बाराबंकी। जिला अस्पताल के आजकल दवाओ की कमी से मरीज परेशान है और डाक्टरो की चाॅदी हो गयी जो लगभग आधे मरीजो को बाहर की दवा लिखकर कमीशन खोरी के जरिया अपनी सेहत बनाने मे लगे हुए है। हद तो यह है कि बुखार उतारने के लिए प्रयुक्त होने वाली दवा पैरासीटामाल भी अस्पताल में न के बराबर है जब कि डेंगू की बीमारी को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग द्वारा बुखार आने पर केवल पैरासीटामाल टिकिया खाने की सलाह समाचार पत्रो मे बड़े बड़े विज्ञापन देकर दी जा रही है।
जिला अस्पताल के शरीर का यूॅ तो लगभग हर अंग रोग ग्रस्त है परन्तु उपचार के लिए आवश्यक दवा जिसके बारे में प्रदेश सरकार बराबर बड़े बड़े दावे कर रही है कि सरकारी अस्पताल में पर्याप्त मात्रा में दवाए उपलब्ध है। बावजूद इसके इलाज की आस लेकर जिला अस्पताल आने वाले मरीजो को उपयुक्त दवाए नही प्राप्त हो पा रही है। एण्टी रेबीज वैक्सीन के लिए तो एक जमाने से मारामारी व काला बाजारी अस्पताल में चल रही है परन्तु अब तो मामूली मामूली दवाओ के लिए भी मरीज तरस रहे है। मिसाल के तौर पर बुखार आ जाने पर प्रयुक्त होने वाली साधारण दवा पैरासीटामाल जिसकी अहमियत इस समय इस कारण और भी बढ गयी है कि प्रदेश में फैले डेेंगू वायरस के बुखार के चलते डा0 बुखार उतारने की अन्य दवाए जैसे ब्रूफेन, निमोसिलाइड, डाइक्लोफिनिक, इत्यादि न प्रयोग करने की सलाह देते हुए फिजीशियन का कहना है कि केवल पैरासीटामाल टिकिया ही आजकल के बुखार मे देना चाहिए। कारण यह कि उक्त दवाओ के प्रयोग से रक्त में पायी जाने वाली प्लेटलेट्स की संख्या में भारी पैमाने पर गिरावट आ जाती है और लोग डेंगू की दहशत से भयभीत होकर इधर उधर महॅगी जाॅचो मे अपना कीमती धन बर्बाद करते फिरतेे है। इस सम्बन्ध में अभी पिछले सप्ताह जिलाधिकारी के निर्देश पर मुख्य चिकित्साधिकारी की अध्यक्षता में एक बैठक करके जारी किए गए प्रेस नोट के माध्यम से जनता को चिकित्सीय शिक्षा प्रदान करते हुए बताया गया कि डेंगू की बीमारी कोई लाइलाज रोग नही है, इससे भयभीत होने की आवश्यकता नही है जनता को इधर उधर के अनक्वालीफाइड डाक्टरो को दिखाने की जगह सरकारी अस्पताल का रुख करना चाहिए और केवल पैरासीटामाल टेबलेट का प्रयोग बुखार उतारने के लिए किया जाना चाहिए।
हास्यास्पद बात यह है कि स्वास्थ्य विभाग मरीजो को अपने यहाॅ दवा लेने की दावत तो दे रहा है परन्तु उसके पास बाॅटने के लिए पर्याप्त मात्रा में दवा उपलब्ध नही है। इस सम्बन्ध में जब अवधनामा संवाददाता ने जिला अस्पताल के स्टोर से सम्पर्क किया तो उसे बताया गया कि पैरासीटामाल का इण्डेंट किया गया था परन्तु दवा सी0एम0एस0डी0स्टोर से उन्हे प्राप्त नही हुई है। इस समय वह केवल इण्डोर में भर्ती मरीजो को ही पैरासीटामाल टिकिया दे पा रहे है। ओ0पी0डी0 में विगत 19 अक्टूबर से यह निल चल रही है। यही हाल आपात कक्ष का भी है जहाॅ यह टिकिया केवल वी0आई0पी0लोगो के हिस्से मे आती है अधिकांश मरीजो को आपात कक्ष में बैठे इ0एम0ओ0 या तो डाइक्लोफिनिक की सुई लगवाते है या टिकिया दी जाती है अर्थात स्वास्थ्य विभाग स्वयं ही अपने उच्च अधिकारियो का कहना नही मान रहा है।
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