गुरुवार, 2 अक्तूबर 2014

श्री मनोज कुमार झा, अपर पुलिस अधीक्षक, एस0टी0एफ0 लखनऊ का बयान किया -----------गवाह 5 बयान जारी ----2

(9)
एस0टी0 3/0/2000
पी0डब्लू0 5    28.5.2010
गवाह श्री मनोज कुमार झा, अपर पुलिस अधीक्षक
एस0टी0एफ0 लखनऊ ने अपनी साक्ष्य दि0 22.5.10
के क्रम में सशपथ बयान किया कि:-
    पकड़े गये दोनों व्यक्तियों में से एक व्यक्ति
ने अपना नाम खालिद मुजाहिद पुत्र स्व0
जमीर मुजाहिद म0नं0 37 मो0 महतबाना
कस्बा मडि़याहू थाना मडि़याहूं जिला जौनपुर
व दूसरे व्यक्ति ने अपना नाम मो0 तारिक
काजमी पुत्र रियाज अहमद ग्राम
सम्मोपुर थाना रानी की सरायं जनपद आजम-
गढ़ बताया।
    खालिद मुजाहिद ने अपने दाहिने हाथ
में एक नीले व हरें रंग का एअरबैग जिसके
पाकेट पर अंग्रेजी में WILLS लिखा था
पकड़ रखा था। बैग को खोलकर तलाशी
लेने पर उसमें लाल एवं नीले रंग के
पालिथीन में पैकशुदा नौ जिलेटिन राड,
जिसमें प्रत्येक राड पर ‘‘सुपर पावर 90’’
लिखा हुआ था एवं कुछ अन्य चीजें
भी लिखी हुई थी। व तीन स्टील
कलर के डेटोनेटर जिसमें तीन लाल वायर
लगे हुए थे, बरामद हुए। उसी बैग में
दैनिक इस्तेमाल की कुछ चीजे मिली।
खालिद मुजाहिद की कुछ चीजे मिली।
खालिद मुजाहिद द्वारा पहने
हुए कुर्ते की दाहिनी जेब की तलाशी
लेने पर पीले रंग की पालिथीन
छोटी में एक नोकिया मोबाइल फोन   (10)
जिसमें आइडिया कम्पनी का सिम लगा हुआ था।
उसी पालिथीन में दो अन्य सिम, एक आइडिया का
व दूसरा बी0एस0एन0एल0 (Exeal) लिखा
था व 350 रूपये भी बरामद हुए थे।
    तारिक काजमी के दाहिने हाथ में एक काले रंग
का एअर बैग, जिस पर (Samsomte)  अंग्रेजी
में लिखा हुआ था, पकड़, रखा था। उस बैग
की तलाशी लेने पर उसमें एक पैकेट जिस पर
खाकी रंग का टेप (प्लास्टिक का) बंधा हुआ था
टेप को खोलकर देखने पर उस पैकेट में
तीन स्टील कलर के डेटोनेटस्र जिसमें लाल
वायर लगा हुआ था बरामद हुआ। उसी
बैग में एक पन्नी में काले रंग का हाई पावर
एकसप्लोसिव भी था जो देखने से
आर0डी0एक्स0 लग रहा था। सी0ओ0
चिंरजीव नाथ सिन्हा द्वारा उस हाई एकसप्लोसिव
को लगभग सवा किलो का होना बताया गया।
उक्त बैग में दैनिक इस्तेमाल की कुछ चीजे
मिली थी। तारिक कासमी द्वारा पहने हुए
कुर्ते की दाहिनी जेब की तलाशी लेने पर
उसमें एक नोकिया मोबाइल फोन जिसमें
‘एक्सल’ लिखा हुआ (बी0एस0एन0एल0) का
सिम लगा हुआ था। उक्त पाकिट से ही
एक काले रंग की छोटी डायरी जिसमें
अंग्रेजी में "Madani Dairy"  2007
व उर्दू में कुछ लिखा हुआ था उक्त
डायरी में अन्दर उर्दू व अंग्रेजी में कुछ
चीजे लिखी हुई थी।    (11)
डायरी के अन्दर ही एक आइडिया कम्पनी का
सिम, एक रोडवेज बस का टिकट, उत्तर रेलवे
वाराणसी कैन्ट के साइकिल स्टैण्ड की रसीद
जिस पर स्पलेण्डर लिखा हुआ था व तारीख
16.12.2007 पड़ी हुई थी। कुर्त की जेब
से ही चाबी का गुच्छा जिसमें दो छोटी
बड़ी चाभी लगी थी व तीन सौ रूपया
नकद बरामद हुआ।
    उक्त बरामद विस्फोटों के सम्बंध में
दोनों व्यक्तियों से अलग अलग पूछा गया
तो कोई संतोष जनक जवाब नहीं दे सके।
खालिद मुजाहिद ने तथा तारिक कासमी से
अलग अलग बरामद सामान को अलग
अलग कब्जा पुलिस में लिया गया। दोनों
को अलग अलग कारण गिरफ्तारी बताते
