बाराबंकी। प्रयत्न फाउण्डेशन उ0प्र0 एवं दलित फाउण्डेशन दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान मे आज नगर पालिका नवाबगंज के बाबू राम सिंह सभागार में एक राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन विकास के क्षेत्र में दलितो एवं अल्पसंख्यको के सामने आने वाली चुनौतियां के विषय पर किया गया, जिसका उदघाटन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जिलाधिकारी विकास गोठलवाल की अनुपस्थिति में उनके प्रतिनिधि बनकर आए उपजिलाधिकारी सदर अनिल कुमार सिंह ने जनपद के वयोवृद्ध व्यवसायी व उद्योगपति तथा समाज सेवी सरदार गुनवन्त सिंह के साथ संयुक्त रुप से दीप प्रज्जवलित करके किया।
इस अवसर पर आए हुए अतिथिगणो का स्वागत प्रयत्न फाउण्डेशन की निदेशिका नाहीद अकील ने करते हुए अपने सूक्ष्म सम्बोधन में कार्यशाला की आवश्यकता व विषय के सम्बन्ध में प्रकाश डाला और कहा कि आज समाज के निम्न वर्ग के लोगो के सामने जो कठिनाईयां खड़ी है उसमें देश में व्याप्त भ्रष्टाचार व साम्राज्यवादी व्यवस्था का बडा दखल है। उन्होने मुख्य अतिथि तथा विशिष्ट अतिथियों का स्वागत पुष्प पुंज अथवा पुष्पमाला के स्थान पर पुष्पवृक्ष भेंटकर पर्यावरण को सुरक्षित रखने का संदेश दिया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उपजिलाधिकारी अनिल कुमार सिंह ने अपने सम्बोधन में कार्यशाला में रखे गए विचारो से अपने को जोडते हुए कहा कि आज दलितो एवं अल्पसंख्यको के सामने आर्थिक, सामाजिक व भूमि अधिकार की मुुख्य चुनौतियां है और इन सब का इलाज केवल एक गुरुमंत्र में है और वह गुरुमंत्र और कोई नही बल्कि शिक्षा है। जिसे बढावा देकर इन चुनौतियों से बखूबी निपटा जा सकता है। उन्होने राज्य सरकार तथा केन्द्र सरकार द्वारा दलितो व अल्पसंख्यको तथा समाज के अन्य दबे कुचले लोगो के लिए चलायी जाने वाली कल्याणकारी योजनाओ का संक्षिप्त बखान करते हुए कहा कि इन्हे पाने के लिए जागरुकता की आवश्कता है और जागरुकता के लिए शिक्षा की। इन वर्गाे को चाहिए कि अपने सीमित संसाधनो के अंतर्गत ही अपने बच्चो को शिक्षा देनी चाहिए यदि शिक्षा का स्तर इन समाज के लोगो में सुधर जाता है तो अनेको प्रकार की चुनौतियां अपने आप समाप्त हो जाएंगी। उन्होने जिला प्रशासन के द्वारा प्रशासनिक स्तर पर इन वर्गो के विकास के मार्ग में अवरोध उत्पन्न करने वाली समस्याओं को दूर करने का आश्वासन दिया।
कार्यशाला में पधारे कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि एस0आर0दारापुरी, सेवानिवृत्त पुलिस महानिरीक्षक ने दलितो व अल्पसंख्यक समुदाय के लोगो के जीवन पर अपने अनुभव तथा सरकारी आकड़ो के माध्यम से प्रकाश डालते हुए कहा कि आजादी के इतने वर्षो बाद भी यह वर्ग विकास का लाभ न उठाए पाए इसके कई कारण है। जिसमे एक कारण इन वर्गो के साथ बरता गया भेदभाव है और यह आज भी जारी है। आज का दलित समाज आर्थिक रुप से सामाजिक रुप से और राजनीतिक