शुक्रवार, 3 अक्तूबर 2014

राजेश कुमार श्रीवास्तव पुलिस उपाधीक्षक -------------गवाह ------------8------जारी---6

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एसटी नं0 310/2008
सरकार बनाम मो0 खालिद मुजाहिद +1 अन्य
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गवाह राजेश कुमार श्रीवास्तव पुलिस उपाधीक्षक
एटीएस ने आज दिनांक 14.12.2012 को
सशपथ बयान किया।
जिरह जारी--- मैं यह नही बता सकता कि
जिन विस्फोटक पदार्थों को मेरे द्वारा
निष्क्रीय कराया था उनको पूर्व में किसी
मजिस्टेªट के समक्ष पेश किया गया था
या नही। विस्फोटक पदार्थ और मोबाइल
अलग अलग कपड़ों में रखे गये थे जिनको
एक कपड़े में रखकर सर्व मोहर किया
गया था। विस्फोटक पदार्थों को निष्क्रीय
कराने के प्रक्रिया में पैकेट खोला गया
था। मोबाइल एक बार विस्फोटक पदार्थ
निष्क्रीय कराने के समय दिनांक 13 मार्च
2008 को मेरे द्वारा खोला कर देखा गया
यह बात मेरे द्वारा फर्द की प्रतिलिपी जो
मेरे पास छायाप्रति है, को देखकर बताई
है। यह मोबाइल मेरे द्वारा किसी मजिस्टेªट
या जज के सामने प्रस्तुत नहीं किया गया।
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विस्फोटक पदार्थ जो निष्क्रीय किये जाने पदार्थ
जो निष्क्रीय किये जाने वाले अधिकारियों
द्वारा मुझे प्रदान किये गये उन्हें मेरे
द्वारा वही पर सील मोहर किया
गया। जिन कपड़ों में विस्फोटक पदार्थ थे
उनको सुरक्षित रखने के लिए
मालखाना मोहर्रिर को मेरे द्वारा दे
दिया गया था। मेरे द्वारा अपर पुलिस
अधीक्षक श्री मनोज कुमार झां का कथन
दिनांक 14 मार्च 2008 को एसटीएफ
कार्यालय में 12 बजे के लगभग लिखा
गया था। मेरे द्वारा उनका बयान अंकित
करने में लगभग 15 मिनट का समय
लगा। श्री मनोज कुमार झां द्वारा दिये
गये बयान को मेरे द्वारा केस डायरी
में वैसा ही लिखा गया था। घटना के
लगभग 2 1/2 - 3 माह की अवधि के बीच
मैंने श्री मनोज कुमार झंा का बयान लिखा
मेरे द्वारा श्री मनोज कुमार झां द्वारा पुष्ठ सं0
9 से पृष्ठ संख्या 11 प्रस्तर (1) तक में अंकित
कथन का सारांश केस डायरी में अंकित
है (मुख्य परीक्षा) मेरे द्वारा श्री मनोज कुमार झां
द्वारा न्यायालय में अंकित बयान जो पृष्ठ सं0
11 प्रस्तर (4) से पृष्ठ सं0 13 के मध्य अंकित
है उसका उनके द्वारा मेरे समक्ष दिये
गये बयान, केस डायरी में अंकन नही है।
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मेरे द्वारा श्री मनोज कुमार झां द्वारा न्यायालय
में दिये गये कथन पृष्ठ 13 के अंतिम प्रस्तर
से पृष्ठ 16 के अंतिम प्रस्तर के मध्य अंकित
है उसमें अभियुक्त खालिद मुजाहिद द्वारा
उसके पास से इस अभियोग में की
गई बरामदगी के अतिरिक्त अन्य अंश
केस डायरी में अंकित नही है। मेरे
द्वारा श्री मनोज कुमार झां द्वारा न्यायालय
में दिये गये कथन पृष्ठ 17
प्रस्तर 1 से पृष्ठ 20 प्रस्तर 2 के मध्य
अंकित है। मुल्जिमानों के पास से की
गई बरामदगी उनेक फर्द गिरफ्तारी की
पुष्टि उनके हूंजी तंजीम के
सदस्य होने तथा लखनऊ फैजाबाद
