(1)
एसटी नं0 310/2008
सरकार प्रति खालिद मुजाहिद + 1 अन्य
PW 7
11-5-12
नाम डी0सी0 दयाराम सरोज 25वी वाहिनी पी0ए0
सी0 रायबरेली ने आज दिनांक 11.05.12
को सशपथ बयान किया कि मैं दिनांक
22.12.2007 को क्षेत्राधिकारी नगर के
पद पर जनपद बाराबंकी में तैनात था
उस दिन मुझे मु0अ0सं0 1891/07
धारा 121, 121ए, 122, 124ए, 332 आई0पी0सी0
व 16/18 120/23 अनलाफुल एक्टीविटीस
एक्ट व 4/5 विस्फोटक पदार्थ अधि
नियम थाना कोतवाली जनपद
बाराबंकी की विवेचना मुझे प्राप्त
हुई थी उसी दिन केस डायरी सं0 1
किता किया था जिसमें मेरे द्वारा
नकल चिक, नकल रपट, बयान
अभियुक्तगण व अवलोकन इंजरी
रिपोर्ट किया था। तथा उसी दिन
लेखक एफ0आई0आर0, एचएम कन्हैयालाल
का बयान अंकित किया था।
दिनांक 23.12.07 को केस डायरी
सं0 2 किता की गई जिसमें मेरे
द्वारा इस मुकदमे के वादी श्री
चिरंजीव नाथ सिन्हा तत्कालीन
क्षेत्राधिकारी चैक लखनऊ का
(2)
PW 7
11-5-12
बयान दर्ज करके उन्हीं की निशादेही पर
निरीक्षण घटना स्थल कर दो समयी
साक्षी का बयान किया था। दिनांक
01.02.2008 को केस डायरी सं0 14
को मेरे द्वारा फर्द के गवाह श्री एस0
आनन्द पुलिस उपाधिक्षक एस0टी0एफ0
लखनऊ तथा गवाह फर्द एस0आई0
श्री विनय कुमार सिंह एस0टी0एफ0
शाखा वाराणसी तथा फर्द के गवाह
कान्सटेबिल चालक श्री यसवंत कुमार
एसटीएफ का बयान दर्ज किया
गया था। दिनांक 15.02.2008 को केस
डायरी सं0 20 के द्वारा विवेचना
का स्थानान्तरण उच्चाधिकारियों के
आदेश से एटीएस शाखा लखनऊ
को की गई। जिसमें मेरे द्वारा समस्त
कागजात मय केस डायरी के एटीएस
शाखा के लिए भिजवायी गई।
वादी की निशांदेई पर घटना का स्थल
निरीक्षण करके मौके पर नक्शा
नजरी तैयार
कराई गई जो शामिल पत्रावली है मेरे
सामने है कागज सं0 अ-15 है मेरे (3)
PW 7
11-5-12
जिस पर हस्ताक्षर है। यह नक्शा नजरी
मेरे निर्देश पर मुंशी राजमणि यादव
ने तैयार की है। जिस पर प्रदर्श क-9
डाला गया।
X X X for Khalid Muzhaid
Sri Randhir Singh Suman Adv.