कारणो से मुख्य धारा से पिछड़ा हुआ है। जबकि मुसलमान भी कमोवेश इन्ही कारणो से देश में पिछड़े हुए है। उनकी हालत मौजूदा दौर मे यह हो गयी है कि बकौल सच्चर कमेटी वह दलितो से भी खराब जिन्दगी गुजार रहे है। उनकी सुरक्षा भी खतरे में है और किसी न किसी बहाने से उनकी राष्ट्रीयता पर सवाल उठाए जाते है और भेदभाव करके उनकी तरक्की मे बाधा डाली जाती है आज मुसलमान देश में जीवन के सभी क्षेत्रो में पिछड चुके है दलितो और मुसलमानो की शिक्षादर सामान्य वर्गो से काफी पीछे है जिसके कारण हर क्षेत्र में उनकी भागीदारी मे भी कमी आयी है। गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगो में मुसलमानो का प्रतिशत दलितो से उपर है। जहाॅ दलितो में 31प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे तो वहीं मुसलमानो में यह संख्या 35प्रतिशत है और शहरी क्षेत्रो मे यह आकडा बढकर 38 प्रतिशत हो जाता है। आज इन वर्गो के पास रोजगार नही संसाधन नही उद्योग नही तथा जमीन भी नही। उन्होने आगे कहा कि यह देखना होगा कि देश मे चलने वाली योजनाए जिस पर पानी की तरह पैसा बहाया जाता है का कितना प्रतिशत लाभ उन लोगो को मिलता है जिनके नाम पर यह योजनाए बनी है। देश में दलितो वर्गो के साथ छुआछूत की भावना अभी भी बरकरार है यहाॅ तक की प्रदेश सरकार जो दलितो का मसीहा अपने को कहते नही थकती कि शासन काल मे दलित महिलाओ की नियुक्तियां मध्यान्ह भोजन बनाने हेतु विद्यालयों में की गयी थी जिसका विरोध होने पर सरकार ने घुटने टेकते हुए इन महिलाओ को हटा दिया।
दलितो एवं अल्पसंख्यको के समक्ष वर्तमान समय में खड़ी आर्थिक क्षेत्र की समस्याओं पर अपने व्याख्यान में जनपद के वरिष्ठ पत्रकार मो0तारिक खान ने कहा कि मुल्क का विभाजन एक राजनीतिक साजिश के तौर पर देश के दुश्मनो ने भारत छेाडते हुए कराया था और उनकी इस साजिश में उन्ही शक्तियों का हाथ था जो आज मुस्लिम दुश्मनी पर आमादा है। बडी चतुरायी से अपने कुकर्माे की गलती का तौक मुसलमानो के गले मे डालकर उन्हे इस हीन भावना से ग्रसित कर दिया गया कि पाकिस्तान बनाने के लिए उनके पुरखे जिम्मेदार थे आजादी के बाद मुसलमानो के साथ जो राजनीतिक व सामाजिक बदनीयती का षडयन्त्र रचा गया उसे यह दबा कुचला मुसलमान अपनी गलती का एहसास करके स्वीकारता चला गया और अंततः वह समाज में निम्नतम स्तर पर आकर खड़ा हो गया जिसकी पुष्टि राजेन्द्र सिह सच्चर ने अपनी उस रिपोर्ट में की है जो उससे केन्द्र सरकार ने अल्पसंख्यको, विशेषकर मुसलमानो की बदहाल जिन्दगी की बाबत मांगी थी। श्री खान ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा कि दलितो और मुसलमानो के सामने जहाॅ तक मौजूदा दौर की चुनौतियों का प्रश्न है तो इसमें दलित मुसलमानो से थोड़ा बेहतर स्थिति में है क्योंकि उन्हे सम्प्रदायिक सोच का शिकार नही बनाया जाता और उन्हे मिलने वाले आरक्षण पर भी कोई सवाल नही खड़ा करता। जबकि मुसलमान को उसकी बदहाल जिन्दगी