सोमवार, 8 नवंबर 2010

एण्टी रेबीज गरीब रंजीत को न उपलब्ध होने पर मौत से जूझ रहा है वह

बाराबंकी। कहने को तो सरकारी अस्पतालो की सेवाए गरीब जनता के लिए है, परन्तु सच कहा जाए तो यहाॅ गरीबो को दुत्कारा जाता है और पैसे वालो, नेताओ व उनके दलालो की आवाभगत की जाती है। इसी बात का दंश थाना रामनगर के ग्राम तपेसिपाह नि0लक्ष्मण का 10 वर्षीय पुत्र रंजीत झेल रहा है जिसे जिला अस्पताल में कुत्ते के काटने पर लगने वाली सुई एण्टी रेबीज यह कहकर इंकार कर दी गयी कि यह उपलब्ध नही है। अज्ञानतावश वह गांव की झाड़फूॅक वाले इलाज में पड़ गया और नतीजा यह हुआ कि रोग ने अपना रंग दिखाया और उसे हाइड्रोफोबिया नामक घातक रोग जो लाइलाज भी है हो गया और अब वह जीवन मृत्यु के बीच लखनऊ मेडिकल कालेज में पड़ा हुआ है।
 प्राप्त विवरण के अनुसार रंजीत का पिता लक्ष्मण विगत 23 अक्टूबर 2010 को अपने पुत्र को लेकर जिला अस्पताल की दहलीज पर आया था उसने अपने पर्चा संख्या 217492 पर डाक्टर को दिखाकर एण्टी रेबीज सुई लगवाने के लिए कक्ष सं0-8 में सम्पर्क किया था जहाॅ से उसे बैरंग यह कर लौटा दिया गया कि कुत्ता काटने की सुई स्टाक में नही है जबकि स्टोर के रिकार्ड के मुताबिक दो वायल उस दिन भी मौजूद थी परन्तु उसकी किस्मत मे नही थी। सरकार द्वारा किसी भी आवश्यक दवा के न होने पर लोकल पर्चेज के माध्यम से बाहर मार्केट से दवा खरीदने का प्राविधान है। जिला अस्पताल द्वारा लोकल पर्चेज के लिए कई वर्षो से जैन मेडिकल स्टोर लइया मण्डी को ठेका बगैर विधिवत ठेका नवीनीकरण कराए दिया गया है जहाॅ लोकल पर्चेज से दवाएं आती तो है परन्तु गरीब मरीजो जिनकी क्षमता कीमती दवा खरीदने की नही होती है उनकी किस्मत में यह दवाए नही उपलब्ध रहती है। हाॅ यह दवाए मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के चहेते पत्रकारो, जनप्रतिनिधियो के प्रतिनिधियो, प्रशासनिक अधिकारियो तथा न्यायिक अधिकारियो व उनके विभाग से जुड़े कर्मचारियो को ही उपलब्ध करायी जाती है। यदि रंजीत को मात्र पौने 400 रुपये का यह इंजेक्शन लोकल पर्चेज के माध्यम से उपलब्ध करा दिया जाता तो आज वह यूॅ जिन्दगी और मौत के बीच झूल न रहा होता।

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