बाराबंकी। जब तक मैं अनुसूचित जाति आयोग का अध्यक्ष हॅू मै यह सुनिश्चित करुंगा कि दलितो पर कोई अत्याचार देश के किसी भी प्रांत में न होने पाए। यदि किसी प्रांत में दलितो पर अत्याचार की कोई घटना होती है और उस पर सरकार द्वारा शिथिलता बरती जाती है तो आयोेग के अध्यक्ष के नाते मै इसमें दखल दूॅगा। हमारे पास आयोेग के सैंवाधानिक अधिकार के अंतर्गत पर्याप्त शक्तियाॅ मौजूद है मै किसी को भी दलित उत्पीड़न अथवा दलितो के लिए अन्यायपूर्ण कृत्य पर सम्मन कर सकता हॅू। संविधान के अनुच्छेद 338 में निहित आयोग की शक्तियोें में उसे सिविल कोर्ट का दर्जा प्राप्त है।
जनपद बाराबंकी के सांसद एवं राष्ट्रीय अनुसूचित जाति के नवनियुक्त अध्यक्ष पन्ना लाल पुनिया अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार अपनी कर्मभूमि में प्रवेश करने के अवसर पर स्थानीय टेस्टी बाईट रेस्टोरेन्ट में आयोजित एक प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए अपने उक्त विचार व्यक्त कर रहे थे।
उन्होने आगे कहा कि मै आयोग मे संविधानिक तौर पर निहित अपनी शक्तियों को हल्के मे नही लूॅगा जैसा कि अब तक आयोग की बातो को नजरअंदाज किया जाता रहा है। एक प्रश्न के उत्तर पर उन्होने कहा कि उनसे पहले बने आयोग के अध्यक्ष अनुभवी तथा योग्य थे परन्तु परिस्थितियोंवश वह अपने दायित्वो के निर्वाह में पैनापन न ला सके। इसी के कारण देश मे स्थान पर दलितो के साथ अत्याचार बराबर होता चला आ रहा है। उन्होने कहा कि मेरा मानना है कि यदि किसी भी जुर्म में दोषी के विरुद्ध सख्त कानूनी कार्यवायी हो जाए तो फिर ऐसे अपराधो में कमी आ जाती है।
उ0प्र0सरकार के दलित प्रेम की कलई खोलते हुए उन्होने कहा कि सरकार में स्पेशल कम्पोनेन्ट प्लान का करोड़ो रुपया जालौन व कन्नौज में मेडिकल कालेज के निर्माण में लगा दिया जो सरासर दलितो के साथ ठगी समान है। प्रदेश सरकार के प्रवक्ता के उस कथन पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होने कहा कि वह कहते है कि इन मेडिकल कालेजो में 70 प्रतिशत सीटे दलितो के लिए सुरक्षित की जाएंगी, यह सरासर झूठ व फरेब है क्योकि मेडिकल कालेज में प्रवेश की प्रक्रिया पर नियन्त्रण मेडिकल कौंसिल आफ इण्डिया के नियमो का होता है ऐसा करना प्रदेश सरकार के बस मे नही है। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होने कहा कि आयोग के अध्यक्ष के नाते वह इस बात का प्रयास करेंगे कि जालौन व कन्नौज में दलितो के नाम पर आए धन को दलित योजनाओ में खर्च करे और मेडिकल कालेज के लिए राज्य सरकार किसी और मद से धन निवेश करे। उन्होने आगे कहा कि वह प्रदेश में मेडिकल कालेजो के खुलने के विरोध में नही है बल्कि उनका मानना है कि हर जनपद में एक सुपर स्पेशलिटी चिकित्सीय सुविधाओ से लैस केन्द्र खुले परन्तु इसके लिए दलितो के पैसे की बलि कदापि नही चढायी जानी चाहिए। श्री पुनिया ने एक अन्य प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि यदि माया सरकार उनके इस निवेदन को नही स्वीकार करती है तो वह विवश होकर अपने अधिकारो का प्रयोग करते हुए राष्ट्रपति को रिपोर्ट प्रेषित करेंगे और उ0प्र0 सरकार के विरुद्ध यह मुददा सदन मे भी गरमाएगा।
