शनिवार, 7 अगस्त 2010

मायाराज में दलितों का हालेज़ार सुना रही कैदी संजय पासी की कहानी

बाराबंकी।दलितों की मसीहा का दावा करने वाली मायावती के राज में दलितों का क्या हाल है,इसका एक छोटा सा उदाहरण जेल में निरुद्ध कैदी संजय पासी की मौत है।जिसे 9 माह पूर्व नगर कोतवाली पुलिस के दो सिपाहियों ने इस जुर्म में फर्जी मारफीन बरामदगी दिखाकर जेल की सलाखों के पीछे पहुॅचा दिया था कि उसने नशे मंे धुत उन दो सिपाहियों के द्वारा अपनी पत्नी की इज्जत पर डाका डालने का विरोध किया था। संजय पासी की बदनसीबी की कहानी यहीं खत्म नही हुई,जेल में उसके साथ जानवरों जैसा सुलूक इसलिए होता रहा कि वह जेल अधिकारियों को हाते की रकम अपनी गरीबी के कारण नही अदा कर सकता था।नतीजा उसे सिसक सिसक कर अपनी जान गंवानी पड़ी।
 नगर कोतवाली अंतर्गत ग्राम माधवपुर के मजरे अल्लापुरवा के संजय पासी (28) की आज प्रातः जेल के भीतर संदिग्ध अवस्था में मृत्यु हो गयी।मृत्यु के पश्चात जेल प्रशासन ने सदैव की भांति शव को जिला अस्पताल रवाना किया ताकि अवसर मिलेे तो उसे वहाॅ पहुॅचकर मृत्यु दिखा दिया जाए या रास्ते में यह कहकर मरा दिखा दिया जाए कि गम्भीर हालत में रवाना किए गए रोगी कैदी की मौत देवां रोड स्थित रेलवे के दो दो फाटको के बन्द होने के कारण हो गयी।बहरहाल संजय पासी की मृत्यु के पश्चात नगर कोतवाली पुलिस ने उसका पंचनामा देर शाम पाॅच बजे के पश्चात पोस्टमार्टम हाउस भेजा परन्तु इमरजंेसी में बैठे चिकित्सक से कागज पर समय को साढ़े चार बजे लिखवा लिया ताकि पोस्टमार्टम की प्रक्रिया अंजाम दिलायी जा सके।
 संजय पासी को नगर कोतवाली पुलिस ने 3 नवम्बर 2009 केा उसके चचेरे भाई राजेश रावत के साथ 100-100 ग्राम मारफीन की बरामदगी दिखाते हुए चालान भर कर जेल रवाना किया था और उसके अधिवक्ता बाबू लाल यादव एडवोकेट के अनुसार फास्ट ट्रेक कोर्ट सं0-32 पर परसों दिनांक 05अगस्त को वह पेशी पर लाया गया था तो एकदम स्वस्थ्य था।परन्तु जेल के भीतर उसके साथ की जा रही निर्दयता पूर्वक पिटाई की शिकायत उसने अवश्य की थी, कल उसकी जमानत से रिहाई हाई कोर्ट के आदेश पर होनी थी,परन्तु जेल प्रशासन ने उसकी आत्मा की रिहाई पहले ही कर दी।
 संजय पासी की गिरफ्तारी का विवरण देते हुए अधिवक्ता बाबू लाल यादव ने बताया कि विगत वर्ष 24 अक्टूबर 2009 की सुबह संजय पासी की पत्नी सरोज घर पर अकेले अपने छोटे छोटे मासूम बच्चों के साथ थी।संजय पासी शौच के लिए खेत गया हुआ था कि अचानक नशे में धुत नगर केातवाली के बवर्दी सिपाही धवल (जो एक मार्ग दुर्घटना में मर चुका है) और वेगवान (जो गैर जनपद स्थानान्तिरित हो  चुका है) ने उसे दबोच लिया और बुरी नीयत के इरादे से उससे जोर जबरदस्ती करने लगे।अनकरीब था कि वह दोनो सरोज की इज्जत लूट लेते उसकी चीख पुकार सुनकर पहले राजेश (जेठ) व बाद में उसका पति संजय वहाॅ पहुॅच गये और सिपाहियों की हरकत का विरोध किया।परन्तु सिपाहियों ने दोनो को मारते हुए ले जाकर कोतवाली में बन्द कर दिया।इस बाबत सरोज ने पुलिस अधीक्षक बाराबंकी,पुलिस महानिरीक्षक व अन्य उच्च अधिकारी तथा मानवाधिकार आयोग को सूचित भी किया था।परन्तु उसे कोई राहत न मिली और एक सप्ताह से अधिक समय तक गैर कानूनी हिरासत में कोतवाली हवालात में संजय व राजेश केा बन्द करके दोनो पर क्रूरता के सारे पैमाने तोड़े गये और अंत में पुलिस ने अपराध 1819/09 अंतर्गत धारा 9/21 एन0डी0पी0एस0 चालान काटकर मुल्जिमों की फरारी दिखायी जबकि मुल्जिम उसके पास मौजूद थे और 3 नवम्बर 2009 को अपराध सं01844/09 एन0डी0पी0एस0 की उक्त धाराओं में पुनः दोनो भाईयों का चालान न्यायालय भेज कर जेल में निरुद्ध कर दिया।
 यह एक गरीब दलित की बेबसी की दास्तान है।जिसके न तो माॅ बाप थे और न कोई भूमि मेहनत मजदूरी करके वह अपने छोटे से परिवार का पेट पालता था।उसके मरणोपरान्त उसकी विधवा सरोज व उससे लिपटे उसके कमसिन बच्चे रुबी (8),कर्ण (6)व अरुण (4) वर्ष पोस्टमार्टम हाउस में हर आने जाने वाले से यह पूछ रहे थे कि उन्होने क्या खता की थी जो उनकी जिन्दगी बरबाद हो गयी।जबकि जेल अधीक्षक एल0एन0दोहरे संजय पासी की मौत केा हृदयाघात से होना बता रहे है,उनके अनुसार मारफीन पीने वालो का स्वास्थ्य खोखला हो जाता है और कम उम्र में ही हृदय रोग भी हो जाता है,यह पूछे जाने पर कि जब संजय विगत 9 माह से जेल में निरुद्ध था तो मारफीन का सेवन वह कैसे कर रहा था तो वह सकपका कर बोले कि यह उसके पूर्व में गलत व्यसन के कारण हुआ है।

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