शनिवार, 26 दिसंबर 2009

जनता की नजरों में गिरते जनप्रतिनिधि

बाराबंकी। नगर परिषद् नवाबगंज सभासदों द्वारा एक साथ दिए गए त्यागपत्रों का मामला फिर टाय टाय फिश हो गया। नाराज सभासद अध्यक्ष के आश्वासन पर हर बार की तरह इस बार भी मान गए। सौदा किस बात पर पटा यह न सभासद खोलना चाहते हैं और न अध्यक्ष केवल एक बात पर दोनों सहमत नजर आये कि अधिशासी अधिकारी के स्थानान्तरण के लिए मिल कर प्रयास किये जाएँ ।

नगर की समस्याओं के प्रति जवाबदेह नगर परिषद् नवाबगंज के सभासद एवं अध्यक्ष अपनी जिम्मेदारियां किस ढंग से निभा रहे हैं, यह विगत 3 वर्षों के कार्यकाल के पश्चात जनता को भली भाँती इस बात का एहसास है। नगर के वार्डों में सफाई व्यवस्था गली कूचों में प्रकाश व्यवस्था, अतिक्रमण से कराहते फूटपाथ । वर्षा ऋतू में जल भराव की समस्या, कूड़े के जगह-जगह ढेरों की समस्या, जल आपूर्ति की समस्या, जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करते खुले तौर पर बिकने वाले खाद्य पदार्थ व पेय पदार्थ से बढती बीमारियों की समस्या इत्यादि के लिए कभी भी माननीय सदस्यों ने आवाज नहीं उठाई । उन्होंने जब कभी भी अपनी आवाज बुलंद की तो नगर में किये जाने वाले विकास कार्यो के नाम पर अध्यक्ष द्वारा मनमाने ढंग से पैसे के दुरूपयोग के विरुद्ध। भ्रष्टाचार के विरुद्ध झंडा बुलंद करने वाले सभासदों ने सदैव समझौता अध्यक्ष के आश्वासन पर हो कर लिया परन्तु कभी भी उनके द्वारा यह बताने की जहमत नहीं उठाई गयी की जिसने उन्हें अपना प्रतिनिधि बनाया है उसे यह बताएं की उनका अध्यक्ष के साथ समझौता किस बात पर हुआ ?
क्योंकि नगर परिषद् बोर्ड की कार्यशैली में कोई सुधार तो जनता के सामने आया नहीं अलबत्ता सभासदों की आर्थिक स्तिथि दिन प्रतिदिन सुधरती गयी और शेष बचे 2 वर्षों के कार्यकाल में अध्यक्ष व सभासदों की सेहत में और सुधार होने की उम्मीद है । स्वास्थ्य तो हर लिहाज से जनता का ही बिगड़ रहा है और न उम्मीदी उसकी किस्मत के साथ सिमट कर रह गयी है क्योंकि आगे भी जो बोर्ड चुनाव के बाद गठित होगा उसमें भी ऐसा ही स्टाफ आएगा। किसी जमाने में नगर पिता नगर का फर्स्ट सिटिजन कहलाता था और सभासद अपने मोहल्ले या वार्ड का। परन्तु अब अंग्रेजी की व्याकरण की अंतिम डिग्री यानी बेस्ट पर यह दोनों हजरात जनता की नजरों में आ गिरे हैं।

-तारिक खान

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