एवं वाराणसी न्यायालय प्रकरणों में
कारित किये गये विस्फोटों की पुष्टि
के अतिरिक्त अन्य को केस
डायरी में अंकित नही किया गया।
यह बाते श्री मनोज कुमार झां द्वारा
मुझे बताई गई थी। उक्त कथन के
अधिकांश बिन्दु उस समय इस अभि-
योग के सम्बंध में प्रासंगिक न होने
के कारण इस अभियोग की केस
डायरी में अंकित नही किये गये। यह
कहना असत्य है, कि विवेचना अधिकारी
के रूप में मेरे द्वारा उन तथ्यों को
अनउपयुक्त समझा गया। यह भी कहना
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असत्य है कि इस कारण मैंने उन
तथ्यों को इस अभियोग की केस डायरी
में नही लिखा। यह कहना सत्य है कि
श्री मनोज कुमार झा द्वारा मुझे नही बताया
गया था कि तारिक काजमी और खालिद
मुजाहिद जनपद बाराबंकी कहा से आये।
श्री मनोज कुमार झा द्वारा अभियुक्तगणों
के द्वारा बाराबंकी रेलवे स्टेशन के
सामने रिक्शे से उतरने की बात बताई
गई थी। मैंने विवेचना के अन्तर्गत घटना
स्थल के आस पास लोगों से पूछताछ
की थी किन्तु रिक्शे वाले का पता नहीं
लग सका। मेरे द्वारा लोगों से पूछताछ
की गई थी उनके द्वारा कोई तथ्यपूर्ण
विवरण न देने के कारण उनका विवरण
केस डायरी में अंकित नही किया गया।
कमाण्डो भूपेन्द्र सिंह का बयान मेरे द्वारा
दिनांक 14.3.08 को एसटीएफ कार्या
लय में अंकित किया गया। समय नहीं
बता सकता। दोपहर के बाद का
समय था। मेरे द्वारा कमाण्डों भूपेन्द्र सिंह
जो एसटीएफ कार्यालय में नियुक्त
थे, को फोन से सूचना देकर एसटीएफ
कार्यालय में जाकर अंकित किया था।
मेमो देने के विषय मुझे याद नही है।
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इनका बयान मनोज कुमार झां साहब
के बयान होने के 2 1/2 - 3 घण्टे बाद
अंकित किया था। कमाण्डों भूपेन्द्र सिंह द्वारा
बताये गये बयान को मेरे द्वारा केस
डायरी में पूर्णतया अंकित किया गया
था। इसके अगले दिन दिनांक 15.3.08
को मेरे द्वारा श्री चिरंजी नाथ सिन्हा का
बयान अंकित किया गया था। पूर्व में
मेरे द्वारा श्री चिरंजी नाथ सिन्हा को अपना
बयान अंकित कराने की सूचना दी
थी। सूचना मौखिक दी थी लिखित नहीं
दी थी। मोबाइल फोन पर उनको सूचना
दी गई थी। मेरे द्वारा मेरे तथा चिंरजी नाथ
सिन्हा के मध्य सूचना के काल को
प्रमाणित करने के लिए कोई काॅल
डिटेल नहीं निकलवाई गई। मेरे द्वारा
उनका बयान क्षेत्राधिकारी चैक
कार्यालय में लिया गया था। समय
याद नही है। दोपहर के आस पास
का ही समय होगा। उनका बयान
दर्ज करने में लगभग 2 घण्टे का
समय लगा। उनके द्वारा बताई गई
बातों को संक्षेप में मेरे द्वारा केस
डायरी में अंकित किया गया।
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जो बयान किसी व्यक्ति द्वारा लिखाया जाता उसको
पुलिस अधिकारी द्वारा 161 सीआरपीसी में अंकित
किया जाता है। जो मेरे द्वारा श्री चिरंजी नाथ
सिन्हा का बयान अभिलिखित किये जाने में
किया गया। मेरे द्वारा पूरा बयान चिरंजी
नाथ सिन्हा का दर्ज किया गया। श्री चिरंजी
नाथ सिन्हा द्वारा दिनांक 15.03.08 को
खालिद मुजाहिद के घर से दिनांक 18.12.07
