बुधवार, 18 मई 2016

सरकार मे संघ के हस्तक्षेप से बचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी!

2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी जी ने एक हाथ में क़ुरान एक हाथ में कम्यूटर का नारा दिया तो दुनिया में सबसे बड़ी दूसरी आबादी मुस्लमान जो भारत में बसते है उन्हें तो चौक ही दिया था क्यूंकि यह नारा तो सीधे सीधे आधुनिक शिक्षा के लिए जाने गए सर सय्यद अहमद खान से जा के जुड़ता था, इस चुनाव में बीजेपी को 31% वोट के साथ भारी जनादेश के साथ बहुमत में सरकार बनी और प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी जी ने मुस्लिम समाज से कहा उनका दरवाज़ा मुसलमानो के लिए रात के 12 बजे भी खुला है, लोकतंत्र के बारे में एक मान्यता यह भी है की राज्य वहा रह रही धार्मिक, भाषाई और जेंडर अल्पसंख्यक के साथ कैसा व्यवहार करता है, इस नज़रिए से दुनिया के अज़ीम लोकतंत्र का प्रधानमंत्री अल्पसंख्यक समाज को इस तरह तवज्जो दे अपने आप में बड़ी बात मानी गयी!

मुसलमानो के आखिर इस मुल्क में मुद्दे क्या है जिनसे उसे लड़ना चाहिए लेकिन दूसरे मुद्दे वह उलझा है जिससे वह निकल नहीं पता, 1947 से लेकर आजतक उसे फूट डालने वाली शक्तियों ने बटवारे का ज़िम्मेदार या पाकिस्तानपरस्त कह अपमानित किया, अलीगढ का मुस्लिम यनिवर्सिटी करैक्टर की लड़ाई, देश में उसके मज़बूत कल कारखानों में दंगे कराकर बर्बाद करना, अवकाफ, बाबरी मस्जिद विध्वंस कर एकता में चटख के बीच, जब मुस्लिम युवाओं ने उच्च शिक्षा में हुनर हौसला दिखाया उसे आतंक के नाम पर पकड़ कर दशक जेल में रख सड़क पर बेगुनाह कह अदालत छोड़ देती है, उसकी पूरी ताक़त अपने वजूद को पाने में लगी है, उसे हर वक़्त राजनैतिक दल के उसके लिए ईमानदार होने पर शक है!

इस बीच जब मोदी जी ने उसका हौसला बढ़ाया है तो सबसे पहले उसे उम्मीद है की प्रधानमंत्री जो कहते है उस पर खरे उतरेंगे लेकिन जब शक की बुनियाद पर दादरी में अखलाक की ह्त्या होती है उनके कैबिनेट मंत्री जैसी बयान बाजियां करते देखे गए इससे अविश्वास गहराता गया, प्रधानमंत्री का खामोश रहना मुसलमानो को यहाँ खलना शुरू हुआ !

बीजेपी की हरियाणा सरकार में अटाली बल्लबगढ़ में दंगे कराकर 150 मुसलिम खेत मज़दूर परिवार पलायन कर जाते है जिसकी सुध लेने की सरकार को चिंता नहीं हुयी, दंगाइयों के ऊपर प्रदेश सरकार ने कोई करवाई नहीं की!

यूपीए-2 कार्यकाल में प्लानिंग कमीशन की अपने वर्किंग ग्रुप आफ मयनोरिटीज ने सोशियो इकोनॉमिक व् शैक्षणिक तरक्की के लिए 41.685 हज़ार करोड़ अल्पसंख्यकों के लिए ज़रूरत बताई थी लेकिन कमीशन ने 17,323 हज़ार ही एलोकेट किये, आर्थिक उथ्थान मामलो में यूपीए टू ने मुसलमानो को नीचे धकेलते हुए प्लानिंग कमीशन के पंच वर्षीय योजना के बजट में ही पीछे कर दिया जो प्रधानमंत्री के 15 सूत्रीय कार्यक्रम के ज़रिये स्कॉलरशिप, स्कूल व् कॉलेज के इंफ्रास्टक्चर पर खर्च होने थे उसमे गिरावट आयी रही सही कसर प्रधानमंत्री के नेतृत्व में इस सरकार ने पूरी कर दी और अल्पसंख्यक मंत्रलय का बजट में और गिरावट देखी गयी, अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी मुसलमानो की सोशियो इकोनॉमिक व् शैक्षणिक तरक्की चाहते है तो वह नेशनल डेवलेपमेंट कौंसिल के ज़रिये एससी/एसटी तर्ज़ पर मुसलमानो के लिए सब-प्लान देकर अपनी बात को सच साबित करदे की वह सबका साथ सबका विकास चाहते है!