से उपर उठाने के लिए जब भी आरक्षण की बात की जाती है तो अनेको आवाजे उसके विरोध में खड़ी हो जाती है एक और विभाजन की धमकी का हौवा खड़ा करके उसे दबा दिया जाता है। उन्होने कहा कि जबतक देश में मौजूद समाज का हर वर्ग बराबरी से तरक्की की इस दौड़ में शामिल नही होता दस प्रतिशत की प्रगति दर का लक्ष्य प्राप्त करके सीना फुलाना और प्रगतिशील राष्ट्र का तमंगा लगाकर स्वयं प्रसन्न होना कोई मायने नही रखता। उन्होने मुसलमानो को आहवान किया कि वह सबसे पहले अपने अन्दर इन समस्याओ से संघर्ष करने की शक्ति जुटाए धार्मिक रुढिवादिता व धार्मिक भावनाओ से उपर उठकर नवीनतम शिक्षा के क्षेत्र में अपने सीमित संसाधनो के बल पर उपर उठकर आए जैसा कि अल्पसंख्यक दर्जे में रहने वाले अन्य वर्ग जैसे जैन, इसाई व सिख समुदाय के लोग आज है तब ही उनका उद्धार होगा। केवल यह कहकर चुप बैठ जाना कि हमारा कोई लीडर नही है हम क्या करे। इससे काम नही चलेगा क्योंकि जिन्दा कौमे सहारा नही ढूढती राहे खुद निकालती है।
दिल्ली से आयी समाज सेवी शिवानी भारद्वाज ने इस अवसर पर अपने सम्बोधन मे कहा कि महिलाओ को संसाधनो को चलाने का काम सिखाना चाहिए और ऐसी योजनाए अपने क्षेत्र में महिलाओ को घर के पास ही उपलब्ध करानी चाहिए जिससे उनका सामाजिक व आर्थिक उत्थान हो। दिल्ली से आयी एक अन्य समाजसेवी व सफायी कर्मचारी आंदोलन से जुडी रेनू ने कहा कि सरकारी आकडें बाजी के चलते आज सिर पर मैला ढोने की पर्था पर कोई कार्यवायी नही की जा रही है। अकेले जनपद बाराबंकी में ही उनके सर्वे के मुताबिक तीस से चालीस मैला ढोने वाले कर्मी काम कर रहे है जबकि प्रशासन द्वारा सरकार को यह आकडे भेजे जा चुके है कि एक भी मैला ढोने वाला यहाॅ नही है। कार्यक्रम के अंत में प्रयत्न फाउण्डेशन की प्रोजेक्ट कोआर्डिनेटर प्रियंका शुक्ला ने कार्यक्रम में पधारे अतिथिगणो व अन्य नागरिकेा के प्रति अपना आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन रेडियो के एनाउन्सर फजल इनाम मदनी ने किया। इस अवसर पर प्रयत्न फाउण्डेशन से जुड़े ग्रामीण अंचल तक फैले उनके कार्यकर्ता, वयोवृद्ध उद्योग पति सरदार गुनवन्त सिह, वरिष्ठ पत्रकार शोभित मिश्रा, व्यापार मण्डन के जिला अध्यक्ष प्रदीप जैन, उ0प्र0 के जमीयत उर राईन के प्र0अ0 मो0वसीम राईन वरिष्ठ अधिवक्ता व लोक संघर्ष पत्रिका के प्रबन्ध सम्पादक रणधीर सिंह सुमन इकबाल राही एड0, प्रदीप सारंग, कांगे्रस अल्पसंख्यक विभाग के जिलाध्यक्ष मजहर अजीज खान, व प्रदेश के पूर्वी पश्चिमी मध्य एवं बुन्देल खण्ड क्षेत्र से 12 जिलो के स्वैच्छिक संगठनो के प्रतिनिधियांे सहित अनेको नागरिको ने अपनी उपस्थित दर्ज करायी।
कार्यक्रम के उपरान्त दलितो व अल्पसंख्यको की समस्याओ पर जिसमे स्थानीय मुददो को वरीयता दी गयी थी एक दस सूत्रीय मांग पत्र जिलाधिकारी को प्रयत्न फाउण्डेशन की निदेशिका नाहीद अकील ने सौंपा।
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