बाराबंकी। आजकल टमाटर के दाम आसमान से बाते कर रहे है। प्याज के बाद टमाटर वह सब्जी है जिसके दाम अचानक बढ गए है। सामान्यता शरद ़ऋतु मे टमाटर के दाम काफी नीचे रहते थे और ग्रहणियां इस अवसर का लाभ उठाकर अपने घरो मे टोमाॅटो सॅास व टोमाॅटो प्यूरी इत्यादि बनाकर रख लिया करती थी जो आगे गर्मी के दिनो मे टमाटर की महंगायी के समय उनके काम आता था। परन्तु इस बार टमाटर की महंगायी ने ग्रहणियों की पकड से टमाटर को दूर कर दिया है।
विटामिन सी का मुख्य स्रोत व कई रोगो से शरीर को बचाने वाली सब्जी टमाटर जाडे मे काफी इफराद रहा करता था। नवम्बर के माह से लेकर फरवरी मार्च तक टमाटर बहुत ही कम दामो पर उपलब्ध रहता था और गरीब से गरीब व्यक्ति अपनी हाण्डी में टमाटर डालकर इसका जायका लिया करता था। जनपद में हैदरगढ व सिद्धौर ब्लाक मे जमकर देसी टमाटर की खेती हुआ करती थी और सब्जी मण्डी में प्रतिदिन जाडो के दिनो मे देसी टमाटर की आमद लगभग 10 ट्रक की होती थी।
परन्तु जनपद के अग्रज कृषक राम शरण वर्मा जिन्होने टमाटर व केले की खेती मे नया कीर्तिमान स्थापित कर पूरे राष्ट्र में बाराबंकी का नाम रोशन किया है, से प्रेरणा पाकर अधिकांश किसानो ने जाडे में उगाए जाने वाला देसी टमाटर को अलविदा कह दिया और अधिक उपज व अधिक दाम पैदा करने की लालसा में देसी टमाटर के स्थान पर हाइब्रिड टमाटर की खेती प्रारम्भ कर दी। जिसकी बुआई फरवरी माह मे की जाती है और देसी टमाटर के रुखसत होने के समय जब टमाटर की बाजार मे कीमत उछाल मार रही होती है तो हाइब्रिड टमाटर की फसल की आमद मार्च अप्रैल माह में होने लगती है। पहले जहाॅ गर्मी के दिनो मे थोक सब्जी मण्डी मे उत्तरांचल के ठण्डे इलाको व महाराष्ट्र व गुजरात से हाइब्रिड टमाटर की आमद होती थी अब जनपद में ही इतना टमाटर गर्मी ऋतु मेे पैदा होता है कि उसका निर्यात देश के दूसरे प्रांतो मे न केवल किया जाता है बल्कि देश के बाहर भी किया जाने लगा है।
नवीन मण्डी स्थल मे टमाटर के व्यवसायी मो0आदिल राईन के अनुसार वर्तमान में टमाटर की आमद उ0प्र0 के पूर्वी जनपद सोनभद्र से हो रही है जिसकी तहसील राबर्ट्स गंज मे ंइतना टमाटर होता है कि उ0प्र0 की सभी मण्डियो मे यहीं से टमाटर लोड होता है और दिल्ली व राजस्थान आदि के व्यवसायी भी यहाॅ से टमाटर लेने आते है। वर्तमान मे सोनभद्र में टमाटर की स्थिति यह है कि दो दो तीन तीन दिन वहाॅ लाइन लगाए गाडियां खडी रहती है और थोक आढती सीधे मुह बात नही करते। यही कारण है कि इस समय मण्डी में टमाटर 450 से 500 रुपये प्रति के्रट के मध्य बिक रहा है। जिसमे 25 से 27किलो की भर्ती होती है। जबकि पिछले माह के प्रारम्भ में यही टमाटर 60 रुपये से लेकर 70 रुपये क्रेट बिक रहा था। टमाटर में अचानक आयी इस महंगायी को आदिल टमाटर का निर्यात कारण बता रहे है। देसी टमाटर के बारे में उन्होने बताया कि पिछले चार पाॅच साल से इसकी आमद आनी बंद हो गयी है। इस वर्ष मात्र एक गाडी देसी टमाटर प्रारम्भ में आया था। उसके बाद इसके दर्शन नही हुए। उन्होने बताया कि जनपद के हैदरगढ व सिद्धौर ब्लाक मे देसी टमाटर की खेती बडे पैमाने पर होती थी। इसके अतिरिक्त हरख बंकी व देवाॅ ब्लाक से भी टमाटर की आमद मण्डी में हुआ करती थी। यह टमाटर ग्राहको की पहली पसन्द अपनी खटास के कारण होता था।