दिनांक 22.12.2007 को मुझे विवेचना लगभग 9.30 बजे
थाने से सूचना मिली थी तभी विवेचना
मिली थी लगभग पौने दस बजे (सुबह के) होंगे।
सूचना मुझे जरिये टेलीफोन थाने से
प्राप्त हुई थी। उस समय मैं अपने आवास
पर था। विवेचना के लिए कागजात
मुझे 10 बजे के लगभग कागजात मिले।
मैं अपने कार्यालय से थाना कोतवाली
नकल चिक व नकल रपट लिखने के
बाद लगभग 10 बजकर 20-25 मिनट
सुबह पहुंचा था। कोतवाली पहुंचने
के बाद मैंने दोनों अभियुक्तों के
बयान दर्ज किए और एफ0आई0आर0 लेखक
का बयान दर्ज किया। इंजरी रिपोर्ट
का अवलोकन किया। मुझे जहंा
(4)
PW 7
11-5-12
तक याद है मैंने इतना ही कार्य किया।
मैंने अभियुक्तों के बयान तथा एफ0आई0आर0
लेखक के बयान सी/एम के द्वारा दर्ज कराये
थे (सी/एम कान्सटेबल मुंशी) उस
समय मेरी मध्यिका उंगली में चोट
लगी थी। इस कारण मैंने बयान कान्स
टेबल मुंशी से अपने निर्देशन में
दर्ज कराये थे। अभियुक्तों के बयान
के बाद जेल के बाहर ही सुरक्षा
कारणों से जेल गेट पर न्यायाधीश
के समक्ष पेश किया था। यह
बात मैंने केस डायरी में किता
नही की थी। मुझे समय ध्यान
नही है, कि कब मैने न्यायाधीश
महोदय से जेल गेट पर अभियुक्तों
को पेश करने की अनुमति ली हो।
दिनांक 22.12.07 ही थी। यह बात
भी मैंने केस डायरी में नही लिखी
है। मैंने न्यायाधीश महोदय से ली
अनुमति को केस डायरी में नही लिखा
है। मुझे समय याद नही है, कि जेल
गेट पर अदालत कब लगी थी।
मैं अभियुक्तों को लेकर जेल गेट
पर आया था। मैंने मुल्जिमानों के (5)
PW 7
11-5-12
वारंट जेल अधिकारी जो उस समय
वहां मौजूद था दिये थे। जेल अधिकारी
का रैंक मुझे इस समय ध्यान नही
है। जेल अधीक्षक के कार्यालय में ही
अदालत लगी थी वही मुल्जिम पेश
हुए थे। दिनांक 22.12.07 को सभी
कार्यों के पश्चात शाम हो गई थी।
23.12.07 को मेरी मुलाकात श्री
चिरंजीव नाथ सिन्हा से सुबह 10-11 बजे
के लगभग हुई। वह मेरे कार्यालय आए
थे उन्हें बुलाया गया था। मैंने उन्हें
फोन करके बयान देने के लिए बुलाया
था अलग से कोई सम्मन नही
भेजा था। गवाह को टेलीफोन करने की
बात मैंने केस डायरी में नही लिखी
है। मुझे समय याद नही है, कि बयान
लेने में कितना समय लगा। मैं इस
सम्बंध में कुछ नही बता सकता कि
कितना समय बचान में लगा। बयान
खत्म होने के बाद गवाह मेरे साथ
घटना स्थल पर गया था। घटना
स्थल पर हम लोग अलग अलग
गाडि़यों से गये थे। मैं एक्जेट टाइम
नहीं बता सकता कि कितने समय
ये घटना स्थल पर पहुंचे थे। उस (6)
PW 7
11-5-12
समय तक सूरज डूबा नही था। पूरा दिन
था। मैं उस समय क्षेत्राधिकारी नगर था।
मुझे नही मालूम कि घटना की सूचना
विभाग को दी थी या नही। मुझे नही दी
थी। घटना स्थल रेलवे स्टेशन
की दूरी मैंने नही नापी थी। नक्शा नजरी
में दर्शाया गया (ए) स्थान पर है जहां
अभियुक्तगण रिक्शे से आकर उतरे थे।