हुए गिरफ्तार किया गया।
    खालिद मुजाहिद ने तारिक कासमी
की गिरफ्तारी के सम्बंध में मा0 उच्चतम
न्यायालय के निर्देशों व मानवाधिकार
आयोग के निर्देशो का अनुपालन किया
गया।
    खालिद मुजाहिद ने मौके पर दौरान पूछ-
ताछ बताया कि वर्ष 2001 में व मुफ्ती
व आलिम की पढ़ाई करने अमरोहा गया
था जहंा पर उसकी मुलाकात अब्दुल
रकीब जो कि आसाम का रहने वाला
था, उससे हुई। अब्दुल रकीब ने उसे
जिहाद के बारे में समझाया और उससे
इस सम्बंध में बात होती रही। वर्ष
2003 में अब्दुल रकीब मुझे किस्तवाड़ा 
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जम्मू कश्मीर के हूजी  (HUJI)  टेªनिंग कैम्प
में ले गये। वहां पर मैंने पन्द्रह दिन हथियार
चलाने, हथियार छीनने व विस्फोट करने की
टेªनिंग ली। वही मेरी मुलाकात बशीर
हिजाजी से हुई। जो कि हूजी तंजीम के थे।
उनसे भी बाते होती रहती थी, वापस टेªनिंग
से आने पर फोन से बाते होती रहती थी।
हिजाजी ने ही मुझे फोन करके बताया था कि
अब्दुल रकीब उपरोक्त शहीद हो गया है।
वर्ष 2006 में हिजाजी ने मुझे फोन करके बताया
कि खालिद कश्मीरी तुम्हारे पास
मडि़याहू आयेगा। खालिद कश्मीरी मडि़याहूं
मेरे पास आया जहंा मैंने उसकी मुलाकात
तारिक काजमी से कराई। खालिद कश्मीरी
ने एक फोन व एयरटेल का एक सिम
तारिक काजमी को दिया व उसी फोन से
खालिद कश्मीरी ने पाकिस्तान स्थित हूजी
के मुखिया तौकीर से है, तारिक की बात
कराई। व तौकीर ने हवाला से पैसे लेन देन
करने व हूजी तंजीम के लोगों को
इनतजामाव करने के लिए तारिक को बताया।
फरवरी या मार्च 2007 में दानिस सरवर नाम
का हूजी का एक अन्य व्यक्ति मडि़याहूं
आया व मुझसे मिला जिसका मैंने तथा तारिक
काजमी ने उसका इलाज कराया।
जून 2007 में हिजाजी का मेरे पास फोन
आया, उसमें मुझे देवबन्द में सज्जाद
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कश्मीरी से मिलने के लिए कहा। मैं देवबन्द
जाकर सज्जाद कश्मीरी से मिला। देवबन्द में
ही मैंने अपने मोबाइल फोन से तारिक
का फोन मिलाकर सज्जाद कश्मीरी से
बात कराई। इस दौरान देवबन्द से वापस
आने के बाद भी सज्जाद कश्मीरी व
हिजाजी से मेरी बात चीत हो रही, टेली-
फोन के माध्यम से। हिजाजी ने यह
कहकर कि इमरान गुरू, तारिक कश्मीरी
व अब्दुल कदीर को लेकर सज्जाद मेरे
पास मडि़याहू आयेगा वहां से मुम्बई
सभी लोगों को जाना होगा। यह उनके
आने की बात रमजान महीने के दौरान
हुई थी। मैं मुम्बई रमजान के महीनों
में जाता हूँ। सज्जाद कश्मीरी सभी लोगों
को लेकर मडि़याहू मेरे पास आया जहंा
से हम सभी लोग तथा मैं (गुरू व अब्दुल
कदीर) मुम्बई गये व मुम्बई में हम
लोगों ने रैकी की क्योंकि भविष्य में
मुम्बई में विस्फोट किया जाना था।
    मुम्बई से फिर हम सभी लोग वापस
आये मडि़याहूं को, उसके बाद सज्जाद
व उपरोक्त तीनों लोग मालदा, पश्चिम
बंगाल में मुख्तार राजू से मिलने
के लिए चले गये। वहां से वापस पुनः
मेरे पास आये और यह बताया कि
लखनऊ, फैजाबाद व वाराणसी में विस्फोट
किया जाना है। (14)
विस्फोटक मुख्तार राजू मुगल सराय में लाकर
देगा उपरोक्त विस्फोट हिजाजी के निर्देशन में
किया जाना था। 18 तथा 19.11.2007 को
सज्जाद कश्मीरी, इमरान, तारिक कश्मीरी
