मंगलवार, 5 अक्तूबर 2010

11 पुलिस कर्मियों के विरुद्ध उच्च न्यायालय के निर्देश पर की गयी कार्यवायी पर सर्वोच्च न्यायालय ने रोक लगायी

बाराबंकी। पूर्व पुलिस अधीक्षक बाराबंकी व मौजूदा डी0आई0जी0 एस0बी0शिरोडकर व 11 पुलिस कर्मियों के विरुद्ध उच्च न्यायालय लखनऊ खण्ड पीठ के निर्देश के अनुपालन में मुख्य दण्डाधिकारी बाराबंकी एस0पी0शर्मा के आदेश पर लिख्ेा गए अभियोग की कार्यवायी पर सर्वोच्च न्यायालय स्थगन आदेश दे दिया गया है।
    उल्लेखनीय है कि कल दिनांक 4 अक्टूबर 2010 को नगर कोतवाली में महेन्द्र कुमार शुक्ला के द्वारा उच्च न्यायालय इलाहाबाद की लखनऊ खण्ड पीठ में दायर याचिका सं0-2245/2007 दिनांक 23 फरवरी 2010 में पारित आदेश के अनुपालन के क्रम में मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी एस0पी0शर्मा द्वारा दिनांक 31.08.2010 के ऊपर पूर्व पुलिस अधीक्षक बाराबंकी एस0बी0शिरोडकर ए0एस0पी0 आर0पी0सिंह, उपपुलिस अधीक्षक राजेश सिंह, तीन थानाध्यक्षो तथा 5 आरक्षियों के विरुद्ध अभियोग पंजीकृत कर दिया गया था।
    एक उच्च पुलिस अधिकारी के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किए जाने के इस मामले की गरमाहट डी0जी0पी0कार्यालय तक जा पहॅुची है और बाराबंकी पुलिस द्वारा ठीक उस समय की गयी कार्यवायी जब सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कल अभियुक्तों के द्वारा दायर एस0एल0पी0 सं0-19973 पर सुनवायी की जा रही थी और जिसमें दो न्यायाधीशों क्रमशःबी0सुदर्शन रेड्डी तथा सुरेन्द्र सिह निर्जर द्वारा सुनवायी के पश्चात पक्षकारों को नोटिस ईशू करते हुए उच्च न्यायालय इलाहाबाद के उक्त आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी, पूरे पुलिस मोहकमें में चर्चा का विषय बनी हुई है। यद्यपि पुलिस अधीक्षक नवनीत कुमार राणा के अनुसार उन्होने यह कार्यवायी मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी के आदेश व इससे पूर्व जारी उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में साधारण विधिक प्रक्रिया के अनुरुप की है। फिर भी एक आई0पी0एस0 रैंक के उच्चाधिकारी के विरुद्ध बाराबंकी पुलिस की यह कार्यवायी फिलहाल सर्वोच्च न्यायालय की चैखट पर भी देगी। जहाॅ सर्वोच्च न्यायालय इस पर क्या रुख अपनाता है, इसकी प्रतीक्षा याची तथा विपक्षीगण व भुक्तभोगी महेन्द्र शुक्ला को भी रहेगी।

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