बाराबंकी। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक हुसैन ओबामा के भारत भ्रमण के दौरान मुम्बई स्थित सेण्ट जेवियर्स कालेज के छात्राओ द्वारा जो प्रश्न ओबामा से पूछे गए उसमें महात्मा गंाधी के जीवन से सम्बन्धित प्रश्न, पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद, ईराक एवं अफगानिस्तान में अमेरिकी सैन्य कार्यवायी इत्यादि प्रश्नो ने तो अपना स्थान प्राप्त किया परन्तु न तो कश्मीर के मुद्दे पर कोई प्रश्न उनसे पूछा गया और न ही फिलिस्तीन में की जा रही इजराइल की अमानवीय कार्यवायी पर कुछ पूछा गया। साफ जाहिर है कि मनमोहन सरकार द्वारा छात्रो के माध्यम से वही प्रश्न ओबामा के सामने परोसे गए जो उनके राष्ट्र व उनके व्यक्तित्व को सूट करते थे।
अपने तीन दिवसीय दौरे में ओबामा भारत को क्या देकर जाएंगे और क्या यहाॅ से लेकर जाएंगे इसका अनुमान अभी से लग गया है। जब मनमोहन सरकार ओबामा का मन मोहने में अपनी पलके बिछाए खड़ी है। जहाॅ तक ओबामा का भारत को देना का प्रश्न है तो केवल शस्त्र देने के नाम पर उनके पास और है ही क्या। आर्थिक रुप से दिवालिए पन की स्थिति से गुजर रहे एक राष्ट्र के राष्ट्रपति से मिलने की उम्मीद कम ही रखनी चाहिए, अपनी संस्कृति व प्राकृतिक तथा खनिज धरोहरो की चिंता हमे अधिक होना चाहिए कि कहीं वह न लुट जाए।
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