व अब्दुल कदीर ने मुझे बताया कि हम
लोग मुगलसराय मुख्तार से मिलने जा रहे
हैं, रास्ते में तारिक काजमी से मिलते
हुए जायेंगे। 22.11.2007 को
सुबह चारबाग रेलवे स्टेशन पर प्लेटफार्म
नं0 1 पर अब्दुल कदीर से मिलना।
23.11.2007 की सुबह चारबाग रेलवे स्टेशन
पर प्लेट फार्म सं0 1 पर मेरी मुलाकात
अब्दुल कदीर से हुई। वहां से हम दोनों
व्यक्ति चलकर टीले वाली मस्जिद पर आये
और वहीं रूके रहे। दिन में करीब ग्यारह
बजे जाहिद नाम का एक व्यक्ति टीले
वाली मस्जिद पर हमसे मिला, उसके
हाथ में एक बैग था। वहां से हम तीनों
व्यक्ति नींबू पार्क आये और वहां से
रिक्शे पर बैठकर लखनऊ कचेहरी के
मेन गेट पर पहुंचे। हम दोनों को वही
छोड़कर जाहिद कही चला गया और
थोड़ी देर बाद एक सायकिल लेकर आया
व सायकिल तथा बैग के साथ अन्दर कचेहरी
चला गया।(15)
सायकिल मय बैग वही लखनऊ कचेहरी
खड़ी करके वापस आया व थोड़ी देर के
लिये फिर कहीं चला गया। तथा एक और
सायकिल जिस पर बैग लटका हुआ था
लेकर आया और कचेहरी के बाहर
खड़ा कर दिया। हम लोग थोड़ी देर जाहिद
का इन्ताजार करते रहे क्योंकि दूसरी सायकिल
खड़ी करने के बाद जाहिद कहीं चला
गया था। थोड़ा इन्तजार करने पर जब
जाहिद नहीं आया तो अब्दुल कदीर ने
मुझे बताया कि उसे दिल्ली जाना है तथा
मैं वापस अपने घर चला जाऊँ। मैं
लखनऊ से फिर वापस अपने घर मडि़याहूं
चला आया। घर आने पर मुझे पता चला
कि लखनऊ, फैजाबाद व वाराणसी की
कचेहरियों में सीरियल ब्लास्ट हुआ
है। सज्जाद कश्मीरी ने मुझे यह
भी बताया कि फैजाबाद में मो0 तारिक
तारिक कश्मीरी, इमरान गुरू विस्फोट
करने, का कार्य करेंगे तथा मैं (सज्जाद)
स्वयं मुख्तार राजू तथा अन्य व्यक्तियों
के साथ वाराणसी की कचेहरी में
विस्फोट के कार्य को अंजाम दूंगा।
इन विस्फोटो के बदले में हमें दस लाख
रूपये हवाला से मिलने थे जो
अभी प्राप्त नहीं हुए हैं। यह विस्फोटक
जो अभी मेरे पास से बरामद हुआ है
हिजाजी के निर्देश पर राजू मुख्तार (16)
से अलग अलग प्राप्त हुआ जिसे इमरान गुरू
को देने के लिये हम यहां पर आये थे।
इमरान गुरू इन विस्फोटकों को तैयार कर
हमें देता तथा इन्हंे कहा पहंुचाना था, यह
निर्देश बाद में बताया जाता। खालिद
ने यह भी बताया कि सज्जाद के कहने पर
वह अपना मोबाइल घर पर छोड़ आया था
उसने आगे यह भी बताया कि दिनांक
24.11.2007 को उसने अपने मदरसे की
कापियां 23.11.2007 की तिथि डालकर जांची
थी व अपनी उपस्थिति तिथि भी
उपिस्थति रजिस्टर में 24.11.2007 को
दि0 23.11.2007 ही डाली थी। फिर बताया
कि 23.11.2007 को वह अनुपस्थित था
दि0 24.11.2007 को आकर उपस्थिति पंजिका
में 23.11.2007 की हाजिरी दर्ज कर दी।
उसने यह भी बताया कि वह तंजीम दस्ते का
फौजी कमाण्डर है। टीले वाली मस्जिद से
मेरा मतलब लखनऊ की टीले वाली मस्जिद
से है। ये उपरोक्त बाते बताते हुए अपना
जुर्म स्वीकार करते हुए खालिद माफी
मांगने लगा।
..........................लगातार.....................
            सुनकर तस्दीक किया
               ASJ C.No.7
                28-5-2010
प्रमाणित किया जाता है
कि उक्त बयान मेरी
क्षवण गोचरत में
पेशकार द्वारा लिखा
गया।
ASJ C.No.7
 28-5-2010

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