गिरफ्तारी नक्शा नजरी में दर्शाये ‘ई’ स्थान
पर हुई थी। मुझे नही मालूम कि नक्शा
नजरी में दर्शाया गया ‘ए’ स्थान जी
आरपी क्षेत्र में आता है या नही
घटना स्थल के निरीक्षण में कितना
समय लगा मुझे याद नही है। मैं नक्शा
नजरी के हिसाब से नही बता सकता कि
शहर कोतवाली की शुरूआत कहा से
होती है। दिनांक 01.02.2008 को मैं गवाह
का बयान रिकार्ड करने एसटीएफ कार्या
लय लखनऊ गया था। मैंने मुख्यालय छोड़ने
से पहले पुलिस अधीक्षक बाराबंकी से
अनुमति ली थी। अनुमति मैंने किस तारीख
को ली थी याद नही है। इस बात की लिखा
पढ़ी मैंने केस डायरी में नही की है। (7)
PW 7
11-5-12
मैंने उस दिन उनका बयान कान्सटेबल मुंशी
से ही लिखवाया था। कान्सटेबल मुंशी राज
मणि यादव के साथ जाने की बात केस
डायरी मंे नही लिखी है। कान्सेटबल मुंशी
के साथ जाने का इन्द्राज नही होता है।
जी0डी0 रवानगी सी0ओ0 पेशी में नहीं
चलती है। इस केस से सम्बंधित जी0डी0
रवानगी का इन्द्राज मेरे द्वारा नही किया
गया है एसटीएफ कार्यालय में भी
मेरी आमद का इन्द्राज नही हुआ
लखनऊ जाने का इन्द्राज लाॅग बुक में होगा।
मैं स्वयं ही अनुमति लेकर गया था गवाहों
का कोई सम्मन जारी नही किया था। उन
गवाह को मेरे द्वारा कोई सूचना आने की
नहीं दी गई थी। यह कहना गलत है कि
मैंने समस्त कार्यवाही अपने सी0ओ0
कार्यालय में बैठकर की हो। यह कहना
गलत है, कि मैंने गवाहों के बयान भी
अपने विभागीय अधिकारियों के कहने
से लिखे हों
for accused tariq qazmi by
advocate Mohd. Shuhaib
मैंने 22.12.07 से विवेचना शुरू की
है परन्तु केस डायरी में समय (8)
PW 7
11-5-12
नही डाला है। मुलजिमानों का बयान लेने
के बाद डाक्टरी मुआइना कराया था। गिरफ्
तार करने वाली टीम का कोई सदस्य उस
जगह नही था जहंा मैं बयान ले रहा था
कोतवाली में थे, या नही, मैं नही बता
सकता। मैंने मुलजिमान के बयान
प्रभारी निरीक्षक कोतवाली बाराबंकी के
कार्यालय में लिये थे। मुलजिमान के
बयानों के अलावा लेखक एफ0आई0आर0 के बयान
लिये थे। उस दिन कार्य सरकार अधिक
होने के कारण गिरफ्तार करने वाली टीम
के किसी सदस्य का बयान मैंने नही
लिया था। मोहम्मद तारिक काजमी को
डाक्टरी पर भेजने की चिट्ठी थाना
कार्यालय से लिखी गई थी। उस
पर्चे पर मेरे हस्ताक्षर नहीं है। गवाह
ने चिट्ठी मजस्ती को देखकर कहा कि
इस पर मेरे दस्तखत नही है। अस्पताल
भेजने से पहले बयान लेते समय मैंने
मुलजिमान को देखा था। contusion डाक्टरी
भाषा का शब्द है मैं नही जानता हूँ।
सूजन अगर देख रही है तो उसे जादिरा
मानेंगे। खरोंच अगर देख रही है तो जाहिरा
चोट मानेंगे। डाक्टरी कराने का निर्देश
(9)
PW 7
11-5-12
का निर्देश मैंने दिया था। मुझे याद
नही है कि अस्पताल मेरे सामने भेजे
गये थे या बाद में 22.12.07 को मैं
