रविवार, 7 अक्तूबर 2012

कचहरी ब्लास्ट केस वापस लेगी सरकार!



  

फैजाबाद [सतीश श्रीवास्तव]। लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर व फैजाबाद कचहरियों में 23 नवंबर 2007 को हुए सीरियल ब्लॉस्ट के आरोपियों पर दर्ज मुकदमे वापस हो सकते हैं। राज्य सरकार ने इसके लिए फैजाबाद, बाराबंकी, लखनऊ व गोरखपुर के जिलाधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है।
आरोपियों में एक जौनपुर, एक आजमगढ़ व दो कश्मीर के निवासी हैं। हालांकि पत्र में दो नामों का ही स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है, लेकिन जानकारों का कहना है कि उसमें प्रयुक्त आदि शब्द उन दोनों कश्मीरी युवकों की ओर इंगित करता है जो इनके साथ ब्लॉस्ट के आरोपी हैं। शासन में विशेष सचिव राजेंद्र कुमार द्वारा जिलाधिकारियों को भेजे गए पत्र में बाराबंकी कोतवाली में दर्ज अपराध संख्या-1891/2007, फैजाबाद कोतवाली में दर्ज अपराध संख्या 3398/2007, लखनऊ के वजीरगंज थाने में दर्ज अपराध संख्या 547/2007, गोरखपुर के कैंट थाने में दर्ज अपराध संख्या 812/2007 का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि इन जिलों में आतंकवाद के नाम पर निर्दोष मुस्लिम युवकों तारिक कासमी, खालिद मुजाहिद आदि पर दर्ज अभियोगों की वापसी के संदर्भ में शासन को सूचना चाहिए।
जिलाधिकारियों व पुलिस अधीक्षकों का मत भी मांगा गया है। साथ ही अभियोजन अधिकारी, लोक अभियोजक के साथ-साथ परीक्षण अभियोजन अधिकारी की राय मांगी गई है। शासन ने जानना चाहा है कि इन आरोपियों पर क्या-क्या धाराएं लगाई गई हैं? किन-किन न्यायालयों में इनके विरुद्ध प्रकरण लंबित हैं? वाद के तथ्य क्या हैं? विशेष सचिव ने वादी पक्ष की चोटों का विवरण भी मांगा है। जिलाधिकारियों से विवेचना के दौरान बरामदगी के विवरण व न्यायालय में मुकदमे की अद्यतन स्थिति के साथ-साथ यदि कोई क्रॉस केस हो तो उसके भी विवरण से अवगत कराने को कहा गया है। ज्ञातव्य है कि 23 नवंबर 2007 को फैजाबाद, लखनऊ, गोरखपुर व वाराणसी की कचहरियों में हुए सीरियल ब्लॉस्ट ने पूरे प्रदेश को हिलाकर रख दिया था, जिसके बाद सुरक्षा को लेकर प्रदेश के अधिवक्ताओं आंदोलन भी किया था।
फैजाबाद के जिलाधिकारी दीपक अग्रवाल ने पूछे जाने पर कहा कि पत्र उन्होंने अभी तक देखा नहीं है, इसके लिए निर्धारित विधिक प्रक्रिया अपनाई जाती है। पत्र प्राप्त होते ही वे विधिक राय के अनुसार ही राज्य सरकार को वे अपनी राय देंगे।

  दैनिक जागरण

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