शुक्रवार, 3 अक्तूबर 2014

राजेश कुमार श्रीवास्तव पुलिस उपाधीक्षक -------------गवाह ------------8------जारी---4

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एस0टी0 नं0 310/2008
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राजेश कुमार श्रीवास्तव गवाह ने आज दिनांक 12.09.12
को सशपथ बयान किया कि मेरे द्वारा
अभियुक्त गणों के पास से बरामद किये गये
सिम कार्ड से सम्बंधित सीडीआर विश्लेषण
किया गया जिसके अनुसार हैजाइजी के
पास से बरामद सिम 9906753203 से
तारिक काजमी के पास से बरामद किये
गये सिम 9450047342 पर 27 मई 07
को बात की गई जिसकी पुष्टि एयरटेल
जम्मू एण्ड कश्मीर के सीडीआर से सम्बंधित
पेज नं0 18/512 से होती है। यह बात
सुबह 9 बजकर 47 मिनट पर की गई थी।
इसके अतिरिक्त हैजाइजी के पास से बरामद
सिम 9906753203 से खालिद मुजाहिद
के पास से बरामद किये गये सिम नं0
पर 31 मई 2007, 17 बजकर 31 मिनट से
19.12.07 12 बजकर 9 मिनट पर विभिन्न
तिथियों में 18 बार सम्पर्क किया गया।
उक्त विवरण सम्बंधित सीडीआर में अंकित
है। जिसका संक्षिप्त विवरण सम्बंधित
सीडीआर जिसमंे उनके उस पृष्ठ जिस पर
इस काॅल का विवरण है मेरे द्वारा एक
चार्ट के रूप में अंकित किया गया है
जिसे स्वः हस्ताक्षर से आज न्यायालय
में दाखिल कर रहा हूँ।
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इसके अतिरिक्त तारिक काजमी के पास से
बरामद सिम नं0 9450047342 तथा
खालिद मुजाहिद के पास से बरामद सिम नं0
9889810588, 9889569370 पर
वार्ताओं का विवरण उक्त दाखिल किये
गये विवरण पत्र में अंकित है जिसके अव
लोकन से स्पष्ट है कि इनके द्वारा 23 जून
2007 से 1 दिसम्बर 07 तक ग्यारह बार
वार्ता की गई। जिससे यह स्पष्ट होता
है कि तारिक कासमी, खालिद मुजाहिद एवं
हैजाइजी जो थाना शत्रु में पंजीकृत
अभियोग का हूजी से सम्बंधित प्रमुख
आतंकवादी था उसके साथ इनके सम्बंध
थे। आज दाखिल पेपर जिस पर
प्रदर्श क-25 डाला गया। जिस पर
बचाव पक्ष द्वारा आपत्ति की गई।
आपत्ति का निस्तारण बहस के दौरान
तथा निर्णय के समय किया जायेगा।
    मेरे द्वारा विवेचना के मध्य
अभियुक्तगणों के विरूद्ध जनपद लखनऊ
थाना वजीरगंज में पंजीकृत मु0अ0सं0
547/2007 तथा जनपद फैजाबाद
थाना कोतवाली नगर में पंजीकृत मु0
अ0सं0 3398/2007 जो क्रमशः लखनऊ
तथा फैजाबाद न्यायालय में दिनांक
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23.11.07 को किये गये जाने वाले बम विस्फोट
की घटनाओं से सम्बंधित प्रकरण का
उसकी विवेचना के अन्तर्गत घटना स्थल से
प्राप्त किये गये विस्फोटक पदार्थों का रसायनिक
परीक्षण विधि विज्ञान प्रयोगशाला आगरा से
कराया गया था। जिसकी परीक्षण आख्या में
प्राप्त विस्फोटकों के अवयव(ingridients)
अभियुक्तगणों के पास से बरामद किये
गये विस्फोटकों के अवयवी के समरूप
थे। जनपद लखनऊ तथा फैजाबाद में
विस्फोटकों के अवयव की प्रारंभिक जांच
राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के प्रभारी अधिकारी
मेजर कर्मवरी सिंह द्वारा की गई थी।
जिनकी आख्या में भी फैजाबाद तथा
लखनऊ में बरामद किये गये विस्फोटकों
के अवयव की समरूपता व्यक्त की गई थी
विवेचना के अन्तर्गत अभियुक्तगण के विरूद्ध
उक्त पंजीकृत अभियोग मंे, मेरे द्वारा
आरोप पत्र प्रेषित किये गये थे। तथा
विस्फोटकों के अवयव की समरूपता को
भी दृष्टिगत रखते हुए मेरे द्वारा इस
अभियोग में अभियुक्तों के विरूद्ध
आरोप पत्र प्रेषित किया गया। मेरे द्वारा
विशेष न्यायाधीश एस0सी0 एक्ट जनपद
लखनऊ तथा अपर सत्र न्यायाधीश
चतुर्थ जनपद फैजाबाद के न्यायाल से
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उक्त अभियोगों के प्रथम सूचना रिपोर्ट
विधि विज्ञान प्रयोगशाला आगरा से प्राप्त
परीक्षण आख्या, आरोप पत्र, निदेशक नेशनल
बम डाटा सेन्टर एनएसजी मानेसर द्वारा
उक्त घटना क्रम से सम्बंधित विस्फोटकों की
परीक्षण आख्या एवं निदेशक अंागुल चिन्ह
ब्योरो उत्तर प्रदेश महानगर लखनऊ के फिंगर
प्रिंट की आख्या की न्यायालय द्वारा
प्रमाणित प्रतिलिपि आज न्यायालय
के समक्ष (कुल 36) पेज दाखिल कर रहा हूँ।
    मेरे द्वारा अभियुक्तगणों के विरूद्ध इस
विवेचना के अन्तर्गत साक्षियों द्वारा अंकित
कराये गये अभिकथन अभियुक्तों के पास
से बरामद किये गये विस्फोटक पदार्थों के
रसायनिक परीक्षणों की रिपोर्ट, अभियुक्तगणांे
के पास से बरामद किये गये मोबाइल
फोन तथा उनके पास से बरामद सिम से
सम्बंधित सीडीआर के विश्लेषण जिला
अधिकारी द्वारा अभियुक्तगणों के विरूद्ध
बरामद किये गये विस्फोट पदार्थों के सम्बंध
में अभियोजन स्वीकृति तथा माननीय
राज्यपाल उत्तर प्रदेश की ओर से उ0प्र0
शासन द्वारा अभियुक्तगणों के विरूद्ध
सम्बंधित निर्दिष्ट धाराओं में अभियोजन
स्वीकृति एवं संकलित परिस्थतिजन्य साक्ष्य
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तथा तथ्यात्मक साक्ष्य को संकलित करते
हुए विवेचना समाप्त की गई।
X    X        X for accused Khalid
Muzahid  विवेचना के दौरान मेरे द्वारा अभियुक्तगणों को रिमाण्ड हेतु स्वयं पेश
नहीं किया गया। मेरे द्वारा विवेचना
25.02.2008 को ग्रहण की गई थी
तथा विवेचना के अन्तर्गत स्वयं मेरे द्वारा
मुल्जिमों को न्यायालय में पेश नही
किया गया। मैं नही बता सकता कि किन
लोगों द्वारा मुलजिमों को न्यायालय में
पेश किया गया। आरोप पत्र लगाने के
उपरांत मेरी विवेचना पूर्ण नही हुई थी।
मेरे द्वारा विवेचना दिनांक 25 मार्च 2011 को
समाप्त की गई। मेरे द्वारा उक्त विवेचना में
पूरक आरोप पत्र दाखिल किया गया है।
पूरक आरोप पत्र दिनांक 23.7.2008
को दाखिल किया गया है। इस आरोप
पत्र में भी विवेचना प्रचलित है। इसके
बाद मैंने कोई आरोप पत्र दाखिल नही
किया। मैं नही बता सकता कि पूरक आरोप
पत्र पर संज्ञान लिया गया अथवा नहीं
          continued
        सु0त0कि0 

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