और गायब हो गया।
 आज सायं 4 बजे के करीब संजय प्रसाद को पोस्टमार्टम से मुक्ति मिली और वह अपनी पत्नी की लाश लेकर टैक्सी द्वारा अपने निवास रवाना हो गया।

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