यह पूछे जाने पर कि उ0प्र0सरकार ने उनके द्वारा दलितो के मुददे पर पूछे गए प्रश्नो पर क्या रवैया अपनाया तो उन्होने कहा कि उ0प्र0सरकार ने आयोग को कई चिटिठयां भेजकर उनके हालिया दौरे का विरोध किया था और उनके द्वारा पूछे गए प्रश्नो व दलितो के कल्याणार्थ प्रदेश मे चल रही योजनाओ की समीक्षा के उनके प्रयास को यह कहते हुए सहयोग करने से बहाना लिया कि अभी पंचायती चुनाव की व्यवस्था से पूरा शासन व प्रशासन व्यस्त था तथा दीपावली की छुटिटया हैं जबकि प्रदेश के उनके दौरे के पूर्व आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ, हरियाणा, झारखण्ड, सरकारो ने उनके दौरे के दौरान उनको न केवल पूर्ण सहयोग दिया था बल्कि उनका शासकीय स्वागत भी किया था। परन्तु यहाॅ उनके आगमन पर उन्हे रिसीव करने कोई बड़ा अधिकारी नही आया उल्टे उनके लिए प्रेम व सम्मान मे जो होर्डिंग्स राजधानी लखनऊ में लगायी गयी थी उसे आज सुबह से ही लखनऊ विकास प्राधिकरण के अधिकारी जल्दी जल्दी उतारने मे जुटे हुए थे जबकि अन्य दलो की प्रचार होर्डिंग्स नगर में जगह जगह लगी हुई थी। पत्रकारो द्वारा यह पूछे जाने पर कि आज उनके साथ जिला प्रशासन के मुखिया जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक के साथ जो समीक्षा बैठक निर्धारित थी क्या वह सम्पन्न हुई। तो उन्होने कहा कि उन्हे बताया गया कि आज दोनो अधिकारी लखनऊ में शासन के बुलावे पर जा रहे है इसलिए समीक्षा बैठक होना सम्भव नही है। यहाॅ तक कि लखनऊ स्थित पी0डब्ल्यू0डी0गेस्ट हाउस में उनके द्वारा प्रेस वार्ता करने की भी प्रेस वार्ता अनुमति नही दी गयी।
यह पूछे जाने पर कि दलित उत्पीड़न के मामले मे उ0प्र0 यदि देश मे प्रथम स्थान पर है तो अन्य राज्यो का क्या हाल है। मध्य प्रदेश दलित उत्पीड़न के मामले मे दूसरे व आंध्र प्रदेश तीसरे स्थान पर है।
अल्पसंख्यक दलितो को आरक्षण की सुविधा मिलनी चाहिए या नही ? इस प्रश्न के जवाब में उन्होने कहा कि दिल्ली में उनके शपथ लेते ही यह प्रश्न पूछा गया था, जिसके उत्तर मंे उन्होने कहा था कि इस्लाम में तो जात पाति नही है लेकिन हिन्दुस्तान के मुसलमानो मे जाति पाति व्याप्त है। श्री पुनिया आगे कहा कि उनका व्यक्तिगत मानना इस मुददे पर है कि दलित भाई अपना धर्म परिवर्तन करके मुसलमान इसाई या किसी धर्म को ग्रहण करता है तो उसे अपनी जाति व पेशो को बरकरार रखते हुए आरक्षण की सुविधा मिलनी चाहिए जो सामाजिक आर्थिक दृष्टिकोण से न्याय संगत भी है।
दलितो को मिलने वाले आरक्षण में क्रीमीलेयर के दलितो को क्या यह सुविधा दी जानी चाहिए ? इस प्रश्न के उत्तर मे आयोग के अध्यक्ष ने कन्नी काटते हुए कहा कि क्रीमीलेयर की बात पिछड़ो को आरक्षण देते समय मण्डल कमीशन ने उठायी थी जो दलितो के मानने मे लागू नही होती है।
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