सोमवार, 1 नवंबर 2010

महात्मा तुलसी दास के सिद्धांतो पर अमल करके ही देश एक सूत्र में बॅध सकता है-न्यायमूर्ति तिल्हरी

बाराबंकी। महात्मा तुलसी दास के संदेशो से यदि सीख ली गयी होती तो आज देश मे राष्ट्रीय भावना व कर्तव्य परायणता का हास न हुआ होता और न ही  भ्रष्टाचार का इस प्रकार देश मे विकास हुआ होता।
 अवकाश प्राप्त न्यायमूर्ति उच्च न्यायालय इलाहाबाद, हरिनाथ तिल्हरी अपने यह विचार बीती रात देवा मेला महोत्सव के मुख्य पण्डाल में आयोजित मानस कार्यक्रम का उद्घाटन करने के पश्चात अपने मुख्य अतिथितीय सम्बोधन के दौरान व्यक्त कर रहे थे।
 श्री तिल्हरी ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा कि राम चरित मानस में दर्शाए गए आदर्श चरित्रो के अनुसरण करने की शिक्षा एवं दीक्षा पर यदि देश में जोर दिया गया होता आज देश के समक्ष नक्सलवाद तथा क्षेत्रवाद जैसी समस्याएं चुनौती जैसी बनी खड़ी न होती।
 समारोह के संस्थापक एवं संयोजक वयोवृद्ध पत्रकार गोविन्द नारायण लल्ला पाण्डेय ने कहा कि आज महात्मा तुलसी दास एवं सूफी संत हाजी वारिस अली शाह के उपदेशो की प्रासंागिकता और भी बढ गयी है क्योंकि विभिन्न धर्माे के बीच पनपती कटुता पर इण्डे फाहे लगाने कार्य इन संतो द्वारा बताए गए मानव धर्म के रास्ते पर चलकर ही भारत के नवनिर्माण की सफलता अर्जित की जा सकती है।
 इस अवसर पर संत तुलसी दास के ग्रन्थो पर आधारित लघु नाटिका, भजन नृत्य भाव नृत्य भी प्रस्तुत किए गए। सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभारम्भ रिया श्रीवास्तव के नृत्य सरस्वती वंदना से हुआ। तदोपरान्त मो0राजा, नूर आलम, व गौरव द्वारा प्रस्तुत गीत 'सूरज की गर्मी से मिल जाए तरुवर को छाया' का सुन्दर गायन किया गया। इसके पश्चात रतन सिंह, जयश्री चतुर्वेदी, राजेन्द्र विश्वकर्मा, हरिहर, दुर्गा प्रसाद यादव द्वारा प्रस्तुत भजनो को दर्शको ने खूब सराहा।
 इस अवसर पर उ0प्र0अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष गयासुद्दीन किदवाई, देवा मेला कमेटी के सदस्य संदीप सिन्हा एड0, मानस समिति के संयुक्त सचिव दिनेश पाण्डेय पत्रकार, सुशील मिश्रा व डा0 रश्मि रस्तोगी आदि उपस्थित थे।

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