आतंक का दंश झेल रहे मामलो में देश की अदालतों से रिहा हुए सैकड़ो मुस्लमान युवा है जिन्हे न आजतक मुआवज़ा दिया गया, न ग़लत तरीके से फ्रेम किये पुलिस अफसरों पर कोई करवाई हुयी, यूपीए-२ के समय में पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री सुशिल कुमार शिंदे ने अधिसूचना जरी कर देश में फ़ास्ट ट्रेक कोर्ट बनने के निर्देश दिए ताकि इन मामलो को जल्द निबटारा किया जाये जो दोषी हो उन्हें सजा और निर्दोषों को बेल दी जाये लेकिन केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह जी ने अभी तक इसपर कोई एक्शन नहीं लिया जबकि वह नाइंसाफी न होने का वादा करते आये है और यह भी कहते है की आईएसआईएस आजतक भारत के मुसलमानो को जोड़ नहीं सकां उसके बावजूद दिल्ली पुलिस का स्पेशल सेल  बीते हफ्ते जमनापार से युवाओं को गिरफ्तार करता है मास्टर माइंड बताता है और फिर सबूत के आभाव में छोड़ देता है!

वक्फ संपत्तियों के मामले सच्चर कमिटी कहती है की अगर वक्फ संपत्तियों का सही इस्तेमाल हो जाये तो उनका पूरी देखभाल उसी बजट से हो जाये, दिल्ली की 123 प्राइम  प्रॉपर्टी का केस जिसे केंद्र सरकार ने ट्रांसफर  दिल्ली वक्फ बोर्ड बनाम विश्व हिन्दू परिषद लटका हुआ है अगर यह मामला ही सुलझ जाये तो मुसलमानो को मोदी जी पर यकीन बढ़ेगा लेकिन इस सरकार में गुजरात सरकार ने कुछ प्राइम प्रॉपर्टीज़ को बिल्डरों को बेचने का मामला प्रकाश में आया है जिसे सेन्ट्रल वक्फ कौंसिल ने नोटिस लेकर सम्बंधित अधिकारों को हटाने की बात कही लेकिन केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय ने उक्त अधिकारी को सेन्ट्रल वक्फ कौंसिल का सदस्य बना दिया यह दोहरे मापदंड मुसलमानो को भ्रमित कर रहे है!

सरकारी संस्थानों के बाद अल्पसंख्यक समाज जिसमे सिख, जैन, ईसाई व् मसुलिम समाज  ने इस देश में सैकड़ो कॉलेज और विश्विद्यालय बनाए जिसे एचआरडी से सम्बंधित नेशनल कमीशन फॉर मयनोरिटी एडुकेशनल इंस्टीट्यूशन दवरा अल्प्संखयक स्टेटस का दर्जा दिया जिसमे मुसलमानो से सम्बंधित जामिया मिल्लिया इस्लामिया, दिल्ली विश्विद्यालय के अंतर्गत सिख अल्पसंख्यक कॉलेज में श्री गुरु तेघ बहादुर खालसा कॉलेज व्  श्री गुरु गोबिंद सिंह कॉलेज आफ कॉमर्स, गुजरात की सुमनदीप विद्यापीठ यूनिवर्सिटी, उत्तर प्रदेश की तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी व् मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी बैंगलोर का क्राइस्ट यूनिवर्सिटी (डीम्ड) प्रमुख है देखा जाये तो नेशनल कमीशन फॉर मयनोरिटी एडुकेशनल इंस्टीट्यूशन के ज़रिये मान्यता रद्द करने पर 11623 कॉलेज व् विश्विद्यालय अल्पसंखयकों से सम्बंधित निशाने पर है जिसमे केरल, उत्तर प्रदेश व् पश्चिम बंगाल के मुसलमानो के नुक्सान ज़्यादा होंगे! मुसलमानो से सम्बंधित गिनती के विश्विद्यालय है जबकि जैन समुदाय के विश्विद्यालय की संख्या सबसे अधिक है, तो क्या अल्प्संखयक इस हमले से सरकार से या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से करीब जाएगा?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को इसकी पड़ताल करनी चाहिए की आखिर वह कौन से इंटर स्टेट एक्टर है जो उनके मिशन का भट्टा बिठा रहे है? क्यों देश में मुसलमानो के साथ जो अब हो रहा है और जो प्रधामंत्री कहते है उसमे विरोधाभास है? मुसलमानो से सम्बंधित जितने भी सवाल है प्रधानमंत्री को आमने सामने बैठकर मुस्लिम व् अन्य अल्पसंख्यक इंटेलिजेंसिया से सभी पहलू पर बात करनी चाहिए, ज़ाहिर सी बात है वह किसी एक पार्टी विशेष के नेता न होकर दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री है जिस पद की विशाल गरिमा और गौरवमय इतिहास है!   
-अमीक जामेई

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