घटना स्थल पर नही गया था। दिनांक
23.12.07 को घटना स्थल पर मैंने
श्री रवीश व श्री राम कश्यप पब्लिक के
गवाहों के बयान लिये थे। घटना
स्थल के पास ही इनकी दुकान है। नक्शा
नजरी में दर्शायी गई ‘रानी की चाय की
दुकान’ थाना कोतवाली क्षेत्र में आती है या
नही, मुझे नही मालूम 23.12.2007 से
पहले भी मैं इस स्थान पर गश्त पर
गया हूँ। मेरी ‘‘रानी की चाय दुकान’’ पर
रानी से मेरी वार्ता नही हुई। नक्शा नजरी
के दर्शाये नीम के पेड़ के दक्षिण
पश्चिम कोई बिल्डिंग है या नही, मुझे
इस समय ध्यान नही है। मैं इस
समय नही बता सकता कि नीम के पेड़
के नीचे उस समय कितनी गाडि़यां
खड़ी थी। वादी ने बताया था कि वादी
की गाड़ी नीम के पेड़ के नीचे खड़ी
थी। मैंने वादी का बयान लेने से पहले
नकल चिक नकल रपट पढ़ी थी। (10)
PW 7
11-5-12
मैंने उस समय मौके पर मौजूद गवाहों के
बयान लिये थे जिस समय मैंने बयान दर्ज
किया था उस समय नक्शा नजरी में दर्शायी
गया, पवन सिंह शाकाहारी भोजनालय खुला
था, पवन सिंह से मेरी वार्ता इस सम्बंध
में नही हुई कि भोजनालय किस समय से
किस समय तक खुला रहता है। नक्शा नजरी
में दशार्ये गये दुकानों में दो लोगों के
बयान मैंने दर्ज किये हैं बाकी के बयान
मैंने दर्ज नही किये क्योंकि विवेचना मेरे
पास से ट्रांसफर हो गयी थी। नक्शा नजरी
में दर्शाये गये ‘डी’ स्थान पर गिरफ्तार करने
वाली टीम मौजूद थी। ‘डी’ स्थान के पूरब
दिशा में सागौन का पेड़ था। ‘डी’ स्थान को
(..........) डाट से सर्किल करने के स्थान पर कोई
पेड़ नही था। मुझे नही मालूम कि ‘रानी की
चाय की दुकान’ 24 घण्टे खुली रहती थी
या नही। मुलजिमान से बरामद मोबाइल
और सिम के बारे में काॅल डिटेल मांगने
के लिए सभी मोबाइल कम्पनियों को लिखने
का तस्करा केस डायरी में दिनांक 24.12.07
को किया है। 24.12.07 को लिखे पत्र में
लिखे आईएमईआई नम्बर मैंने एफ0आई0आर0 से प्राप्त
किये। मैंने 22.12.07 को बरामद माल
22.12.07 को नही देखा था। मैंने
(11)
PW 7
11-5-12
सील्ड पैकेट भी नही देखे। यह कहना गलत
है कि मैंने 22.12.07 को 11 बजकर 49 मिनट
पर खालिद मुजाहिद का मोबाइल निकाला
हो। मैंने 18.01.2008 से पहले न्यायालय
से कोई अनुमति विस्फोटक पदार्थ को
निष्क्रीय कराये जाने की नही ली। जब तक
मैंने विवेचना की उस समय तक विस्फोटक
पदार्थ को निष्क्रीय कराने के लिए सुरक्षा
शाखा लखनऊ से कोई दस्ता नही आया
था। मैंने मुलजिमानों को पुलिस कस्टडी
रिमाण्ड पर नही लिया। मैंने 18.01.08
से पहले विस्फोटक पदार्थों का पैकेट
नही देखा था। कोर्ट में पेश करने से
पहले और मेरे द्वारा मुलजिमान का
बयान लेने के बाद मेरे सामने और
कोई पुलिस अधिकारी मुलजिमानों
का बयान लेने नही आया। दिनांक
02.02.08 को मैंने वादी चिरंजीव
नाथ सिन्हा को पत्र लिखा था परन्तु
मेरी विवेचना के दौरान तक इनका ?
