सोमवार, 11 जनवरी 2010

यादव मुस्लिम और किसानों की समीकरण पर लौटते मुलायम

बाराबंकी। समाजवादी पार्टी ने लगता है कांग्रेस के 2012 के आपरेशन उत्तर प्रदेश के मंसूबों पर पानी फेरने का ताना बाना बुनना प्रारम्भ कर दिया है। पार्टी के हाईटेक लीडर अमर सिंह जिनके हर नखरे पार्टी अभी तक ना चाहकर भी बर्दाश्त करती आ रही थी अचानाक उससे मुंह मोड़कर खड़ी हो गयी है और अपना नफा नुकसान का तय तोड़ करके वह उन्हें बाहर का रास्ता दिखाने के बहाने ढूंढ रही है।
उ0प्र0 में वापसी का सपना संजोए कांग्रेस पार्टी के लिए शायद यह अच्छी खबर ना हो कि
मुलायम सिंह की समाजवादी पार्टी से नाउम्मीद होकर कांग्रेस की तरफ रूख कर रहे मुसलमानों के कदम अब रूक गये हैं वह यह कि मुलायम सिंह अब दोबारा एम0वाई यानि मुस्लिम यादव समीकरण को मजबूत करने में जुट गये हैं जिसके सहारे पार्टी का वजूद हुआ था और मुलायम को अपना मसीहा मानने वाले मुसलमानों का तो उस समय दिल ही टूट गया था जब बाबरी मस्जिद गिराने की जिम्मेदारी अपने कंधों पर लेकर परम कारसेवक होने का दावा पूरे देश में घूम घूमकर करने वाले कल्याण सिंह से हाथ मिलाकर समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव लड़ा था। इससे पूर्व वर्ष 2003 से लेकर अप्रैल 2007 तक उ0प्र0 की सत्ता संभालने वाले मुलायम सिंह ने जिस प्रकार मुसलमानों के हितों की उपेक्षाकर मुसलमानों के स्थान पर ठाकुर यादव समीकरण की नाजबरदारी की उसी से नाराज होकर मुसलमानों ने पहले मायावती को समर्थन देकर सपा को सबक सिखाया और फिर जब मायावती ने भी उसके साथ वही सलूक किया तो लोकसभा चुनाव में मायावती के सपनों को भी चकनाचूर करने का कार्य मुस्लिम वोटों ने ही किया। नतीजे में कांग्रेस की प्रदेश में जो परवाज हुई तो उसमें मुसलमानों ने ही साथ दिया। उसके बाद जिस तरह लखनऊ पश्चिम की विधान सभा सीट के उपचुनाव में कांग्रेस को समर्थन मुसलमानों का मिला उससे यह सिद्ध कर दिया कि सपा से नाराज मुस्लिम वोट तेजी से कांग्रेस में वापसी कर रहा है।
ऐसे में मुलायम को विचार मंथन कर के पार्टी की ओवर हालिंग करना आवश्यक हो गया सो पार्टी के दुलारे अमर सिंह पर दुलन्तियाँ चलवाना अपने ही परिवार के लोगों से शुरू करवा कर मुलायम ने उन्हें मजबूर कर दिया कि वह पार्टी छोड़कर बाहर का रास्ता देंखे। अमर सिंह के निकल जाने से पार्टी फिर से जहाँ मुसलमानों के करीब आयेंगी और आजम खाॅ, सलीम शेरवानी, शफीकुर्रहमान बर्क, जैसे सपा के हमदर्द नेता वापस पार्टी में लौटेंगे तो वहीं महंगाई की मार से परेशान आम जनमानस व बदहाली की जिन्दगी गुजार रहा किसान भी सिम कर उस समाजवादी पार्टी की तरफ फिर से खिंचा चला आयेगा जहाँ पुराने समाज वादी मोहन सिंह, जनेश्वर मिश्रा, डा0 राम गोपाल यादव और माता प्रसाद पाण्डेय जैसे नेताओं का वर्चस्व होगा। गुण्डे, बदमाशों, दबंगों से यदि पार्टी ने नाता तोड़कर आम आदमी का साथ पकड़ा तो कांग्रेस का हाथ छोड़कर यह परेशान आम आदमी मुलायम को उ0प्र0 में तो फिर से अपना मसीहा मान सकता है।

-मो0 तारिक खान


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