को उनके द्वारा दी गई दबिश व बरामद
वस्तु के फर्द की प्रति को प्रमाणित
करके दिया था और कोई सामान नही
दिया था। मेरे द्वारा उक्त फर्द की
मूल प्रति देखी गई थी। उस दिन मुझे
तारिक काजमी के घर से बरामदगी को
फर्द की प्रति दी। उस समय श्री
जनक प्रसाद द्विवेदी क्षेत्राधिकारी अपराध
जनपद लखनऊ के पद पर कार्यरत
थे। मेरे द्वारा इस अभियोग में श्री
जनक प्रसाद द्विवेदी का कोई
बयान नही लिया गया। श्री चिरंजी
नाथ सिन्हा द्वारा खालिद मुजाहिद के
घर पर दबिश मु0अ0सं0 547/07
थाना वजीरगंज जनपद लखनऊ के
प्रकरण में की गई थी तथा खालिद
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मुजाहिद के घर से बरामद माल को
उक्त अभियोग से सम्बंधित होने के कारण
थाना वजीरगंज जनपद लखनऊ में उनके
द्वारा दाखिल किया गया। थाना मडि़यांव
जनपद जौनपुर में कोई अपराध पंजीकृत
नहीं कराया गया। उन बरामद वस्तुओं
से अभियुक्तगणों के प्रतिबंधित आतंकी
संगठन हूजी के जम्मू एवं कश्मीर
स्थित कमाण्डर हैजाजी के साथ सम्बंध
प्रमाणित होते हैं। जिसकी आवश्यकता
इस अभियोग में है। श्री जनक प्रसाद
द्विवेदी मेरे अधीनस्थ प्रतिसार
निरीक्षक जनपद लखनऊ के पद पर
कार्यरत थे। श्री जनक प्रसाद द्विवेदी के
फर्द बरामदगी का मुख्य सम्बंध जनपद
लखनऊ में पंजीकृत अभियोग से है तथा
उनके द्वारा बरामद किये गये मोबाइल
फोन के काल डिटेल रिपोर्ट का सत्यापन
इस अभियोग में किया जाना है जो स्वतंत्र
प्रकृति का साक्ष्य है अतः उनका कथन
इस अभियोग में अंकित नही किया
गया।
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ST No. 310/2008
स0 बनाम खालिद मुजाहिद व 1 अन्य
 
जिरह जारी-
गवाह राजेश कुमार श्रीवास्तव ने आज दिनांक
04.01.2013 को सशपथ बयान किया कि
पीडब्लू 6 धनंजय मिश्रा का बयान मेरे द्वारा उनके
दिये गये कथन पर अंकित किया गया।
धनंजय मिश्रा ने अपने बयान पेज नं0 1 से पेज नं0
23 दिये गये कथन में अधिकांश तथ्य उनके
द्वारा विवेचना के अन्तर्गत मुझे बताया गया
था उनके द्वारा अपने एफ0आई0आर0 से सम्बंधित
फर्द के पन्ने एवं हस्ताक्षर करने की पुष्टि
की गई थी जिनको मेरे द्वारा अंकित किया
गया था। मेरे द्वारा श्री धनंजय मिश्रा को
बयान अंकित कराने के लिए कोई मेमो
जारी नहीं किया गया था। दिनांक 14.03.08
को मैं अपर पुलिस अधीक्षक श्री मनोज
कुमार झा का कथन अंकित करने एसटी0एफ
कार्यालय गया था जहां श्री धनंजय मिश्रा
उपस्थित थे अतः उनका बयान मेरे द्वारा
अंकित किया गया। मुख्य परीक्षा में उक्त
बात न बताने का कोई विशेष कारण
नहीं बता सकता मुझसे पूछा नही गया।
गिरफ्तारी टीम में सम्मलित सभी
अधिकारियों एवं कर्मचारियों के बयान
मेरे द्वारा नहीं लिये गये।
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एसटीएफ की जी0डी0 अभिसूचना एवं आपरेशन
इकाई होने के कारण गोपनीय प्रवृत्ति होती है
जिसे साक्ष्य में प्रस्तुत नहीं किया जाता है।
किसी भी अभिसूचना अधिकारी की जी0डी0 साक्ष्य
में प्रस्तुत नहीं की जाती है इस सम्बंध में
अधिसूचना की मुझे जानकारी नही है। कागज