उत्तर नही आया था। मुझे मेरी विवेचना
के दौरान सामान उपलब्ध नही कराया
गया। इस मुकदमें के सम्बंध ये मेरी
अन्य लोगों से वार्ता नही हुई। (12)
PW 7
11-5-12
मैं राजेश कुमार पाण्डे तत्कालीन सी0ओ0 फैजा
बाद को अपने कैडर का होने के नाते
जानता हूँ। 22.12.07 को मेरी मुलाकात
कोतवाली में राजेश कुमार पाण्डे से
नहीं हुई। यह कहना गलत है कि
मैंने अपनी केस डायरी में जो कुछ
भी लिखा है वह अपनी मर्जी से
लिखा हो। यह कहना गलत है कि
केस डायरी में जो कुछ लिखा है वह
पुलिस अधिकारियों तथा एसटीएफ के
अधिकारियों के कहने से लिखा हो।
यह कहना गलत है कि मैंने घटना
स्थल का निरीक्षण स्वयं न किया
हो। यह कहना गलत है कि नक्शा
नजरी में दर्शाये ‘डी’ जो डाॅटस से
सर्किल किया है वहां पर पेड़ हो।
Statement is
reeaded by me
today ie 11-05-12
एसटी नं0 310/2008
सरकार प्रति खालिद मुजाहिद + 1 अन्य
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11-5-12
नाम डी0सी0 दयाराम सरोज 25वी वाहिनी पी0ए0
सी0 रायबरेली ने आज दिनांक 11.05.12
को सशपथ बयान किया कि मैं दिनांक
22.12.2007 को क्षेत्राधिकारी नगर के
पद पर जनपद बाराबंकी में तैनात था
उस दिन मुझे मु0अ0सं0 1891/07
धारा 121, 121ए, 122, 124ए, 332 आई0पी0सी0
व 16/18 120/23 अनलाफुल एक्टीविटीस
एक्ट व 4/5 विस्फोटक पदार्थ अधि
नियम थाना कोतवाली जनपद
बाराबंकी की विवेचना मुझे प्राप्त
हुई थी उसी दिन केस डायरी सं0 1
किता किया था जिसमें मेरे द्वारा
नकल चिक, नकल रपट, बयान
अभियुक्तगण व अवलोकन इंजरी
रिपोर्ट किया था। तथा उसी दिन
लेखक एफ0आई0आर0, एचएम कन्हैयालाल
का बयान अंकित किया था।
दिनांक 23.12.07 को केस डायरी
सं0 2 किता की गई जिसमें मेरे
द्वारा इस मुकदमे के वादी श्री
चिरंजीव नाथ सिन्हा तत्कालीन
क्षेत्राधिकारी चैक लखनऊ का
(2)
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बयान दर्ज करके उन्हीं की निशादेही पर
निरीक्षण घटना स्थल कर दो समयी
साक्षी का बयान किया था। दिनांक
01.02.2008 को केस डायरी सं0 14
को मेरे द्वारा फर्द के गवाह श्री एस0
आनन्द पुलिस उपाधिक्षक एस0टी0एफ0
लखनऊ तथा गवाह फर्द एस0आई0
श्री विनय कुमार सिंह एस0टी0एफ0
शाखा वाराणसी तथा फर्द के गवाह
कान्सटेबिल चालक श्री यसवंत कुमार
एसटीएफ का बयान दर्ज किया
गया था। दिनांक 15.02.2008 को केस
डायरी सं0 20 के द्वारा विवेचना
का स्थानान्तरण उच्चाधिकारियों के
आदेश से एटीएस शाखा लखनऊ
को की गई। जिसमें मेरे द्वारा समस्त
कागजात मय केस डायरी के एटीएस
शाखा के लिए भिजवायी गई।
वादी की निशांदेई पर घटना का स्थल
निरीक्षण करके मौके पर नक्शा
नजरी तैयार
कराई गई जो शामिल पत्रावली है मेरे
सामने है कागज सं0 अ-15 है मेरे (3)
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जिस पर हस्ताक्षर है। यह नक्शा नजरी
मेरे निर्देश पर मुंशी राजमणि यादव
ने तैयार की है। जिस पर प्रदर्श क-9
डाला गया।
X X X for Khalid Muzhaid
Sri Randhir Singh Suman Adv.
