सोमवार, 3 जनवरी 2011

रामनगर पुलिस की कार्यप्रणाली माशा अल्लाह

बाराबंकी। वैसे तो वर्तमान समय मे जनपद के सभी थानो की कार्यप्रणाली कमोवेश माशाअल्लाह चल रही है। परन्तु इसमें थाना रामनगर की कार्य प्रणाली अपने आप में सबसे अलग है और हो भी क्यों न क्योंकि यहाॅ के थानेदार को क्षेत्रीय विधायक का आर्शीवाद जो प्राप्त है।
 रामनगर पुलिस के यूॅ तो अनेको कारनामे है जिससे क्ष्ेात्रवासी भली भाॅति परिचित है। परन्तु कल क्षेत्र में एक 30-35 वर्ष के व्यक्ति की संदिग्ध परिस्थितियो में मिली लाश को पुलिस द्वारा अन्त्य परीक्षण हेतु भेजने से पूर्व जो पंचनामा भरा गया उसमें सर्वप्रथम पुलिस द्वारा मानसिक रोग विशेषज्ञ बनकर उसे अर्धविक्षिप्त करार देने के बाद उसके गले में हिन्दु धर्म का परिचायक एक माला भी पड़ी थी परन्तु उसे मुस्लिम करार दे दिया गया। पुलिस द्वारा यह कवायद मात्र इसलिए की गयी कि लावारिस शव के अंतिम संस्कार के लिए उसके पाले मे खर्चा न आने पाए बताते चले कि हिन्दु लावारिस शवो के लिए चूॅकि कोई सामाजिक संस्था नही मौजूद है और पुलिस को यह खर्चा स्वयं उठाना पड़ता है जबकि लावारिस मुस्लिम शवों के कफन दफन का प्रबन्ध अपनी स्वेच्छा से एक समाजसेवी सूफी उबैदुर्रहमान द्वारा वर्षाे से किया जा रहा है।
 प्राप्त जानकारी के अनुसार पुलिस द्वारा अज्ञात शव को अन्त्य परीक्षण हेतु भेजते समय उसे ठण्ड के कारण मृत्यु होना बताया गया था जबकि चिकित्सक ने पोस्टमार्टम में पाया कि उसकी पसलिया बुरी तरीके से चकनाचूर थी और उसका यकृत तथा तिल्ली फट चुकी थी और अन्त्य गुहा मे काफी रक्त मौजूद था। साफ जाहिर है कि उसकी मृत्यु एण्टीमार्टम चोटो के कारण हुई थी यानि उसकी हत्या हुई है परन्तु रामनगर की भोली भाली पुलिस हत्या को प्रशासन के पाले मे यह कह कर डाल रही है कि ठण्ड से अर्द्धविक्षिप्त की मृत्यु हो गयी। उधर डाक्टर द्वारा पोस्टमार्टम में पुलिस की पोल पट्टी खोलने के अतिरिक्त मुसलमान कहकर भेेजे गए शव को हिन्दू करार दे दिया। इस प्रकार पुलिस के दुश्मन बन गए है पोस्टमार्टम के डाक्टर क्योंकि इससे पहले थाना सतरिख में एक दलित लड़की शिव रानी की आत्म हत्या की कहानी जो पुलिस ने बनायी थी उसे भी ईमानदार डाक्टर ने उलट दिया और पुलिस के मनसूबोें पर यह कहकर पानी फेर दिया कि उसकी हत्या हुई है।

कोई टिप्पणी नहीं: