बाराबंकी। डा0रा0म0लोहिया अवध विश्वविद्यालय के मनमाने रवैये से जनपद के हजारों विद्यार्थियों को स्नातक तथा परास्नातक प्रमाण पत्र के लिए दुगने तिगने रुपये खर्च करके फजीहत उठानी पड़ती है और कई लोगो के घर के चूल्हे इन्ही प्रमाण पत्रों को छात्रों को उपलब्ध कराने की दलाली में जलते है।
जनपद के लगभग एक दर्जन महाविद्यलयों से प्रति वर्ष स्नातक तथा परास्नातक की डिग्री लेकर निकलने वाले विद्यार्थियों को उनके अपने महाविद्यालयों से डिग्री नही मिल पाती, कारण यह है कि डा0राम मनोहर लो0अवध विश्वविद्यालय फैजाबाद से सम्बद्ध महाविद्यालयों को यह डिग्रियां उपलब्ध नही करायी जाती है। सामान्यतः हर विश्वविद्यालय अपने सम्बद्ध महाविद्यालयों को यह डिग्रियां दो वर्ष के भीतर अवश्य भेज देते है। परन्तु अवध विश्वविद्यालय द्वारा ऐसा नही किया जाता है। तीन वर्ष से पहले किसी को भी डिग्री अव्वल तो दी नही जाती चाहे वह कितने भी प्रयास फैजाबाद स्थित इस विश्वविद्यालय के चक्कर लगाकर करे, फिर तीन वर्ष बाद 500 रुपये निर्धारित शुल्क पर यह डिग्री विलम्ब शुल्क 200 रुपये लगाकर दी जाती है। यानि यदि तीन वर्ष के भीतर डिग्री निर्गत की जाती तो निर्धारित फीस 300 रुपये में यह उपलब्ध की जा सकती थी, परन्तु विश्वविद्यालय की आय बढाने या सीधे सीधे विद्यार्थियों को ठगने की दृष्टि से तीन वर्ष के अन्दर यह डिग्रियां विद्यार्थियों को नही उपलब्ध करायी जाती।
इस सम्बन्ध में जनपद के सभी महाविद्यालयों के प्राचार्यो ने एक जुबान होकर कहा कि विद्यार्थियों के साथ यह सरासर नाइंसाफी है। परन्तु वह इसमें कुछ कर नही सकते। उनका इशारा यह था कि विद्यार्थी या उसका अभिभावक उच्च न्यायालय में इस अन्याय के विरुद्ध जनहित याचिका प्रस्तुत करे।
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