दिनांक 22.12.2007 को मुझे विवेचना लगभग 9.30 बजे
थाने से सूचना मिली थी तभी विवेचना
मिली थी लगभग पौने दस बजे (सुबह के) होंगे।
सूचना मुझे जरिये टेलीफोन थाने से
प्राप्त हुई थी। उस समय मैं अपने आवास
पर था। विवेचना के लिए कागजात
मुझे 10 बजे के लगभग कागजात मिले।
मैं अपने कार्यालय से थाना कोतवाली
नकल चिक व नकल रपट लिखने के
बाद लगभग 10 बजकर 20-25 मिनट
सुबह पहुंचा था। कोतवाली पहुंचने
के बाद मैंने दोनों अभियुक्तों के
बयान दर्ज किए और एफ0आई0आर0 लेखक
का बयान दर्ज किया। इंजरी रिपोर्ट
का अवलोकन किया। मुझे जहंा
(4)
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तक याद है मैंने इतना ही कार्य किया।
मैंने अभियुक्तों के बयान तथा एफ0आई0आर0
लेखक के बयान सी/एम के द्वारा दर्ज कराये
थे (सी/एम कान्सटेबल मुंशी) उस
समय मेरी मध्यिका उंगली में चोट
लगी थी। इस कारण मैंने बयान कान्स
टेबल मुंशी से अपने निर्देशन में
दर्ज कराये थे। अभियुक्तों के बयान
के बाद जेल के बाहर ही सुरक्षा
कारणों से जेल गेट पर न्यायाधीश
के समक्ष पेश किया था। यह
बात मैंने केस डायरी में किता
नही की थी। मुझे समय ध्यान
नही है, कि कब मैने न्यायाधीश
महोदय से जेल गेट पर अभियुक्तों
को पेश करने की अनुमति ली हो।
दिनांक 22.12.07 ही थी। यह बात
भी मैंने केस डायरी में नही लिखी
है। मैंने न्यायाधीश महोदय से ली
अनुमति को केस डायरी में नही लिखा
है। मुझे समय याद नही है, कि जेल
गेट पर अदालत कब लगी थी।
मैं अभियुक्तों को लेकर जेल गेट
पर आया था। मैंने मुल्जिमानों के (5)
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वारंट जेल अधिकारी जो उस समय
वहां मौजूद था दिये थे। जेल अधिकारी
का रैंक मुझे इस समय ध्यान नही
है। जेल अधीक्षक के कार्यालय में ही
अदालत लगी थी वही मुल्जिम पेश
हुए थे। दिनांक 22.12.07 को सभी
कार्यों के पश्चात शाम हो गई थी।
23.12.07 को मेरी मुलाकात श्री
चिरंजीव नाथ सिन्हा से सुबह 10-11 बजे
के लगभग हुई। वह मेरे कार्यालय आए
थे उन्हें बुलाया गया था। मैंने उन्हें
फोन करके बयान देने के लिए बुलाया
था अलग से कोई सम्मन नही
भेजा था। गवाह को टेलीफोन करने की
बात मैंने केस डायरी में नही लिखी
है। मुझे समय याद नही है, कि बयान
लेने में कितना समय लगा। मैं इस
सम्बंध में कुछ नही बता सकता कि
कितना समय बचान में लगा। बयान
खत्म होने के बाद गवाह मेरे साथ
घटना स्थल पर गया था। घटना
स्थल पर हम लोग अलग अलग
गाडि़यों से गये थे। मैं एक्जेट टाइम
नहीं बता सकता कि कितने समय
ये घटना स्थल पर पहुंचे थे। उस (6)
PW 7
11-5-12
समय तक सूरज डूबा नही था। पूरा दिन
था। मैं उस समय क्षेत्राधिकारी नगर था।
मुझे नही मालूम कि घटना की सूचना
विभाग को दी थी या नही। मुझे नही दी
थी। घटना स्थल रेलवे स्टेशन
की दूरी मैंने नही नापी थी। नक्शा नजरी
में दर्शाया गया (ए) स्थान पर है जहां
अभियुक्तगण रिक्शे से आकर उतरे थे।
गिरफ्तारी नक्शा नजरी में दर्शाये ‘ई’ स्थान
पर हुई थी। मुझे नही मालूम कि नक्शा
नजरी में दर्शाया गया ‘ए’ स्थान जी
आरपी क्षेत्र में आता है या नही
घटना स्थल के निरीक्षण में कितना
समय लगा मुझे याद नही है। मैं नक्शा
नजरी के हिसाब से नही बता सकता कि
