रविवार, 1 अगस्त 2010

स्वास्थ्य मंत्रालय के भ्रष्ट रवैये के चलते अस्पतालों में कुत्ता व साॅप काटने की वैक्सीन का टोटा

बाराबंकी। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा एण्टीरैबीज वैक्सीन व एण्टी स्नेक वेनम का रेट कान्ट्रेक्ट न करने के कारण इस समय पूरे जनपद में कुत्ता काटने पर लगने वाली वैक्सीन एण्टीरैबीज की जबरदस्त मारा मारी चल रही है। बात विधान सभा की दहलीज तक जा पहुॅची है और जनपद का स्वास्थ्य विभाग विपक्ष द्वारा ए0आर0वी0 के मुद्दे पर सरकार को घेरने के मकसद से उठाये गये प्रश्नों का बहाने समेत उत्तर देने मंे जुटा है।
 रैबीज नाम के घातक रोग के उपचार के लिए प्रयुक्त होने वाली एण्टीरैबीज वैक्सीन आजकल  पूरे जनपद में मयस्सर नही है।जिला अस्पताल मेें कमरा नं04 जहाॅ इस वैक्सीन के लगवाने के लिए प्रातः 8 बजे से लम्बी लम्बी कतारे लग जाया करती थी,वहाॅ फार्मासिस्ट रामगोपाल वर्मा बैठे मक्खी मार रहे है।  बाजार से मरीज ए0आर0वी0 खरीद कर ला रहे है,जिसकी कीमत 298 रुपये है। मरीज बेचारे पागल होकर मरने के भय से मजबूरन यह धनराशि खर्च करते है।जबकि जिला अस्पताल के दवा स्टोर में ए0आर0वी0वैक्सीन वी0आई0पी0 कोटे की सुरक्षित रखी हुई है।लगभग दस दिन पूर्व एक लाख रुपया शासन द्वारा जिला अस्पताल को लोकल परचेज से ए0आर0वी0वैक्सीन क्रय करने के लिए आया था।परन्तु मरीजो की रफ्तार इतनी है कि यदि सामान्य रुप से सभी को लोकल परचेज द्वारा यह सुई उपलब्ध करा दी जाए तो तीन दिन के अन्दर यह धन समाप्त हो जाएगा।अतः अस्पताल प्रशासन इसको वी0आई0पी0कोटे में रखे हुए है।
 सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिला अस्पताल में लगभग 11 दिनों से ए0आर0वी0वैक्सीन उपलब्ध नही है।इसका मुख्य कारण सी0एम0एस0डी0स्टोर प्रदेश मुख्यालय से इसकी सप्लाई न होना बताया जा रहा है।बताते है कि प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा सभी दवाओं का रेट कान्ट्रेक्ट का निर्धारण कर दिया गया है।केवल ए0आर0वी0 व साॅप काटने पर लगने वाली वैक्सीन ए0एस0वी0 का रेट कान्ट्रेक्ट कमीशन तय न होने के कारण नही किया जा सका है और इस भ्रष्टाचार की सजा मरीजोें को उठानी पड़ रही है।साथ ही सरकार को लोकल परचेज से की जाने वाली खरीदारी का भी चूना लग रहा है। मिसाल के तौर पर ए0आर0वी0 का पुराना रेट कान्ट्रेक्ट 241.28 रुपये का था जो जिला अस्पताल लोकल परचेज द्वारा सबसे घटिया कम्पनी की अभयरब नाम की वैक्सीन जैन मेडिकल स्टोर लैय्या मण्डी से 286.08 रुपये अदा करके खरीदा जा रहा है। अर्थात 44.80रुपये प्रति वैैक्सीन का चूना पुराने रेट कान्ट्रेक्ट के अनुसार सरकार को लग रहा है और मरीजो को यह दवा उपलब्ध भी नही हो पा रही है।अस्पताल प्रशासन अपने चहेते लोकल परचेज के विक्रेता जैन मेडिकल स्टोर वालो से यह भी नही कह पा रहा है कि किसी अच्छी कम्पनी की ए0आर0वी0 की सप्लाई करे।पता चला है कि जैन मेडिकल स्टोर द्वारा अभयरब नाम की ए0आर0वी0 इसलिए सप्लाई की जा रही क्योंकि इसमें कमीशन अधिक है। यह भी पता चला है कि जैन मेडिकल स्टोर पिछले लगभग पाॅच वर्षो से लोकल परचेज की सप्लाई बगैर वार्षिक नवीनीकरण के कर रहे है।इसके लिए जिले के स्वास्थ्य मोहकमें में तैनात फाइलेरिया निरीक्षक के0के0गुप्ता उनके मददगार है।जो सी0एम0ओ0 से  लेकर डी0पी0ओ0 व जिलाधिकारी की आॅखोें का तारा है।
 कमोवेश यही स्थिति साॅप काटने की वैक्सीन एण्टी स्नेक वेनम (ए0एस0वी0)की है।जो जिला अस्पताल में समाप्ती की ओर अग्रसर है।जिले के सी0एम0ओ0 ए0के0चैधरी के  अनुसार उनके पास ग्रामीण स्वास्थ्य केन्द्रो पर यह उपलब्ध है। यह बात और है कि इन केन्द्रो पर डा0 व फार्मासिस्ट के उपलब्ध न रहने के कारण यह वैक्सीन अव्वल तो वहाॅ लग ही नही सकती और अगर रख दी जाए तो वह खराब हो जाएगी, क्योंकि विद्युत आपूर्ति न होने के कारण कोल्ड चेन टूटने पर वह इस काबिल नही रह जाती कि वह प्रयोग में लायी जा सके।इस वैक्सीन के भी उपलब्ध न होने का कारण शासन स्तर पर रेट कान्ट्रेक्ट का न हो पाना बताया जा रहा है।उल्लेखनीय है कि यह वैक्सीन समाप्त हो जाने के पश्चात जब लोकल परचेज द्वारा खरीदी जाती है तो सरकार को प्रति वायल लगभग पौने दो सौ रुपये का चूना लगता है।पुराने रेट कान्ट्रेक्ट के अनुसार सरकार को यह वैक्सीन 280.71 रुपये की पड़ती थी और लोकल परचेज द्वारा खरीदारी करने पर यह 461 रुपये के करीब पड़ेगी।
 बहन जी बराबर इस बात का दावा करते नही थक रही है कि उन्होने आम गरीब जनमानस की सुविधा के लिए सरकारी  अस्पताल में प्रयाप्त मात्रा में दवायें उपलब्ध करा दी है।दवाओ की कोइ्र कमी नही है। नए नए टेस्ट सरकारी अस्पताल में भी उपलब्ध कराने का सरकार दावा करते नही थक रही है।अब तो हर जिले के सरकारी अस्पतालो में डायलेसिस की सुविधा उपलब्ध कराने की घोषणा कैबनिट मीटिंग में प्रदेश सरकार द्वारा की जा चुकी है।परन्तु क्या मायावती के पास अपने  मंत्री मण्डल के अन्दर घर कर चुकी भ्रष्टाचार की बीमारी का भी कोई इलाज है?

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