टमाटर के एक अन्य व्यवसायी व बसपा नेता ताज बाबा राईन ने बताया कि यहां का किसान अब जाडे का टमाटर बोना छोड चुका है और पहले जो डलिया वाला देसी टमाटर आता था उसकी आमद बंद हो चुकी है वर्तमान मे जो टमाटर आ रहा है। वह अपनी रंगत व छिलके की मजबूती के कारण अधिक पसन्द किया जाता है और यह अधिक टिकाउ भी होता है। प्रदेश के पूर्वान्चल के जिलो से इस टमाटर की आमद हो रही है जिसमें जनपद सोनभद्र गाजीपुर व बनारस इस टमाटर के हब बन चुके है। जहाॅ से जाडे के दिनो मे देश के अधिकांश भागो मे टमाटर जाता है। यही कारण है कि मांग अधिक होने से टमाटर की महंगायी वर्तमान मे चल रही है।
सब्जी मण्डी के बुुजुर्ग व्यवसायी इब्राहिम राईन का कहना है कि आज का किसान पहले अपना हित देख रहा है उसे जनहित से कोई सरोकार नही। प्रदेश सरकार का कृषि विभाग व उद्यान विभाग भी पडा कुम्भ करन की नींद सो रहा है उसे इस बात से मतलब नही कि कौन सी खेती लुप्त हो रही है और क्यों ? वह तो केवल कागजो पर घोड़े दौडा कर हराम में तन्ख्वाह ले रहे है। जिले से देसी टमाटर की खेती लुप्त हो चुकी है किसानो को पूर्वान्चल के जिलो मे उगाया जाने वाला यह हाइब्रिड टमाटर की खेती करने की सलाह कृषि व उद्यान विभाग के अधिकारियों को देनी चाहिए थी, जो नही दी गयी। यहाॅ के किसानो को पता ही नही कि हाइब्रिड टमाटर की फसल उगाने से वह कितना लाभान्वित होंगे और जब स्थानीय टमाटर मिलने लगेगा तो भाडा कम होने के कारण स्वभाविक है कि दाम गिरेंगे।
बाबू जगजीवन राम कृषि पुरस्कार से सम्मानित राम शरण वर्मा से जब देसी टमाटर के बारे मे पूछा गया तो उन्होने बताया कि किसान को तो कम लागत, कम नुकसान मे अधिक से अधिक फसल उगा कर अधिक लाभ कमाना है यह देखना सरकार का काम है कि इसके आयात एवं निर्यात में संतुलन बनाकर कैसे इन वस्तुओ के दामो को देश के बाजारो में नियन्त्रित किया जाए। देसी टमाटर की खेती त्याग देने पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होने कहा कि देसी टमाटर की अपेक्षा वर्तमान मे जाडे के दिनो में चल रहा हाइब्रिड की पैदावार 200 कुण्टल प्रति एकड है जो देसी टमाटर की अपेक्षा लगभग दुगनी है। जबकि फरवरी माह मे लगाया जाने वाला हाइब्रिड टमाटर का उत्पाद 350 कुण्टल से 400कुण्टल प्रति एकड होने के कारण यहाॅ के किसान उस खेती में अधिक रुचि रखते है।
देसी टमाटर की खेती जनपद से विदा हो जाने की खबर से बेखबर जनपद के उद्यान अधिकारी आर0के0सिंह का कहना है कि लोगो का स्वाद बदल गया है जहाॅ पहले खटास भरा देसी टमाटर लोग पसन्द करते थे वहीं आज कम खटटा हाइब्रिड टमाटर लोगो को अधिक पसन्द आ रहा है। इसी कारण किसानो ने गर्मी मे बोए जाने वाला टमाटर अधिक उगाना शुरु कर दिया है। इसके अतिरिक्त देसी टमाटर को किसानो द्वारा परित्याग कर देने की एक वजह श्री सिंह यह बता रहे है कि देसी टमाटर में एसिड कीडा (माइजस प्रेसिका) के द्वारा फैलाया जाने वाला वायरस के कारण बडे पैमाने पर रोग हो जाता था। जिससे किसान को काफी नुकसान उठाना पडता था। दूसरी वजह यह है कि देसी टमाटर का छिलका काफी नरम व पतला होता था तथा इसकी शेल्फ लाइफ भी काफी कम होती थी और दूर भेजने पर यह सडन का शिकार हो जाता था। यह पूछे जाने पर कि प्रदेश के पूर्वान्चल के जिलो में जाडे में उगाए जाने वाला हाइब्रिड टमाटर वहाॅ के किसानो को बडा आर्थिक लाभ पहुॅचा रहा है। यहाॅ के किसानो को इस खेती के लिए उद्यान विभाग प्रेरित क्यांे नही करता तो वह उत्तरहीन हो गए।
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