शहर कोतवाली की शुरूआत कहा से
होती है। दिनांक 01.02.2008 को मैं गवाह
का बयान रिकार्ड करने एसटीएफ कार्या
लय लखनऊ गया था। मैंने मुख्यालय छोड़ने
से पहले पुलिस अधीक्षक बाराबंकी से
अनुमति ली थी। अनुमति मैंने किस तारीख
को ली थी याद नही है। इस बात की लिखा
पढ़ी मैंने केस डायरी में नही की है। (7)
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11-5-12
मैंने उस दिन उनका बयान कान्सटेबल मुंशी
से ही लिखवाया था। कान्सटेबल मुंशी राज
मणि यादव के साथ जाने की बात केस
डायरी मंे नही लिखी है। कान्सेटबल मुंशी
के साथ जाने का इन्द्राज नही होता है।
जी0डी0 रवानगी सी0ओ0 पेशी में नहीं
चलती है। इस केस से सम्बंधित जी0डी0
रवानगी का इन्द्राज मेरे द्वारा नही किया
गया है एसटीएफ कार्यालय में भी
मेरी आमद का इन्द्राज नही हुआ
लखनऊ जाने का इन्द्राज लाॅग बुक में होगा।
मैं स्वयं ही अनुमति लेकर गया था गवाहों
का कोई सम्मन जारी नही किया था। उन
गवाह को मेरे द्वारा कोई सूचना आने की
नहीं दी गई थी। यह कहना गलत है कि
मैंने समस्त कार्यवाही अपने सी0ओ0
कार्यालय में बैठकर की हो। यह कहना
गलत है, कि मैंने गवाहों के बयान भी
अपने विभागीय अधिकारियों के कहने
से लिखे हों
for accused tariq qazmi by
advocate Mohd. Shuhaib
मैंने 22.12.07 से विवेचना शुरू की
है परन्तु केस डायरी में समय (8)
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नही डाला है। मुलजिमानों का बयान लेने
के बाद डाक्टरी मुआइना कराया था। गिरफ्
तार करने वाली टीम का कोई सदस्य उस
जगह नही था जहंा मैं बयान ले रहा था
कोतवाली में थे, या नही, मैं नही बता
सकता। मैंने मुलजिमान के बयान
प्रभारी निरीक्षक कोतवाली बाराबंकी के
कार्यालय में लिये थे। मुलजिमान के
बयानों के अलावा लेखक एफ0आई0आर0 के बयान
लिये थे। उस दिन कार्य सरकार अधिक
होने के कारण गिरफ्तार करने वाली टीम
के किसी सदस्य का बयान मैंने नही
लिया था। मोहम्मद तारिक काजमी को
डाक्टरी पर भेजने की चिट्ठी थाना
कार्यालय से लिखी गई थी। उस
पर्चे पर मेरे हस्ताक्षर नहीं है। गवाह
ने चिट्ठी मजस्ती को देखकर कहा कि
इस पर मेरे दस्तखत नही है। अस्पताल
भेजने से पहले बयान लेते समय मैंने
मुलजिमान को देखा था। contusion डाक्टरी
भाषा का शब्द है मैं नही जानता हूँ।
सूजन अगर देख रही है तो उसे जादिरा
मानेंगे। खरोंच अगर देख रही है तो जाहिरा
चोट मानेंगे। डाक्टरी कराने का निर्देश
(9)
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11-5-12
का निर्देश मैंने दिया था। मुझे याद
नही है कि अस्पताल मेरे सामने भेजे
गये थे या बाद में 22.12.07 को मैं
घटना स्थल पर नही गया था। दिनांक
23.12.07 को घटना स्थल पर मैंने
श्री रवीश व श्री राम कश्यप पब्लिक के
गवाहों के बयान लिये थे। घटना
स्थल के पास ही इनकी दुकान है। नक्शा
नजरी में दर्शायी गई ‘रानी की चाय की
दुकान’ थाना कोतवाली क्षेत्र में आती है या
नही, मुझे नही मालूम 23.12.2007 से
पहले भी मैं इस स्थान पर गश्त पर
गया हूँ। मेरी ‘‘रानी की चाय दुकान’’ पर
रानी से मेरी वार्ता नही हुई। नक्शा नजरी
के दर्शाये नीम के पेड़ के दक्षिण
पश्चिम कोई बिल्डिंग है या नही, मुझे
इस समय ध्यान नही है। मैं इस
समय नही बता सकता कि नीम के पेड़
