शुक्रवार, 3 अक्तूबर 2014

राजेश कुमार श्रीवास्तव पुलिस उपाधीक्षक -------------गवाह ------------8------जारी--14

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ST No. 310/08
सरकार बनाम खालिद मुजाहिद

PW No.8
04-07-2013
जिरह जारी पेज नं0 87 से आगे-
गवाह श्री राजेश कुमार श्रीवास्तव ने आज दिनांक 04.07.14
को सशपथ बयान किया कि -
मैंने दिनांक 05.06.08 को मा0 उच्च न्यायालय में आरोप पत्र
याचिका सं0 293 (H/C) में दाखिल किया। उस समय इसके
विवेचना प्रचलित थी। मेरे द्वारा रिट याचिका में संलग्नक
मैंने देखे थे। मैंने पुलिस के रेगुलेशन का पैरा 107 पढ़ा है।
प्रश्न-बहैसियत विवेचना अधिकारी रिट याचिका में इस केस से सम्बंधित
जो कागजात आपको रिट में संलग्न के रूप में प्राप्त हुए व अपने
दौरान विवेचना विचार किया।
उत्तर-प्रतिशपथ पत्र दाखिल करने के पूर्व रिट याचिका से सम्बंधित
सभी संलग्नकों पर विचार किया गया। मैं विवेचना के दौरान बचाव
पक्ष में दाखिल किये गये पेपर प्रार्थना पत्र दि0 14.12.07 मिनजानिब
अजहर ने जो थाना रानी की सरायं को दिया था उसको मैंने नही देखा है 
पेपर सं0 अ-65 भी मुझे विवेचना के दौरान प्राप्त नहीं हुआ था।
रिट याचिका के साथ प्रस्तुत संलग्नक सं0 6 मैंने प्रतिशपथ
दाखिल करते समय देखा था। प्रति शपथ पत्र दाखिल करने के पूर्व
तारिक काजमी द्वारा दाखिल शपथ पत्र के साथ संलग्नकों को मेरे द्वारा
अवलोकन किया गया। मुकदमें की विवेचना के दौरान मैंने अधिकांश
संलग्नक जो पेपर कोरम से सम्बंधित थे उस पर विचार नहीं किया गया
तथा जो पत्र राष्ट्रीय मानवाधिकार को प्रेषित किये गये थे उसकी जांच
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा अलग से करायी जा रही थी
अतः इस कारण विचार नही किया गया। मेरे द्वारा उपरोक्त वार्ता
की इन्ट्री सी0डी0 में नहीं दी गयी थी। मेरे द्वारा समाचार
पत्रों में जिनमें अभियुक्त गणों के उठाये जाने का उल्लेख था उन
अखबारों की कटिंग पर कोई विवेचना नहीं किया। विवेचना के
अन्तर्गत जिन अन्य समाचार पत्रों को कंसीडर किया गया है
वे मात्र डेटा नेना के पुष्टि एवं प्राथमिक सूचना हेतु लिये
गये है। 
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ST No. 310/08
Cr. No. 1891/07
PW No.8
04-07-2014

यह मुझे याद नही है कि किस समाचार पत्र अथवा वेबसाइट
से दिनांक 30.06.2008 को केस डायरी में उल्लखित एजाज
उर्फ सबा जो पुलिस के साथ मुठीभेड़ में दिनांक 25.01.08 को
मारा गया है की जानकारी हुई थी। मेरे द्वारा विभिन्न सूत्रों 
से तथा इन्टरनेट के विभिन्न माध्यमों से विभिन्न आतंकवादी
घटनाओं जिनका उल्लेख इन्टीट्यूट का डिफेंस इस्टडीस
एण्ड एनालेसिस के साथ किया गया था उसका अवलोकन
किया गया था। उन प्रकरणों के आतंकवादी घटनाओं की जांच
मेरे द्वारा नही की गयी है। अतः मैं यह नही बता सकता कि ये
घटनाये किसके द्वारा घटित की गयी। जिरह जारी है।

                सुनकर तस्दीक किया।

बयान मेरे बोलने पर पेशकार
द्वारा लिखा गया।

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