सं0 अ-20 फोटोस्टेट हैं। यह सत्य है, कि यह
किसी किताब का हिस्सा है। इस कागज के
ऊपर किसी किताब का नाम नही लिखा
है। आरोप पत्र प्रदर्श क-16 के अनुसार विवेचना
जारी है। इस आरोप पत्र के उपरांत कितने
कागजात न्यायालय में दाखिल किये गये उनकी
गणना करके नहीं बता सकता। आरोप पत्र
मेरे द्वारा मा0 मुख्य न्यायिक मजिस्टेªट
के समक्ष सीधे दाखिल किया गया था मेरे
द्वारा कोई विधिक परामर्श नही किया
गया था। मेरे द्वारा अनुपूरक आरोप पत्र
सी0जे0एम0 न्यायालय में दाखिल किया
गया था। अनुपूरक आरोप पत्र दाखिल किये
जाने के समय भी इस प्रकरण की
विवेचना लम्बित थी। विवेचित प्रकरण
में उ0प्र0 शासन द्वारा दण्ड प्रक्रिया संहिता
एवं विधि विरूद्ध क्रिया कलाप अधिनियम
के प्राविधानों के अन्तर्गत समयिक
धाराओं में अभियोजन चलाये जाने
हेतु स्वीकृति प्रदान की थी अतः उस पत्र
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को द्वारा अनुपूरक आरोप पत्र दाखिल
किया जाना था जिसके आधार पर
माननीय न्यायालय द्वारा अग्रिम
कार्यवाही की जा सके इसलिए मेरे
द्वारा अनुपूरक आरोप पत्र प्रेषित
किया गया। मैं जिला मजिस्टेªट बाराबंकी
के समक्ष 16.03.2008 को समस्त विवेचना
से सम्बंधित प्रपत्रों को लेकर
उनके कार्यालय में उपस्थित हुआ था
मुझे दोपहर में बुलाया था समय याद
नही है। मैं उनके कार्यालय में लगभग
एक घण्टा रूका था। समस्त प्रपत्रों की
छायाप्रति अभियोजन स्वीकृति प्राप्त करने
के लिए पूर्व में ही मेरे द्वारा दे दी गई
थी। 16.05.08 को उस समय तक मेरे
पास उपलबध मूल प्रपत्र एवं सी0जे0एम0
बाराबंकी के न्यायालय में प्रस्तुत किये
गये प्रपत्रों की छायाप्रति के साथ
उनके समक्ष उपस्थित हुआ था।
मैं यह नही बता सकता कि कितने
दिन पूर्व मेरे द्वारा जिला मजिस्टेªट
बाराबंकी को सम्पूर्ण प्रपत्रों की
छायाप्रति दी गई थी। फोटो
स्टेट प्रपत्र देने का तस्करा मेरे द्वारा
केस डायरी में नही किया गया
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                    च्ॅ 8
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जिला मजिस्ट्रेट बाराबंकी कार्यालय में
अभियोजन स्वीकृति हेतु आवेदन दिये जाने
के साथ उनके न्याय सहायक द्वारा समस्त
प्रपत्रों की छायाप्रति ली गई थी। मैंने इसका
तस्करा केस डायरी में नहीं किया है।
मेरे द्वारा जिला मजिस्ट्रेट से उक्त प्रकरण
में अभियोजन स्वीकृति प्रदान करने हेतु
आवेदन पत्र दिया गया था जिस पर
उनके न्याय सहायक द्वारा बताया गया था
कि दूरभाष द्वारा मुझे नियत तिथि की
जानकारी दी जाएगी और मैं उस तिथि
को जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष समस्त
अभिलेखों के साथ उपस्थित होऊँगा।
यह कहना असत्य है कि मैं एक घण्टा
जिला मजिस्ट्रेट के साथ न रहा होऊँ।
अभियोजन स्वीकृति का पत्र मुझे डाक
से मिला था यह कहना असत्य है कि
जिला मजिस्ट्रेट ने यह प्रपत्र मेरे समक्ष
तैयार न कराया गया हो।


To be Continued on
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