के नीचे उस समय कितनी गाडि़यां
खड़ी थी। वादी ने बताया था कि वादी
की गाड़ी नीम के पेड़ के नीचे खड़ी
थी। मैंने वादी का बयान लेने से पहले
नकल चिक नकल रपट पढ़ी थी। (10)
PW 7
11-5-12
मैंने उस समय मौके पर मौजूद गवाहों के
बयान लिये थे जिस समय मैंने बयान दर्ज
किया था उस समय नक्शा नजरी में दर्शायी
गया, पवन सिंह शाकाहारी भोजनालय खुला
था, पवन सिंह से मेरी वार्ता इस सम्बंध
में नही हुई कि भोजनालय किस समय से
किस समय तक खुला रहता है। नक्शा नजरी
में दशार्ये गये दुकानों में दो लोगों के
बयान मैंने दर्ज किये हैं बाकी के बयान
मैंने दर्ज नही किये क्योंकि विवेचना मेरे
पास से ट्रांसफर हो गयी थी। नक्शा नजरी
में दर्शाये गये ‘डी’ स्थान पर गिरफ्तार करने
वाली टीम मौजूद थी। ‘डी’ स्थान के पूरब
दिशा में सागौन का पेड़ था। ‘डी’ स्थान को
(..........) डाट से सर्किल करने के स्थान पर कोई
पेड़ नही था। मुझे नही मालूम कि ‘रानी की
चाय की दुकान’ 24 घण्टे खुली रहती थी
या नही। मुलजिमान से बरामद मोबाइल
और सिम के बारे में काॅल डिटेल मांगने
के लिए सभी मोबाइल कम्पनियों को लिखने
का तस्करा केस डायरी में दिनांक 24.12.07
को किया है। 24.12.07 को लिखे पत्र में
लिखे आईएमईआई नम्बर मैंने एफ0आई0आर0 से प्राप्त
किये। मैंने 22.12.07 को बरामद माल
22.12.07 को नही देखा था। मैंने
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11-5-12
सील्ड पैकेट भी नही देखे। यह कहना गलत
है कि मैंने 22.12.07 को 11 बजकर 49 मिनट
पर खालिद मुजाहिद का मोबाइल निकाला
हो। मैंने 18.01.2008 से पहले न्यायालय
से कोई अनुमति विस्फोटक पदार्थ को
निष्क्रीय कराये जाने की नही ली। जब तक
मैंने विवेचना की उस समय तक विस्फोटक
पदार्थ को निष्क्रीय कराने के लिए सुरक्षा
शाखा लखनऊ से कोई दस्ता नही आया
था। मैंने मुलजिमानों को पुलिस कस्टडी
रिमाण्ड पर नही लिया। मैंने 18.01.08
से पहले विस्फोटक पदार्थों का पैकेट
नही देखा था। कोर्ट में पेश करने से
पहले और मेरे द्वारा मुलजिमान का
बयान लेने के बाद मेरे सामने और
कोई पुलिस अधिकारी मुलजिमानों
का बयान लेने नही आया। दिनांक
02.02.08 को मैंने वादी चिरंजीव
नाथ सिन्हा को पत्र लिखा था परन्तु
मेरी विवेचना के दौरान तक इनका ?
उत्तर नही आया था। मुझे मेरी विवेचना
के दौरान सामान उपलब्ध नही कराया
गया। इस मुकदमें के सम्बंध ये मेरी
अन्य लोगों से वार्ता नही हुई। (12)
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मैं राजेश कुमार पाण्डे तत्कालीन सी0ओ0 फैजा
बाद को अपने कैडर का होने के नाते
जानता हूँ। 22.12.07 को मेरी मुलाकात
कोतवाली में राजेश कुमार पाण्डे से
नहीं हुई। यह कहना गलत है कि
मैंने अपनी केस डायरी में जो कुछ
भी लिखा है वह अपनी मर्जी से
लिखा हो। यह कहना गलत है कि
केस डायरी में जो कुछ लिखा है वह
पुलिस अधिकारियों तथा एसटीएफ के
अधिकारियों के कहने से लिखा हो।
यह कहना गलत है कि मैंने घटना
स्थल का निरीक्षण स्वयं न किया
हो। यह कहना गलत है कि नक्शा
नजरी में दर्शाये ‘डी’ जो डाॅटस से
सर्किल किया है वहां पर पेड़ हो।
Statement is
reeaded by me
today ie 11-05-12
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